कनाडा के लोकतंत्र के लिए चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा विदेशी ख़तरा: कनाडाई पैनल

कनाडा में सांसदों और सीनेटरों के समूह की रिपोर्ट कहती है कि भारत रूस की जगह लेते हुए वहां की लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए दूसरे सबसे महत्वपूर्ण विदेशी ख़तरे के रूप में उभरा है. उनका आरोप है कि भारत की दख़ल की कोशिशें कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्वों का मुकाबला करने से कहीं आगे जा रही हैं.

भारत में हुए जी-20 सम्मलेन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जस्टिन ट्रूडो. (फोटो साभार: फेसबुक/@JustinPJTrudeau)

नई दिल्ली: कनाडा के एक उच्च स्तरीय संसदीय पैनल की नई रिपोर्ट ने कहा है कि कनाडा के लोकतंत्र के लिए चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा विदेशी खतरा है. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि उनकी सरकार विदेशी हस्तक्षेप के मामले को ‘बहुत गंभीरता’ से लेती है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सांसदों और सीनेटरों के एक क्रॉस-पार्टी समूह- नेशनल सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस कमेटी ऑफ पार्लियामेंटेरियंस (NSICOP) की रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब भारत-कनाडा संबंध अब तक के सबसे ख़राब दौर से गुजर रहे हैं.

ज्ञात हो कि पिछले साल प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा यह आरोप लगाए जाने कि खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंट शामिल थे, के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए थे. इस आरोप को नई दिल्ली ने ‘बेतुका’ बताकर खारिज कर दिया था

अब इसके लगभग सालभर बाद यह हालिया रिपोर्ट मई महीने में प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी गई थी, लेकिन इस सप्ताह इसे संशोधित करके संसद में पेश किया गया. इसमें कनाडा के लोकतंत्र में विदेशी हस्तक्षेप के संदर्भ में चीन को ‘स्पष्ट रूप से सर्वाधिक सक्रिय’ बताया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ‘रूस की जगह लेते हुए कनाडा की लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं के लिए दूसरे सबसे महत्वपूर्ण विदेशी हस्तक्षेप खतरे के रूप में उभरा है.’

इसमें आरोप लगाया गया है कि भारत के ‘विदेशी दखल के प्रयास धीरे-धीरे बढ़े हैं’ और कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्वों का मुकाबला करने से कहीं आगे जा रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन प्रयासों में अब ‘कनाडाई लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संस्थानों में हस्तक्षेप करना, जिसमें कनाडाई राजनेताओं, एथनिक मीडिया और इंडो-कनाडाई जातीय समुदायों को निशाना बनाना शामिल है.’

84 पृष्ठों की रिपोर्ट में भारत का 44 बार उल्लेख किया गया है. भारतीय अधिकारियों की ओर से रिपोर्ट पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

हालांकि, नई दिल्ली ने हाल के महीनों में इसी तरह के आरोपों को खारिज करते हुए कनाडाई अधिकारियों पर भारत के मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है. साथ ही, भारतीय पक्ष ने यह भी आरोप है कि कनाडा खालिस्तानी और अन्य चरमपंथी तत्वों को पनाह देते हुए उन्हें भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए जगह दे रहा है.

कनाडाई संसदीय पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ सांसद दूसरे देशों से प्रभावित थे या उन्होंने विदेशी मिशनों के साथ संवाद करने में अनुचित तरीके से काम किया है. कुछ सांसदों ने अपने सहयोगियों को ‘अनुचित रूप से प्रभावित’ करने का भी प्रयास किया होगा और विदेशी राजनयिकों के साथ ‘विशेषाधिकार प्राप्त जानकारी’ साझा की होगी. इसने आगे आरोप लगाया कि कुछ सांसदों को विदेशी अभिनेताओं या उनके प्रॉक्सी से धन प्राप्त हुआ होगा.

मंगलवार को जब यह मामला हाउस ऑफ कॉमन्स में उठाया गया तो ट्रूडो ने कहा, ‘यह सरकार इसे बहुत गंभीरता से ले रही है.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘समीक्षाधीन अवधि के शुरुआती चरण में पाकिस्तान ने भी लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं को निशाना बनाया.’ इसने यह भी कहा कि चीन, भारत, पाकिस्तान और ईरान ‘अंतरराष्ट्रीय दमन’ में शामिल हैं.

इस संदर्भ में इसने पिछले साल 18 सितंबर को ट्रूडो द्वारा दिए गए बयान का हवाला दिया कि 18 जून, 2023 को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में खालिस्तानी कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और भारतीय एजेंटों के बीच संभावित संबंध के ‘विश्वसनीय आरोप’ थे. निज्जर को भारत द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया था.

एनएससीआईओपी का गठन 2018 में खुफिया और सुरक्षा मामलों की निगरानी के जनादेश के साथ किया गया था. इसमें सदन और सीनेट के सदस्य शामिल हैं और इसका नेतृत्व लिबरल पार्टी के सांसद डेविड मैकगिन्टी करते हैं.