लोकसभा और भाजपा से इस्तीफ़ा देने के बाद पटोले ने कहा भाजपा में लोकतंत्र बिल्कुल नहीं. नरेंद्र मोदी और अमित शाह को सवाल सुनना पसंद नहीं.
महाराष्ट्र में भाजपा के सांसद नाना पटोले ने लोकसभा से शुक्रवार को दिल्ली में इस्तीफा दे दिया है. 2014 में नागपुर की भंडारा गोंदिया सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री और राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल को हराकर पहली बार सांसद बने थे.
मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक पटोले केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की किसानों को लेकर भूमिका पर काफी वक़्त से नाराज चल रहे थे. पटोले ने शुक्रवार को लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से मिलकर सदन से इस्तीफा दे दिया.
पटोले ने द वायर से बात करते हुए कहा, ‘भाजपा ने सत्ता में आने से पहले जनता से वादा किया था कि अगर सत्ता मिली तो स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करेंगे, लेकिन केंद्र सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा है कि वे स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं कर सकते. ये तो देश की जनता और किसानों के साथ धोखा है.’
पटोले ने कुछ महीनों पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा था कि वे सवाल सुनना पसंद नहीं करते और ऐसा करने पर वो नाराज हो जाते हैं और उन्हें सवाल सुनना पसंद नहीं है. वे किसानों के मुद्दों को नजरअंदाज करते आए हैं.
पटोले ने महाराष्ट्र सरकार और भाजपा नेताओं को आड़े हाथों से लेते हुए कहा, ‘महाराष्ट्र में किसानों की हालत बहुत ही दयनीय है और हजारों किसान और खेतिहर मजदूर जहरीले कीटनाशक से मर रहे हैं और भाजपा के नेता कहते हैं कि वे सभी किसान शराब पीकर मर रहे हैं. मैं ऐसी किसान और गरीब विरोधी सरकार और पार्टी का हिस्सा नहीं बना रह सकता.’
मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार पटोले प्रफुल्ल पटेल की प्रधानमंत्री से नजदीकी बढ़ने से नाराज थे. इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मैं किसी प्रफुल्ल पटेल से नहीं डरता. मैं लगभग डेढ़ लाख वोटों से हराकर सांसद बना था. सुप्रीम कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के घोटालों की सीबीआई जांच 6 महीने में ख़त्म करने को कहा है. ऐसे में भाजपा नेता और प्रफुल्ल पटेल क्यों मिलते हैं ये सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से साफ हो जाता है. मुझे किसी को बताने की जरूरत नहीं, जनता सब समझती है.’
भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र पर सवाल उठाते हुए पटोले कहते हैं. ‘भाजपा में बिल्कुल लोकतंत्र नहीं है. नरेंद्र मोदी और अमित शाह को सवाल सुनना पसंद नहीं है. पार्टी के नेता शत्रुघ्न सिन्हा, भोला सिंह को संसद के पटल तक पर बोलने नहीं दिया जाता. लोकसभा में चुने हुए कौन-कौन से सांसद बोलेंगे यह भी पार्टी बताती है. क्या वे संसद जनता के प्रतिनिधि नहीं है? इन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा का अपमान किया है. वे किसानों को लिए अनशन कर रहे हैं और सरकार को शर्म भी नहीं आती कि उनसे एक बार बात भी कर ले.’
पटोले ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी सरकार और फडणवीस सरकार के लिए गूंगी और बहरी सरकार शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा कि यह सरकार किसान विरोधी है. इस सरकार में किसानों की आत्महत्या की संख्या में 40 प्रतिशत बढ़ी है और सरकार को बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता.
उन्होंने सरकार की आर्थिक नीति पर भी हमला करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को देश के गरीबों की हालत और जमीनी सच्चाई पता नहीं है. सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी लाकर देश में गरीबों और छोटे व्यापारियों की कमर तोड़ दी.
रोजगार के मुद्दे पर पर पटोले कहते हैं कि जहां सरकार ने 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था उसके उलट नोटबंदी और जीएसटी से लाखों लोग बेरोजगार हो गए.
ऐसा भी कहा जा रहा था कि मंत्रिमंडल में जगह न मिलने के चलते पटोले ने इस्तीफा दिया.
इस बात पर पटोले कहते हैं, ‘मैंने कभी भी मंत्री पद नहीं मांगा. मंत्री पद उन्हें मिलता है जो चापलूसी करते हैं और चुनाव हार जाते हैं. मैं जनता का नेता हूं और अगर जनता ने मुझे जिस काम के लिए दिल्ली भेजा था अगर वो पूरा नहीं हो रहा तो मुझे अधिकार नहीं है इस पद और इस पार्टी में बने रहने का.’
केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए पटोले ने कहा, ”सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की लेकिन उससे किसानों को नहीं बल्कि बीमा कंपनी को फायदा पहुंचा. सरकार की जितनी भी नीतियां है वो सभी बड़े-बड़े उद्योगों को फायदा पहुंचा रही है. वो दिन दूर नहीं जब यह सरकार सभी पब्लिक सेक्टर को निजी सेक्टर बना देगी और अंबानी और अडानी जैसे अमीरों को और अमीर बना देगी.’
पटोले ने कहा कि वे गुजरात चुनाव में भी प्रचार करने जाएंगे. ये पूछने पर कि वे किसके लिए प्रचार करेंगे तो उन्होंने कहा, ‘मैं गुजरात भी प्रचार करने जाऊंगा और वहां की जनता को बताऊंगा कि प्रधानमंत्री मोदी कैसे हैं. मैं उनकी असलियत जनता के सामने रखूंगा. मैं उनकी किसान और मजदूर विरोधी नीतियों को जनता के सामने पेश करुंगा. मैं हर उस पार्टी का समर्थन करुंगा जो भाजपा को हराएगी.’
महाराष्ट्र में ओबीसी नेता के रूप में जाने जाते पटोले ने मोदी सरकार को बहुजन और दलित विरोधी बताया और कहा कि आयोग बनाने से कुछ नहीं होगा बल्कि सरकार को शोषित जातियों की जनगणना करनी होगी और तब ही उनकी सही जनसंख्या पता चलेगी तब उनके लिए काम किया जा सकता और सही योजना बनाई जा सकती है.
नाना पटोले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात कर चुके हैं. भविष्य में किस पार्टी से जुड़ेंगे इस सवाल पर उन्होंने कहा कि वे अभी किसी पार्टी में शामिल नहीं होंगे और महाराष्ट्र की जनता के बीच में जाकर उनकी राय लेंगे और उसके बाद जनता जिस पार्टी में भेजगी उसमें जाएंगे.
शुक्रवार शाम को नागपुर जाने से पहले पटोले महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी मोहन प्रकाश से मुलाकात करेंगे और उन्होंने कहा कि भविष्य में उनकी भूमिका वो जल्द बताएंगे. मालूम हो कि पटोले पहले कांग्रेस में भी रह चुके हैं. 2014 लोकसभा चुनाव से पूर्व वो भाजपा में शामिल हुए थे.