यूपी: अमित शाह की रैली में पत्रकार से मारपीट, पत्रकार संगठन और नेताओं ने की कार्रवाई की मांग

डिजिटल मीडिया संस्थान 'मॉलिटिक्स' के पत्रकार राघव त्रिवेदी के अनुसार, उन्होंने रायबरेली में गृह मंत्री अमित शाह रैली में कई महिलाओं से बात की जिन्होंने कहा कि उन्हें शामिल होने के लिए 100 रुपये दिए गए थे. भाजपा कार्यकर्ताओं से इस बारे में पूछने पर उन्होंने त्रिवेदी से महिलाओं के वीडियो डिलीट करने को कहा और फिर उन पर हमला कर दिया.

हमले के बाद अस्पताल में राघव त्रिवेदी. (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: डिजिटल मीडिया संस्थान ‘मॉलिटिक्स’ के साथ काम करने वाले पत्रकार राघव त्रिवेदी को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली को कवर करने के दौरान कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं ने पीटा और एक कमरे में बंद कर दिया. हमले के बाद त्रिवेदी को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया.

उनके अनुसार, उन्होंने रैली में कई महिलाओं से बात की थी, जिन्होंने कहा कि उन्हें इसमें शामिल होने के लिए 100 रुपये दिए गए थे और कहा कि वे नहीं जानतीं कि शाह कौन हैं. जब उन्होंने रैली में भाजपा कार्यकर्ताओं से इस आरोप के बारे में पूछा तो पहले उनसे इन महिलाओं के वीडियो डिलीट करने को कहा गया और फिर उन पर हमला कर दिया गया.

त्रिवेदी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘शुरुआत में, उन्होंने कहा कि कुछ भी गलत नहीं हुआ, लेकिन जब मैंने उन्हें बताया कि मैंने महिलाओं के बयान रिकॉर्ड किए हैं, तो एक समूह मुझे जबरन सुनसान जगह पर ले गए और मुझसे रिकॉर्डिंग डिलीट करने को कहा. जब मैंने इनकार कर दिया तो उन्होंने मेरे साथ मारपीट शुरू कर दी… मैंने पुलिस और आसपास खड़े लोगों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने दखल नहीं दिया… फिर मैं बेहोश हो गया. जब मुझे होश आया तो मैं अस्पताल में था.’

इस मामले में पुलिस ने त्रिवेदी के सहकर्मी और कैमरापर्सन संजीत साहनी की शिकायत पर छह अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत एफआईआर दर्ज की है.

सोशल मीडिया पर सामने आए इस घटना के एक वीडियो में पुलिसकर्मियों को त्रिवेदी की पिटाई के दौरान आसपास देखा जा सकता है, लेकिन वे इसे रोकने की कोशिश नहीं करते.

राघव त्रिवेदी ने भी इस बात की पुष्टि की कि पुलिस ने वहां कोई कार्रवाई नहीं की. उनका यह भी कहना है कि हमलावरों ने उनके खिलाफ मुस्लिम विरोधी अपशब्दों का इस्तेमाल किया.

उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ‘मैं उन लोगों से रुकने को कहता रहा. वहां मौजूद 40-50 पुलिस वालों से भी मदद मांगी पर किसी ने कुछ नहीं किया. उन्होंने मुझे ‘मुल्ला’ और ‘आतंकी’ जैसे शब्द कहे. मुझे लगातार मुक्के भी मारे.’

पत्रकारों, नेताओं ने की आलोचना

कई वरिष्ठ पत्रकारों ने भी इस हमले के खिलाफ नाराज़गी जाहिर की है.

वहीं, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने इस घटना की कड़ी निंदा करते चुनाव आयोग और स्थानीय अधिकारियों से इस मामले में कड़ी कार्रवाई की अपील की है.

अपने बयान में पीसीआई ने कहा, ‘पत्रकारों को उनकी दिन-प्रतिदिन की रिपोर्टिंग में नियमित रूप से शारीरिक धमकी, उत्पीड़न और हमले का शिकार होना पड़ रहा है. ऐसी चीजें लोकतंत्र के चौथे स्तंभ होने के नाते भारत को कमजोर करती हैं.’

वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए लिखा, ‘ये चाहते ही यहीं हैं कि कोई ग्राउंड पर जाकर तथाकथित महान योजनाओं की तस्वीर न दिखा दे। एक तरफ़ कठपुतलियों को इंटरव्यू दिए जा रहे हैं दूसरी तरफ़ पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं.’

गौरतलब है कि भारत में मीडिया आज़ादी के मामले में लगातार पिछड़ रहा है. हाल ही में जारी वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, 176 देशों के बीच भारत की रैंकिंग 159वें नंबर पर है. रैंकिंग जारी करने वाले रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने कहा था कि भारत की स्थिति ‘लोकतंत्र के लिहाज से लिए चिंताजनक’ है.

इस  बीचबीच, कई विपक्षी दलों और नेताओं ने त्रिवेदी का समर्थन करते हुए इस घटना के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं, नेताओं और उत्तर प्रदेश पुलिस की निंदा की है.

कांग्रेस ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर इस घटना को लेकर ट्वीट करते हुए लिखा, ‘ये घटनाएं बता रही हैं कि भाजपा के लोग सामने दिख रही हार से बौखला चुके हैं. अब अन्याय का अंत होने को है.’

वहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया कि पत्रकार को सिर्फ़ इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने कुछ महिलाओं से बात की थी जो कह रही थीं कि सभा में आने के लिए उन्हें पैसे दिए गए. पूरे देश के मीडिया का मुंह बंद कर देने वाली भाजपा को यह बर्दाश्त नहीं है कि उनके ख़िलाफ़ कहीं कोई आवाज़ उठे.

समाजवादी पार्टी प्रमुख और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, ‘हिंसा हार की निशानी होती है. भाजपा की रायबरेली की एक रैली में पैसे देकर लाए गए लोगों के बारे में जब दिल्ली के एक पत्रकार ने सच सबके सामने लाना चाहा तो भाजपाइयों ने उसके ऊपर हमला कर दिया. यही है उप्र में क़ानून-व्यवस्था का सच. जब देश के गृहमंत्री की रैली में ये हाल है, जिनके अधीन पुलिस होती है तो फिर बाक़ी देश का कितना बुरा हाल होगा, कहने की ज़रूरत नहीं. भाजपा हिंसक माहौल बनाकर चुनाव जीतना चाहती है.’

गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवाणी ने लिखा, ‘राघव त्रिवेदी अमित शाह की रैली में आई महिलाओं से वह सवाल-जवाब कर रहे थे. महिलाओं ने बातचीत में बताया कि उन्हें रैली में आने के लिए पैसे दिए गए थे.’