भारत और ईरान के बीच महत्वपूर्ण चाबहार समझौता, अमेरिका ने नाराज़गी जताई

भारत के ईरान के साथ रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह के विकास और संचालन के लिए 10 साल की अवधि वाले समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद अमेरिका ने भारत का नाम लिए बिना कहा कि जो भी देश ईरान के साथ व्यापार में शामिल होगा, उस पर प्रतिबंध का ख़तरा बना रहेगा.

भारत के जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और ईरान के सड़क और शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बजरपाश .(फोटो साभार: एक्स/@MEAIndia)

नई दिल्ली: भारत ने ईरान के साथ रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण चाबहार स्थित शाहिद बेहेस्ती बंदरगाह के विकास और संचालन के लिए 10 साल की लंबी अवधि वाले समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. यह कदम भारतीय बंदरगाहों को अफगानिस्तान और मध्य एशिया से जोड़ने का सीधा रास्ता खोलता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, ये समझौता इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और पोर्ट्स एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन ऑफ ईरान (पीएमओ) के बीच हुआ है. इस अनुबंध को तेहरान में लेकर सोमवार (13 मई) को एक हस्ताक्षर समारोह का आयोजन किया गया था, जिसमें भारत की ओर से जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और ईरान के सड़क एवं शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बजरपाश ने हिस्सा लिया था.

इस सरकारी स्वामित्व वाले बंदरगाह के विकास के लिए आईपीजीएल लगभग 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगा. इसके अलावा चाबहार-संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाने के लिए पहचानी गई परियोजनाओं’ के लिए भी 250 मिलियन डॉलर की राशि कर्ज के रूप में जुटाई जाएगी.

ईरानी मंत्री मेहरदाद बाज़ारपाश ने इस हस्ताक्षर समारोह के अंत में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बंदरगाह को विकसित करने के अलावा, दोनों देशों के लिए एक संयुक्त शिपिंग लाइन शुरू करने का भी प्रस्ताव है.

यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ईरान और भारत का पहले एक जॉइंट वेंचर था, जिसे ईरान-ओ-हिंद शिपिंग कंपनी के नाम से जाना जाता था. इसका सह-स्वामित्व इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान शिपिंग लाइन्स (आईआरआईएसएल) और शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के पास था. हालांंकि ये जॉइंट वेंचर तब ख़त्म हो गया जब यह अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने ईरान के खिलाफ कई सारे प्रतिबंध लगा दिए थे.

अमेरिका ने जताई नाराज़गी

इस बार भी चाबहार बंदरगाह को लेकर भारत और ईरान के बीच हुए समझौते पर अमेरिका ने नाराज़गी जाहिर की है. इसे लेकर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रमुख उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने बिना भारत का नाम लिए परोक्ष चेतावनी भी जारी की.

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, वेंदात पटेल ने एक प्रेस वार्ता कहा, ‘हमें जानकारी मिली है कि ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह से जुड़े एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. विदेश नीतियों और दूसरे देशों के साथ अपने रिश्तों पर भारत खुद फैसले करेगा, लेकिन जो भी देश ईरान के साथ व्यापार में शामिल होगा, उस पर प्रतिबंध का खतरा बना रहेगा.’

गौरतलब है कि चाबहार बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है. चाबहार से अंतर्देशीय रेल गलियारा प्रांतीय राजधानी ज़ाहेदान तक जाता है, जो अफगानिस्तान की ओर से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. ज़ाहेदान से सरख्स तक एक और रेल लाइन है, जो ईरान-तुर्कमेनिस्तान सीमा के पास है.

ईरानी मंत्री ने दावा किया है कि चाबहार-ज़ाहेदान रेलवे खंड 2024 के अंत तक पूरा हो जाएगा.

गौरतलब है कि मई 2016 में भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने चाबहार के विकास के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. भारत के आईपीजीएल ने दिसंबर 2018 में चाबहार बंदरगाह का पूरा संचालन अपने हाथ में ले लिया था, लेकिन भू-राजनीतिक स्थितियों के कारण इसका काम धीमा हो गया था.

चूंकि चाबहार बंदरगाह को ट्रंप प्रशासन के तहत मंजूरी नहीं मिली थी, इसलिए अमेरिका के डर से निजी कंपनियां ईरानी बंदरगाह के लिए उपकरण देने में अनिच्छुक थीं.

इस बंदरगाह के लिए अब तक भारत ने 25 मिलियन डॉलर मूल्य के 6 मोबाइल हाबोर क्रेन और अन्य उपकरणों की आपूर्ति की है.