नई दिल्ली: असम के तिनसुकिया जिले में एक ‘रैट-होल’ खदान के भूस्खलन के कारण ढह जाने से कम से कम तीन लोगों के मरने की आशंका है.
रिपोर्ट के अनुसार, 25 मई की आधी रात को अरुणाचल प्रदेश के करीब पटकाई पहाड़ियों में बरगोलाई और नामदांग के बीच एक खनन स्थल पर भूस्खलन और चट्टानें गिरने की घटना हुई.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तिनसुकिया के जिला मजिस्ट्रेट स्वप्निल पॉल ने कहा, ‘हमें रिपोर्ट मिली कि तीन लोग लापता हैं. हम आवश्यक कार्रवाई कर रहे हैं.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि फंसे हुए लोगों में से दो मेघालय और तीसरा नेपाल का है, जिसकी पहचान दावा शेरपा के रूप में हुई है. वहीं, मेघालय के मजदूरों की पहचान जॉन और फेनाल के रूप में हुई है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दुर्घटना के समय कुल मिलाकर चार खनिक घटनास्थल पर थे. जिनमें से तीन रैट-होल खदान से एक संकीर्ण सुरंग के माध्यम से कोयला निकाल रहे थे, वहीं चौथा निकाले गए कोयले को उठाकर रख रहा था. सुरंग में तीन लोग भूस्खलन में फंस गए.’
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा संदेह है कि वे कोयला खदान के अंदर मर गए, लेकिन जब तक हमें उनके शव नहीं मिल जाते, हम यह नहीं कह सकते.’
उन्होंने बताया कि प्रशासन फिलहाल बचाव अभियान चला रहा है और सहायता के लिए कई एजेंसियों को बुलाया जा रहा है.
मालूम हो कि 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा रैट-होल खनन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन पूर्वोत्तर राज्य के इस लेडो-मार्गेरिटा बेल्ट में इस खतरनाक पद्धति से खनन जारी है.
एनजीटी के प्रतिबंध के बावजूद असम सरकार इन क्षेत्रों में अवैध खनन को रोकने में असमर्थ रही है, जिससे क्षेत्र में यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है. वन क्षेत्रों में ऐसी खदानें समय-समय पर खनिकों की जान लेने और उन्हें चोट पहुंचाने के अलावा स्थानीय वन्यजीवों को भी प्रभावित करती हैं.
इस साल फरवरी में एक कोयला खनिक की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी और उसके शव को एक रैट-होल खदान के पास छोड़ दिया गया था. जून 2023 में लेडो में एक अवैध रैट-होल खदान में दो व्यक्तियों की मृत्यु हो गई थी. सितंबर 2022 में ऐसी ही एक अवैध खदान में तीन कोयला खनिकों की मौत हो गई थी, जिसके कारण राज्य पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया था.
साल 2019 में कांग्रेस नेता और नागांव के मौजूदा सांसद प्रद्युत बोरदोलोई ने रैट-होल खनन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, जिसमें दावा किया गया था कि पिछले तीन वर्षों में 11 आरक्षित वनों और वन्यजीव अभयारण्यों के अंदर 4,000 से 5,000 रैट-होल कोयला खदानें अस्तित्व में आई हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कोयला माफिया को तिनसुकिया जिला प्रशासन द्वारा सहायता और बढ़ावा दिया गया था.
बोरदोलोई के आरोप गौहाटी उच्च न्यायालय द्वारा राज्य के दो जिला मजिस्ट्रेटों को अवैध खनन गतिविधियों पर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहने के तुरंत बाद सामने आए थे.
वर्ष 2023 में उच्च न्यायालय ने भी अवैध रैट-होल खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था और केंद्र तथा राज्य दोनों सरकारों को इसकी पालना का निर्देश दिया था.