नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की. वहीं, सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा. जगन मोहन रेड्डी की वाईआरएस कांग्रेस पार्टी
राज्य की 175 विधानसभा सीटों में से तेलुगु देशम पार्टी कुल 135 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया. टीडीपी की सहयोगी दल पवन कल्याण की जनसेना पार्टी 21 सीटें जीती और भाजपा आठ सीटों पर जीत दर्ज की.
वहीं, जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी केवल 11 सीटों पर सिमटकर रह गई.
राज्य के 25 लोकसभा सीटों में से तेलुगु देशम पार्टी 16 सीटों पर जीत दर्ज की. भाजपा तीन सीटें और जनसेना पार्टी दो सीटें जीती. वहीं, वाईएसआरसीपी चार सीटों पर जीत दर्ज की.
तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) शुरू से एनडीए का हिस्सा रहा था, लेकिन 2018 में आंध्र प्रदेश को विशेष दर्ज़ा देने के मुद्दे पर उससे अलग हुई थी. वहीं दूसरी ओर, वाईएस जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी एनडीए का हिस्सा तो नहीं बनी लेकिन उसके साथ तालमेल बनाकर चल रही थी. लेकिन 2023 सितंबर में जब वाईएस जगन सरकार ने एक कथित घोटाले के मामले में चंद्रबाबू को गिरफ्तार करवाया, तब आंध्र प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर काफी हद तक बदल गई.
चंद्रबाबू के जेल में रहने के दौरान ही अभिनेता पवन कल्याण के नेतृत्व वाली जनसेना और टीडीपी का गठबंधन बन गया. पवन कल्याण की कोशिशों की बदौलत भाजपा और बाबू के बीच भी गठबंधन की सहमति बनी. इस तरह इस बार के चुनावों में टीडीपी, जनसेना और भाजपा के गठबंधन ने वाईएस जगन को चुनौती दी. हालांकि वाईएस जगन की बहन शर्मिला के नेतृत्व में कांग्रेस ने भी इस चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज की, लेकिन मुख्य मुक़ाबला वाईएस जगन और टीडीपी-भाजपा-जनसेना गठबंधन के बीच ही रहा.
वाईएस जगन सरकार पर मतदाताओं की नाराज़गी के लिए मुख्य कारणों में से एक है राजधानी का बदलाव. राज्य के विभाजन के बाद चंद्रबाबू सरकार ने पहले अमरावती को राजधानी के लिए चुना था लेकिन बाद में वाईएस जगन ने उसे तीन हिस्सों में बांटा और पिछले 5 सालों में विकास के कार्य न होने के आरोप भी उसकी सरकार पर लगते रहे. दूसरी ओर वाईएस जगन अपनी लोकलुभावन नीतियों पर ज्यादा भरोसा किया था लेकिन मतदाताओं को उनकी कल्याणकारी योजनाएं पसंद नहीं आई.
वाईएसआर कांग्रेस की हार के पीछे एक कारण पोलावरम परियोजना को पूरा करने में सरकार की विफलता और अपनी भूमि की सुरक्षा पर जनता की गंभीर चिंताओं के बीच आंध्र प्रदेश लैंड टाइटलिंग एक्ट (Andhra Pradesh Land Titling Act) को लागू करना का दृढ़ संकल्प भी रहा है.
राजनीतिक विश्लेषक पेंटापति पुल्ला राव ने द वायर को बताया कि टीडीपी और सहयोगियों की जीत में उनकी एकता ने अहम भूमिका निभाई. जनता ने यह स्पष्ट कर दिया कि फ्रीबीज ही काफी नहीं है.
2019 के चुनाव में वाईएसआरसीपी ने आंध्र प्रदेश की 25 संसदीय सीटों में से 22 सीटें जीतीं थीं. पार्टी ने 175 विधानसभा सीटों में से 151 सीटें जीती थीं.