नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा पाठ्यपुस्तकों में किए गए बदलाव सुर्खियों में हैं. इस संबंध में एनसीईआरटी के निदेशक डीपी सकलानी ने रविवार (16 जून) को कक्षा 12वीं के राजनीति विज्ञान की किताब से गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भ को हटाए जाने को सही ठहराया है.
उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि एक विशेषज्ञ समिति ने महसूस किया कि कुछ चुनिंदा दंगों का उल्लेख करना अच्छा नहीं है.
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक अन्य साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘हमें स्कूली पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और उदास व्यक्ति.’
इंडियन एक्सप्रेस को सकलानी ने यह भी बताया कि स्कूली किताबों में अयोध्या संबंधित खंड में जो संशोधन हुए, वो विशेषज्ञों की राय पर आधारित है और ये इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले को समायोजित करने के लिए किए गए थे.
पिछले सप्ताह ही बाजार में संशोधनों के साथ पुस्तकें आई हैं
मालूम हो कि एनसीईआरटी की टिप्पणियां ऐसे समय में आई हैं, जब नई किताबें पिछले सप्ताह ही बाजार में कई संशोधनों के साथ आई हैं और उन पर आपत्ति जाहिर की जा रही है.
12वीं कक्षा की किताब ‘स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति’ के अध्याय 8 में अयोध्या खंड को चार से घटाकर दो पेज कर दिया गया है. इसमें बाबरी मस्जिद का उल्लेख नहीं है, लेकिन इसे ‘तीन गुंबद वाली संरचना’ के रूप में संदर्भित किया गया है. जबकि पिछले संस्करण में गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक भारतीय जनता पार्टी की रथ यात्रा भी शामिल थी, जिसमें कारसेवकों की भूमिका, 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा आदि का विवरण था, इस हटा दिया गया है.
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा के साथ-साथ 2002 के गुजरात दंगों के संदर्भ हटाने को लेकर एनसीईआरटी प्रमुख ने कहा, ‘हमारे देश में कई सांप्रदायिक दंगे हुए हैं. विशेषज्ञ समिति ने महसूस किया कि इसमें कुछ चुनिंदा उल्लेख करना अच्छा नहीं है और इतिहास को तथ्य बताने के लिए स्कूलों में पढ़ाया जाता है, न कि इसे युद्ध का मैदान बनाने के लिए.’
हालांकि सकलानी ने राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा के लिए नियुक्त विशेषज्ञों के बारे में पूछे जाने पर ध्यान न आने का हवाला देते हुए उनके नामों का खुलासा नहीं किया.
उन्होंने कहा, ‘कई विषय हैं और प्रत्येक विभाग अपनी पाठ्यपुस्तकों के लिए विशेषज्ञों को नियुक्त करता है. इस समय मेरे लिए यह याद करना मुश्किल है कि राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में मदद करने के लिए किसे कहा गया था. लेकिन मैं कह सकता हूं कि हम अकादमिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और विशेषज्ञ की राय के साथ चलते हैं.’
एनसीईआरटी पर विपक्ष ने निशाना साधा
एनसीईआरटी के इस रुख पर विपक्ष ने भी निशाना साधा है. विपक्ष ने संस्था पर सरकार के इशारों पर तथ्य छिपाने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि यह एनसीईआरटी 2014 से आरएसएस से संबद्ध संस्था के रूप में काम कर रही है और संविधान पर हमला कर रही है.
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि एनसीईआरटी का उद्देश्य पाठ्यपुस्तकें तैयार करना है, न कि राजनीतिक पर्चे और प्रचार करना. एनसीईआरटी हमारे देश के संविधान पर हमला कर रही है, जिसकी प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता स्पष्ट रूप से भारतीय गणतंत्र के आधारभूत स्तंभ के रूप में मौजूद है.
The National Testing Agency has blamed the NCERT for the ‘grace marks’ fiasco in NEET 2024. That is only drawing attention away from the NTA’s own abject failures.
However it is true that the NCERT is no longer a professional institution. It has been functioning as an RSS…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 17, 2024
वहीं टीएमसी नेता साकेत गोखले ने भी एनसीईआरटी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘यह तर्क दिया जा रहा है कि बच्चों को विश्व युद्ध जैसी अन्य ‘हिंसक निराशाजनक चीजों’ के बारे में क्यों पढ़ाया जाए? क्या भाजपा और पीएम मोदी को अपराधियों और दंगाइयों के रूप में अपने इतिहास पर शर्म आती है? उन्होंने पूछा, “छात्रों से सच्चाई क्यों छिपाई जाए?’
Shameless NDA 1.0 Govt now hides inconvenient facts in NCERT textbooks from students.
By this logic, why teach kids about other “violent depressing things” like the World War?
Are BJP & Modi ashamed of their history as criminals & rioters?
Why hide the truth from students? pic.twitter.com/3dagA5Ncyz
— Saket Gokhale MP (@SaketGokhale) June 17, 2024
राष्ट्रीय जनता दल के नेता और सांसद मनोज झा ने भी इस संबंध में एक्स पर लिखा कि विद्यार्थियों को अपने इतिहास को उसी रूप में जानना चाहिए जैसे वो ‘घटित हुआ’, न कि उस तरीके से जिस तरह सत्ता चाहती हो कि वो घटित होता.
Kids/students must get to know their history as it ‘happened’ and not the manner in which the ‘establishment would have desired it to happen’…the nations living in denial have suffered in the long run.
Jai Hind #NCERT— Manoj Kumar Jha (@manojkjhadu) June 16, 2024
गौरतलब है कि 2014 के बाद से एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों में ये चौथी बार संशोधन हुआ है. इससे पहले 2017 में एनसीईआरटी ने हाल की घटनाओं को प्रतिबिंबित करने की जरूरत का हवाला देते हुए पाठ्यक्रम संशोधित किया था.
वहीं 2018 में संस्था ने ‘पाठ्यक्रम के बोझ’ को कम करने के लिए संशोधन शुरू किया था और फिर तीन साल से भी कम समय के बाद छात्रों को कोविड-19 के कारण सीखने में आई रुकावटों से उबरने में मदद करने का हवाला देते हुए पाठ्यक्रम में बदलाव किए गए थे.