नई दिल्ली: देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए ली जाने वाले राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) के परिणाम इस मंगलवार (4 जून ) को आए हैं और इसके बाद से ही नया विवाद शुरू हो गया.
5 मई को देश भर में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा नीट यूजी की परीक्षा ली गई थी, जिसके बाद पेपर लीक होने के दावे सामने आए थे और अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में है.
परिणाम घोषित किए जाने के बाद से अभ्यर्थी धांधलेबाजी का आरोप लगा रहे हैं. बताया गया है कि कुल 67 परीक्षार्थियों को 720 में से 720 अंक मिले हैं जो अब तक पूर्णांक हासिल करने का सबसे बड़ा आंकड़ा है. पिछले साल 2023 में मात्र दो अभ्यथियों को इतने अंक प्राप्त हुए थे.
अब छात्रों और शिक्षकों का कहना है कि नीट की परीक्षा में इतने ज्यादा छात्रों द्वारा पूर्णांक हासिल करना संभव नहीं है. इस बारे में उठ रहे सवालों के बीच एनटीए का कहना है कि ऐसा एनसीईआरटी में बदलाव होने के चलते हुआ है. एक प्रश्न के दो उत्तर होने के चलते 44 अभ्यर्थियों के अंक 715 से बढ़कर 720 किए गए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि नीट परीक्षा में रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) वाले हिस्से में परमाणु पर एक प्रश्न था, जिसमें छात्रों को चार विकल्पों में से एक उत्तर चुनने के लिए कहा गया था. इसे लेकर विवाद तब हुआ जब एनटीए ने प्रोविजनल आंसर-की पर आपत्तियों के बाद पाया कि दिए गए चार विकल्पों में से एक पुरानी एनसीईआरटी पुस्तक ने और एक को नई एनसीईआरटी पुस्तक ने सही बताया था.
एनटीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘एनटीए को उन सभी छात्रों को 5 अंक देने पड़े, जिन्होंने दोनों विकल्पों में से किसी एक को चुना था, जिसके चलते कुल 44 छात्रों के अंक 715 से बढ़कर 720 हो गए और टॉपर्स की संख्या में इजाफा हुआ.’
वहीं, दो अभ्यर्थियों ने 718 और 719 अंक हासिल किए हैं. नियम के अनुसार प्रत्येक प्रश्न के गलत उत्तर के लिए 1 नकारात्मक अंक दिया जाता है और हर सही उत्तर के 4 अंक. यानी अगर एक छात्र सभी जवाब सही देता है और एक सवाल छोड़ देता है तो वह 716 अंक पाएगा, और अगर वह एक गलती कर देता है तो 715 अंक मिलेंगे. यानी 718 या 719 जैसे अंक संभव ही नहीं हैं.
जब कई अभ्यर्थियों ने एनटीए से जवाब मांगा, एनटीए ने अपने एक्स हैंडल पर इस मामले में स्पष्टीकरण देते हुए स्वीकारा कि उसने इस मसले पर अभ्यर्थियों के आवेदनों का और कोर्ट में चल रहे प्रकरणों का समुचित संज्ञान लिया है. चूंकि परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों के समय का नुकसान हुआ था, इसलिए उन्हें क्षतिपूर्ति (ग्रेस) अंक देने का निर्णय लिया. इसलिए अभ्यर्थियों के 718 या 719 अंक संभव हैं.
— National Testing Agency (@NTA_Exams) June 4, 2024
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्टडीज (एनयूएएलएस) को निर्देश दिया था कि वह उस साल हुए कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण समय गंवाने वाले उम्मीदवारों को क्षतिपूर्ति के बतौर अंक दे.
क्षतिपूर्ति अंक देने का आदेश ऑनलाइन टेस्ट के दौरान उम्मीदवारों द्वारा दिए गए कुल सही और गलत उत्तरों के डेटा को ध्यान में रखते हुए दिया गया था.
एनटीए पर सवाल
हालांकि अब एनटीए के स्पष्टीकरण पर कई लोगों ने आपत्ति जताई है. शिक्षकों और छात्रों ने एनटीए से पूछा है कि ग्रेस अंक किस आधार पर दिए गए? ग्रेस अंक देने के नियम कहां पर उल्लिखित हैं? यह कैसा इत्तेफाक है कि ग्रेस अंक पाने वाले दो छात्र अव्वल नंबर लाने वालों में से एक हैं?
We need an explanation of the normalization criteria of NEET Results. And at how many centers was the normalization applied? Multiple theories have risen due to the current situation. All the students demand to know the truth @NTA_Exams #NEET #RemoveNormalization
— Alakh Pandey (PhysicsWallah) (@PhysicswallahAP) June 5, 2024
कुछ लोग यह भी आरोप लगा रहे हैं कि 8 टॉपर हरियाणा के एक ही परीक्षा केंद्र से हैं. जबकि कुल मिलाकर देश भर के 550 शहरों में लगभग 4,100 परीक्षा केंद्र थे.
सवाल यह भी हैं कि यह कैसे हो सकता है कि एक ही सेंटर से आठ लोग ऐसे रहे, जिन्हें पूर्णांक प्राप्त हुए.
3. In a highly unusual outcome, 8 toppers are from the same examination center in Haryana. In all, there were about 4100 exam centers across 550 cities. And we have 8 toppers from just one center in Haryana? pic.twitter.com/4aERFw8Mnq
— Maheshwer Peri (@maheshperi) June 5, 2024
पेपर लीक के दावे
छात्र और शिक्षक इस परीक्षा के पेपर पहले से ही लीक हो जाने के दावे करते आए हैं. उनकी मांग है कि पांच मई को आयोजित हुई इस प्रवेश परीक्षा को रद्द कर दिया जाए और इस प्रकरण में शामिल लोगों पर उचित कार्रवाई की जाए.
परीक्षा संपन्न होने के बाद बिहार से लेकर गुजरात तक पेपर लीक के मामले सामने आए थे.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों का दावा था कि परीक्षा से एक दिन पहले ही परीक्षार्थियों को प्रश्नपत्र मिल गया था. करीब 20 परीक्षार्थियों तक प्रश्नपत्र के साथ-साथ प्रश्नों के जवाब भी पहुंच गए थे.
इसी तरह, गुजरात में नीट-यूजी परीक्षा में शामिल छह परीक्षार्थियों से प्रश्नपत्र हल कराने के बदले 10-10 लाख रुपये लेने के आरोप में गिरफ्तारी हुई थी. दैनिक भास्कर ने बताया था कि गुजरात पुलिस ने पंचमहल जिले के गोधरा से एक स्कूल शिक्षक और दो अन्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था.
हालांकि एनटीए ने पेपर लीक के दावे को खारिज कर दिया था. लेकिन परीक्षा के परिणाम उनके इस दावे पर सवाल खड़ा करते हैं.
शीर्ष अदालत पहुंचा मामला
इन्हीं आरोपों के बीच बीते शनिवार (1 जून) को परीक्षार्थियों के एक समूह ने नए सिरे से नीट-यूजी, 2024 परीक्षा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
द हिंदू की रिपोर्ट के हवाले से शिवांगी मिश्रा और अन्य द्वारा दायर याचिका में एनटीए को एक पक्ष बनाया गया है और नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने के लिए निर्देश देने की मांग करते हुए पेपर लीक और परीक्षा की विश्वसनीयता का मुद्दा उठाया गया है.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि 5 मई को आयोजित परीक्षा कदाचार से भरी थी, क्योंकि याचिकाकर्ताओं के संज्ञान में पेपर लीक के विभिन्न मामले सामने आए थे.
पेपर लीक भारतीय संविधान के तहत अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है, क्योंकि इससे कुछ उम्मीदवारों को अन्य लोगों की तुलना में अनुचित लाभ मिलता है, जो निष्पक्ष तरीके से परीक्षा देने का विकल्प चुनते हैं.
इस मामले में सुनवाई होने के पहले ही एनटीए द्वारा परीक्षा के परिणाम जारी कर दिए गए.