यूपी के बाद काम के लिए युद्धग्रस्त इज़रायल जाने को तैयार तेलंगाना के नौ सौ से अधिक कामगार

युद्धग्रस्त इज़रायल के लिए हैदराबाद में हुए चार दिवसीय भर्ती अभियान में कंस्ट्रक्शन के काम करने वाले कुल 2,209 श्रमिकों ने पंजीकरण कराया था, जिसमें से 905 को चुना गया. भारत और इज़रायल की सरकारों के बीच समझौते के तहत इस साल देश में आयोजित होने वाला यह तीसरा भर्ती अभियान था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

नई दिल्ली: अक्टूबर 2023 में हमास के हमले के बाद युद्ध में मुब्तिला इज़रायल में संघर्ष बढ़ने के बाद श्रमिकों की कथित कमी की ख़बरें आती रही हैं. इस साल जनवरी महीने में सामने आया था कि उत्तर प्रदेश के बेरोजगार श्रमिक बेहतर भविष्य की चाह में युद्धरत क्षेत्र में जाने को तैयार थे. हालांकि, उन्हें भर्ती देने वालों ने नौकरी की शर्तों के बारे में स्पष्ट कुछ नहीं बताया था.

अब ऐसी ही खबर तेलंगाना से आई है, जहां राज्य भर के कामगार हैदराबाद में हुए भर्ती अभियान में पश्चिम एशिया स्थित युद्धग्रस्त इज़रायल जाने के इच्छुक नजर आए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को हैदराबाद में संपन्न हुए चार दिवसीय भर्ती अभियान के अंत में इज़रायल में निर्माण कार्य के लिए की जाने वाली भर्ती में कुल 2,209 कंस्ट्रक्शन मजदूरों ने पंजीकरण कराया, जिसके बाद उनके कुछ टेस्ट लिए गए और अंततः 905 लोगों को चुना गया.

बताया गया है कि यह भर्ती अभियान राज्य सरकार द्वारा संचालित था और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम इंटरनेशनल (एनएसडीसीआई) द्वारा सहायता प्रदान की गई थी.

भारत और इज़रायल सरकारों के बीच एक समझौते के तहत इस साल देश में आयोजित होने वाला तेलंगाना भर्ती अभियान तीसरा था. समझौते के अनुसार, इज़रायल भारत से मजदूरों की भर्ती करता है और उनके कौशल परखता है और उन्हें अपने देश ले जाता है.

इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी इसी तरह के भर्ती अभियान आयोजित किए गए थे. एनएसडीसीआई के एक अधिकारी ने अखबार को बताया, ‘उन दो अभियानों में 9,000 से अधिक मजदूर पहुंचे थे.’

एनएसडीसीआई अधिकारी ने बताया कि इस तरह के भर्ती अभियान महाराष्ट्र, बिहार और राजस्थान में भी आयोजित होने की उम्मीद है.

बताया गया है कि अब तक कथित तौर पर 60 प्रवासी मजदूरों का कम से कम एक जत्था देश छोड़कर इज़रायल के लिए रवाना हो चुका है.

ज्ञात हो कि बीते मार्च में इज़रायल और ईरान के बीच संघर्ष बढ़ गया था, जिसमें अन्य लोगों के अलावा इज़रायली फार्म पर काम करने वाले केरल के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. इसके बाद भारत सरकार ने अस्थायी रूप से अपने नागरिकों को युद्धग्रस्त देश में उड़ान भरने से रोक दिया था. एयर इंडिया ने भी मई के मध्य तक इज़रायल के लिए अपनी फ्लाइट निलंबित कर दी थीं.

ऊंचे वेतन की चाह

अख़बार के अनुसार, इस बार तेलंगाना में भर्ती किए गए मजदूर बढ़ई हैं और जो सिरेमिक टाइलिंग, पलस्तर और लोहे को मोड़ने का काम करते हैं.

युद्धग्रस्त क्षेत्र में जाने वाले भारतीयों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण इज़रायल के निर्माण उद्योग में मिलने वाला उच्च पारिश्रमिक है. भर्ती टीम के अनुसार, प्रत्येक मजदूर 1.2 लाख से 1.38 लाख रुपये प्रति माह के बीच कमाएगा- जो भारत में ऐसे कुशल श्रमिकों को मिलने वाले वेतन से कई गुना अधिक है.

उल्लेखनीय है कि इज़रायल अपनी घरेलू निर्माण जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशी श्रमिकों की तलाश कर रहा है. इस साल की शुरुआत तक लगभग 80,000 फ़िलिस्तीनी इज़रायल के निर्माण उद्योग में कार्यरत थे. हालांकि, जैसे ही जनवरी में अरब देशों के साथ संघर्ष शुरू हुआ, इज़रायल ने फ़िलिस्तीनियों के वर्क परमिट रद्द कर दिए. अब इस कमी को पूरा करने की उम्मीद विदेशी, विशेषकर भारतीय कामगारों से है.

अखबार से बात करते हुए भर्ती अभियान की जानकारी रखने वाले एनएसडीसीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘अभियान के पहले दिन हमने केवल आधे दिन के लिए शिविर चलाया क्योंकि इसमें आने वाले लोगों की संख्या कम थी. दूसरे दिन से सैकड़ों लोग भर्ती होने आए.’

उन्होंने कहा कि एक तरह से सरकार के नेतृत्व वाले अभियान के जरिये भर्ती ‘अवैध भर्ती करने वालों को पैसे देने और उचित सुरक्षा उपायों के बिना इज़रायल जाने का कठिन रास्ता अपनाने’ से बेहतर है.

हालांकि, यह ज्ञात नहीं है कि भर्ती किए गए मजदूर कब इज़रायल के लिए कब निकलेंगे. एक अधिकारी ने कहा, ‘इसमें समय लगता है और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी सुरक्षा उपाय मौजूद हों.’