नई दिल्ली: पूर्वोत्तर राज्य असम में पुलिस और ईसाई समूह एक बार फिर आमने-सामने हैं. प्रदेश के कार्बी आंगलोंग जिले में एक ईसाई समूह ने मंगलवार (14 मई) को आरोप लगाया है कि पुलिसकर्मी चर्चों में प्रवेश कर जानकारी इकट्ठा कर रहे है, जिससे लोगों में डर का माहौल बन गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक, मामले के तूल पकड़ने के बाद असम पुलिस ने सफाई दी कि यह कार्रवाई फरवरी में मिली कई धमकियों के बाद ईसाई संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश के तहत की गई थी.
इस संबंध में मंगलवार को कार्बी आंगलोंग में दीफू के यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ने जिला आयुक्त को एक पत्र लिखकर शिकायत की थी. इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि पिछले सप्ताह पुलिस ने चर्चों और इसके अनुयायियों के आंकड़ों का मनमाने तरीके से जमा किया.
ईसाई समूह ने कहा कि पुलिसकर्मी दीफू शहर में चर्च परिसर में घुस रहे हैं, तस्वीरें ले रहे हैं और बिना पूर्व सूचना और आधिकारिक निर्देश के चर्चों के बारे में सवाल पूछ रहे हैं. समूह के अनुसार, इससे ‘जनता में घबराहट और डर का माहौल’ पैदा हुआ है.
पत्र में आगे लिखा गया है कि ‘उचित आधिकारिक आदेश के बिना इस अनुचित हस्तक्षेप’ ने लोगों की भावनाओं को आहत किया है. इसलिए समूह का अनुरोध कि इस कार्रवाई को बंद कर दिया जाए.
पुलिस का क्या कहना है?
उधर, मामले के बढ़ने के बाद मंगलवार को ही कार्बी आंगलोंग के अधीक्षक ने कहा कि पुलिस इन संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए असम पुलिस मुख्यालय के निर्देशों के अनुरूप जिले के सभी ईसाई संस्थानों की एक सूची तैयार कर रही है.
एक बयान में एसपी ने कहा कि असम कैथोलिक एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा फरवरी में ईसाई संस्थानों और कर्मियों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा गया था, जिस के बाद सभी पुलिस अधीक्षकों को ये निर्देश जारी किए गए थे.
इससे पहले इंडियन एक्सप्रेस ने बताया था कि असम में एक कट्टरपंथी हिंदू समूह द्वारा राज्य भर के मिशनरी स्कूलों को अपने परिसरों से धार्मिक प्रतिमाओं और चैपल को हटाने के लिए सार्वजनिक धमकी जारी की गई थी, जिसके चलते राज्य भर में इस समुदाय के बीच चिंता की स्थिति पैदा हो गई थी.
तब चर्च निकायों ने विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों के सामने अपनी चिंता जाहिर की थी, और राज्य भर के मिशनरी स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने अपने स्थानीय पुलिस को पत्र लिखकर अप्रिय घटनाओं के खिलाफ सुरक्षा और हस्तक्षेप की मांग की थी.