नई दिल्ली: मणिपुर में पिछले साल मई से जारी जातीय हिंसा से अछूता रहा जिरीबाम जिले में हिंसा फैलने के बीच कुकी, मेईतेई समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रभावशाली संगठनों ने राज्य में संघर्ष से निपटने में केंद्र और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा निभाई गई भूमिका पर सवाल उठाए हैं.
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, कुकी-ज़ो समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले दो प्रभावशाली संगठनों- कुकी इंपी मणिपुर और इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) द्वारा केंद्र और केंद्रीय सुरक्षा बलों पर पक्षपात करने का आरोप लगाने के एक दिन बाद प्रमुख मेईतेई संगठनों के एक मंच – कोऑडिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर यूनिटी (सीओसीओएमआई) ने मंगलवार को कहा कि केंद्र स्थिति से निपटने में ‘निष्क्रिय रुख’ अपना रहा है.
मंगलवार को सीओसीओएमआई के मीडिया समन्वयक वाई. सुरजीत कुमार खुमान द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ‘कुकी विद्रोहियों के हमलों के बीच केंद्र सरकार के तटस्थ रुख ने न केवल राज्य के नागरिकों की सुरक्षा से समझौता किया है, बल्कि राज्य सरकार के अधिकार को भी कमजोर किया है. जवाबी कार्रवाई या बचाव के लिए राज्य बलों की सहायता करने से केंद्रीय बलों का इनकार भारत सरकार द्वारा अपने ही राज्य के हितों के विरुद्ध कुकी समूहों को निहित समर्थन का संकेत है, जिससे हिंसा को और बढ़ावा मिलता है.’
सीओसीओएमआई ने सोमवार को इंफाल और जिरीबाम को जोड़ने वाले एनएच-37 पर संदिग्ध कुकी सशस्त्र व्यक्तियों द्वारा मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के काफिले पर किए गए हमले का उल्लेख किया. इस हमले में एक पुलिसकर्मी सहित दो लोग गोली लगने से घायल हो गए थे.
मणिपुर पुलिस ने बताया है कि हमले में कुकी उग्रवादी शामिल थे, जिसके बाद कुकी हथियारबंद लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ बंकरों को ध्वस्त कर दिया गया.
पिछले साल मई से जारी हिंसा से अछूता रहा जिरीबाम 6 जून को एक मेईतेई व्यक्ति के मृत पाए जाने के बाद तनाव से जूझ रहा है. घटना के बाद उग्र भीड़ ने घरों और पुलिस चौकियों में आग लगा दी थी, जिसके बाद मेईतेई, कुकी, मुस्लिम और अन्य समुदायों के सैकड़ों लोग हिंसा के डर से जिरीबाम से भाग गए हैं.
कुकी संगठनों ने एनआईए पर मेईतेई समुदाय का पक्ष लेने का आरोप लगाया
वहीं, कुकी इंपी ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ‘चुनिंदा’ नीति अपना रही है और इसने मेईतेई लोगों पर हमले में शामिल होने का आरोप लगाते हुए केवल कुकी लोगों को ही गिरफ्तार किया है.
इसने कहा कि एनआईए विभिन्न मेईतेई विद्रोही समूहों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने में विफल रही, जबकि ऐसे समूहों द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसे हमलों के कई वीडियो फुटेज और क्लिप साझा किए जा रहे हैं.
इसने कहा, ‘जांच एजेंसियों को निष्पक्ष जांच करके ईमानदारी के सिद्धांत को बनाए रखना चाहिए और घाटी के मेईतेई समुदाय द्वारा प्रचारित झूठे नैरेटिव (narratives) के आगे नहीं झुकना चाहिए.’
इसी तरह, आईटीएलएफ ने भी एनआईए के खिलाफ इसी तरह के आरोप लगाए, जिसके एक दिन बाद एजेंसी ने पिछले साल जनवरी में बिष्णुपुर जिले में चार मेईतेई लोगों की हत्या में कथित संलिप्तता के लिए एक कथित कुकी विद्रोही लुनमिनसेल किपगेन को गिरफ्तार किया था.
एजेंसी ने पहले एक अन्य कुकी व्यक्ति को पिछले साल मई से संघर्ष में शामिल होने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार किया था.
हालांकि, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि केंद्रीय बल स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए ‘तटस्थ भूमिका’ निभा रहे हैं.
अधिकारी ने कहा, ‘हमें कानून और व्यवस्था बनाए रखने और हिंसा को रोकने का काम सौंपा गया है. हम ऐसा करने की कोशिश कर रहे है. यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह बातचीत के ज़रिये या जो भी तरीका उचित लगे, उससे संघर्ष को खत्म करे.’
भाजपा विधायक ने जिरीबाम और सीएम के काफिले पर हमले के लिए पुलिस अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया
इसी बीच, मणिपुर के भाजपा विधायक राजकुमार इमो सिंह ने रविवार को असम की सीमा से लगे मणिपुर के जिरीबाम जिले में भारी हथियारों से लैस कथित ‘कुकी विद्रोहियों’ द्वारा किए गए हमले के लिए शीर्ष पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंह ने कहा कि जिरीबाम पर हमला इस साल की शुरुआत में शीर्ष पुलिस अधिकारियों को दी गई ‘अग्रिम खुफिया रिपोर्ट’ के बावजूद हुआ.
सिंह ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘हमारे राज्य में खुफिया विंग का नेतृत्व शीर्ष पुलिस अधिकारी कर रहे हैं. राज्य सरकार को उन अधिकारियों के उदासीन रवैये के बारे में जांच शुरू करनी चाहिए, जिन्हें इस साल की शुरुआत में जिरीबाम की स्थिति के बारे में राज्य सरकार द्वारा अग्रिम खुफिया रिपोर्ट दी गई थी.’
उन्होंने कहा, ‘इन अधिकारियों को सभी प्रभावित लोगों के जीवन और संपत्ति के नुकसान के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और ऐसी जांच लंबित रहने तक उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए और कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.’
भाजपा विधायक, जो मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के दामाद भी हैं, ने कहा, ‘सरकारी सूत्रों ने कहा है कि मुख्यमंत्री को एकीकृत कमान का हिस्सा नहीं बनाया गया है, जिसे पिछले साल मई में घाटी के प्रमुख मेईतेई समुदाय और पहाड़ी प्रमुख कुकी-जो जनजातियों के बीच जातीय संघर्ष के बाद स्थापित किया गया था. एकीकृत कमान में राज्य और केंद्रीय बलों दोनों के तत्व हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘सरकारी सूत्रों ने कहा है कि इस व्यवस्था को 200 कुकी-जो विद्रोहियों को जिरीबाम की सीमा से लगी पहाड़ियों की ओर बढ़ने से रोकने के लिए काम करना चाहिए था. पत्रों के अनुसार, जनवरी में राज्य सरकार ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को तीन बार पत्र लिखकर सुरक्षा बढ़ाने और जिरीबाम में किसी भी खतरे का जवाब देने तथा संदिग्ध कुकी-जो विद्रोहियों द्वारा खतरों को रोकने के लिए कहा था. हालांकि, संदिग्ध कुकी विद्रोहियों द्वारा किए गए हमले तथा जिरीबाम में कुकी जनजातियों और मेईतेई समुदाय के लोगों का विस्थापन, यह दर्शाता है कि राज्य सरकार के खुफिया संदेशों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.’
इमो सिंह ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री के जिरीबाम में निर्धारित दौरे से पहले सोमवार को राज्य पुलिस दल पर घात लगाकर किए गए हमले के लिए शीर्ष पुलिस अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.
इमो सिंह ने पोस्ट में कहा, ‘राज्य की विधानसभा के सदस्य के रूप में मैं मांग करता हूं कि राज्य सरकार तत्काल आदेश जारी करे और इसमें शामिल सभी अधिकारियों और लोगों के खिलाफ जिम्मेदारी तय करे, और यह भी सुनिश्चित करे कि जिरीबाम के लोगों को पर्याप्त सुरक्षा दी जाए और उन्हें जल्द से जल्द अपने मूल निवास स्थान पर रहने की अनुमति दी जाए.’
जिरीबाम में हिंसा के बाद करीब 550 मेईतेई लोग स्कूलों और अन्य सार्वजनिक आश्रयों में रह रहे हैं. कुकी जनजातियों के कम से कम दो हजार सदस्यों और कुछ मेईतेई लोगों ने पड़ोसी राज्य असम में भी शरण ली है.
मेईतेई नागरिक समाज समूहों ने राज्य सरकार और सुरक्षा बलों से आग्रह किया है कि वे सुनिश्चित करें कि सभी विस्थापित परिवार जल्द से जल्द जिरीबाम में अपने घर लौट आएं, ताकि उग्रवादियों को गांवों पर कब्जा करने और नए बंकर बनाने से रोका जा सके.
सरकारी सूत्रों ने कहा है कि जिरीबाम में मेईतेई गांवों पर हमला और पुलिस काफिले पर घात लगाकर किए गए हमले में म्यांमार की सीमा से लगे व्यापारिक शहर मोरेह में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों द्वारा इस्तेमाल की गई रणनीति के स्पष्ट निशान थे. संदिग्ध उग्रवादियों ने सीमावर्ती शहर में पुलिस बलों पर हमला करने के अलावा इंफाल से मोरेह जा रहे मणिपुर पुलिस के काफिले पर भी घात लगाकर हमला किया था.
कुकी-जो जनजातियों ने पुलिस पर मोरेह में उन्हें निशाना बनाने और बीरेन सिंह सरकार पर मेईतेई लोगों का पक्ष लेने का आरोप लगाया है.
रविवार को संदिग्ध कुकी उग्रवादी तीन-चार नावों में सवार होकर जिरीबाम के किनारे एक नदी में आए और कई पुलिस चौकियों पर हमला किया और घरों में आग लगा दी. हमला बराक नदी के किनारे जिरीबाम के चोटोबेकरा में रात 12.30 बजे शुरू हुआ. 70 से अधिक घरों में आग लगा दी गई.
मणिपुर पुलिस ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, ‘दो पुलिस पिकेट और बोरोबेकरा वन बीट कार्यालय को भी संदिग्ध कुकी सशस्त्र बदमाशों ने जला दिया.’
इस बीच, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने मंगलवार को एन. बीरेन सिंह सरकार पर सोमवार को संघर्ष प्रभावित जिरीबाम जिले में जा रहे मुख्यमंत्री के अग्रिम सुरक्षा काफिले पर घात लगाकर किए गए हमले को रोकने में ‘विफलता’ के लिए निशाना साधा.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेता ने कहा, ‘यह (घात लगाकर किया गया हमला) दुर्भाग्यपूर्ण है…सरकार को (अग्रिम काफिले) भेजने से पहले पूरी सावधानी बरतनी चाहिए…यह सरकार की ओर से पूरी तरह विफल है.’
इबोबी ने यह भी कहा कि राज्य और केंद्र दोनों सरकारें अपना कर्तव्य नहीं निभा रही हैं. उन्होंने अशांत जिरीबाम से लोगों के विस्थापन का जिक्र किया.