मणिपुर: जिरीबाम में हत्या से हुआ तनाव व आगजनी, अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाया गया

मणिपुर के सीमावर्ती ज़िले जिरीबाम में गुरुवार को उस समय तनाव फैल गया जब अज्ञात हमलावरों ने एक 56 वर्षीय व्यक्ति का अपरहरण कर उनकी बर्बर तरीके से हत्या कर दी. इसके विरोध में हुए प्रदर्शनों के बाद राज्य सरकार ने ज़िले में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू घोषित लगा दिया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: X/@manipur_police)

नई दिल्ली: मणिपुर के सीमावर्ती जिले जिरीबाम में गुरुवार को उस समय तनाव फैल गया जब अज्ञात हमलावरों ने एक व्यक्ति का सिर धड़ से अलग कर दिया. अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि संदिग्ध उग्रवादियों द्वारा व्यक्ति की हत्या के विरोध में हुए प्रदर्शनों के बाद मणिपुर सरकार ने जिरीबाम जिले में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू घोषित कर दिया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित की पहचान 59 वर्षीय सोइबाम सरतकुमार सिंह के रूप में हुई. घटना शाम करीब 5 बजे हुई जब सरतकुमार लीशाबिथोल स्थित अपने बेटे के खेत से लौट रहे थे.

पुलिस के अनुसार, सरतकुमार को कथित तौर पर घर लौटते समय खासिया पुंजी के पास अज्ञात बदमाशों ने हिरासत में ले लिया. उसके परिवार के सदस्यों ने तुरंत जिरीबाम जिला पुलिस को घटना की सूचना दी, जिसके बाद इलाके में संयुक्त तलाशी अभियान चलाया गया.

तलाशी के दौरान सरतकुमार का सिर कटा शव जिरीबाम थाने से करीब 12 किलोमीटर उत्तर में मुलारगांव के पास मिला. हत्या के पीछे का मकसद और हमलावरों की पहचान अभी तक पता नहीं लगा है. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

मृतक की पत्नी सोइबाम रोमोला ने बताया कि जब वह अपने पति से पहले खेत से लौट रही थी, तो उसे और उसके बेटे को कुछ संदिग्ध अज्ञात व्यक्तियों का सामना करना पड़ा, जिनके कुकी समुदाय से होने का अनुमान है. पुलिस ने संदिग्धों की पहचान या संबद्धता की पुष्टि नहीं की.

इसके बाद में रात करीब 9 बजे एक उग्र भीड़ ने पास के इलाके में कुकी समुदाय के खाली पड़े घरों में आग लगा दी.

विरोध प्रदर्शन और ज़िले में कर्फ्यू

मिड-डे की रिपोर्ट के मुताबिक, व्यक्ति की मौत के बाद वहां के लोगों ने शुक्रवार सुबह विरोध प्रदर्शन किया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई.

अधिकारी ने जिला मजिस्ट्रेट जिरीबाम के कार्यालय द्वारा जारी आदेशों का हवाला देते हुए कहा, ‘असामाजिक तत्वों की गैरकानूनी गतिविधियों के कारण शांति और सार्वजनिक शांति में व्यापक व्यवधान या हिंसा या दंगा होने की संभावना है. स्थानीय प्रशासन ने पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने, हथियार, लाठी ले जाने.. और जिले के राजस्व क्षेत्राधिकार के भीतर किसी भी व्यक्ति के अपने-अपने आवास से बाहर निकलने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.’

रिपोर्ट के अनुसार, जिरीबाम थाने के सामने स्थानीय लोगों ने एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था, जिसमें उन्होंने चुनावी प्रक्रिया के दौरान जब्त किए गए अपने लाइसेंसी हथियार वापस दिलाने की मांग की. जिला प्रशासन ने लोगों से शांत रहने की अपील की.

जिला मजिस्ट्रेट ने जिरीबाम के पुलिस अधीक्षक से अवांछित घटनाओं से बचने के लिए कमजोर इलाकों की पहचान करने और सुरक्षा बलों को तैनात करने का भी अनुरोध किया.

थौबल जिले में 12 वर्षीय लड़की की पीट-पीटकर हत्या

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि गुरुवार (6 जून) सुबह मणिपुर के थौबल जिले में 47 वर्षीय व्यक्ति ने 12 वर्षीय लड़की की पीट-पीटकर हत्या कर दी. हालांकि, हमले के पीछे का कारण पता नहीं चला है, लेकिन राहगीरों ने उस व्यक्ति को पकड़ लिया और पुलिस को सौंप दिया.

पुलिस के अनुसार, सुबह करीब 7.15 बजे, विशाल अकादमी की छठी कक्षा की छात्रा खोंगजोम पुलिस स्टेशन के अंतर्गत सपम सबल गांव में अपने स्कूल जा रही थी. राहगीरों ने पुलिस को बताया कि आरोपी सपम सरत सिंह ने किसी उकसावे के बिना ही नाबालिग पर लोहे की रॉड से हमला करना शुरू कर दिया.

सिर से अत्यधिक रक्तस्राव के कारण छात्रा को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया. हालांकि, इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

हत्या की प्रतिक्रिया में स्थानीय निवासियों ने एक संयुक्त कार्रवाई समिति का गठन किया. इस समिति ने एक बैठक बुलाई और कई प्रस्ताव पारित किए, जिसमें आरोपी को मृत्युदंड देने की मांग भी शामिल है. बैठक में आरोपी के परिवारों और रिश्तेदारों को खोंगजोम क्षेत्र छोड़ने का नोटिस देने का भी प्रस्ताव लिया गया.

ज्ञात हो कि मणिपुर में बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय और कुकी-जो आदिवासी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष पिछले साल 3 मई को शुरू हुआ था. संघर्ष में अब तक 220 से अधिक लोग मारे गए हैं, हजारों घायल हुए हैं और कम से कम 50,000 लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं.

मणिपुर की आबादी में मेईतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी जिनमें नगा और कुकी समुदाय शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.