नीट घोटाले की अंतहीन कड़ियां: 5 मई से लेकर अब तक क्या हुआ

इस साल नीट-यूजी परीक्षा पांच मई को हुई थी. शुरुआत में बिहार और गुजरात में इसका पेपर लीक होने के आरोप लगे थे, हालांकि 4 जून को इसके नतीजे आने के बाद से एक ही सेंटर से कई टॉपर होने, ढेरों छात्रों को पूर्णांक मिलने जैसे मुद्दे सामने आए और अब मामला कोर्ट तक पहुंच चुका है.

नीट परीक्षा में अनियमिताओं को लेकर विरोध प्रदर्शन. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए ली जाने वाले राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) के परिणाम बीते 4 जून को घोषित किए जाने के बाद से नतीजों को लेकर देशभर में व्यापक बहस छिड़ी हुई है.

इस बार नीट परीक्षा का आयोजन पांच मई को कराया गया था. नीट परीक्षा में शामिल होने के लिए 24 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था. इनमें 23.33 लाख बच्चे परीक्षा में शामिल हुए. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, परीक्षा के परिणाम 14 जून को घोषित होने थे. हालांकि, रिज़ल्ट दस दिन पहले यानी चार जून को घोषित कर दिए गए. ये संयोग ही हो सकता है कि ठीक उसी दिन, जिस दिन लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित हुए थे.

नीट परीक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद ऐसे कई दावे सामने आए हैं, जिसमें इसके आयोजन को लेकर सवाल उठाए गए हैं और छात्र इसे फिर से कराने की मांग कर रहे हैं.

इसमें परीक्षा में बैठे 67 छात्रों को पूरे अंक मिलना, ग्रेस मार्क्स देना, पेपर लीक जैसे कई मुद्दे उजागर हुए हैं. 67 टॉपर छात्रों में से 6 बच्चों का परीक्षा केंद्र हरियाणा का एक ही सेंटर होना. एनटीए ने कहा था कि प्रश्नपत्र के भौतिकी खंड में एक प्रश्न में त्रुटि के कारण 44 उम्मीदवारों को पूर्ण अंक (720) दिए गए.

परीक्षा को आयोजित करवाने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने 8 जून को जानकारी दी थी कि नीट परीक्षा में शामिल छह केंद्रों- छत्तीसगढ़ के बालोद और दंतेवाड़ा में एक-एक और गुजरात के सूरत, मेघालय, हरियाणा, चंडीगढ़ के एक-एक केंद्र के 1,600 अभ्यर्थियों के परिणामों की पुन: जांच करने के लिए एक उच्चाधिकार समिति का गठन किया गया है.

ये सभी वही केंद्र हैं जहां कुछ छात्रों को अधिक अंक दिए गए हैं, जो एक विवाद का केंद्र बना हुआ था क्योंकि परीक्षा से पहले जारी की गई विवरण-पुस्तिका (prospectus) में इन ग्रेस अंकों का कोई उल्लेख नहीं था.

नीट 2024 के ख़िलाफ़ क्या आरोप हैं?

नीट में छात्रों को 180 प्रश्नों (एम.सी.क्यू. प्रकार) के उत्तर देने होते हैं, जो कुल 720 अंकों के होते हैं. प्रत्येक सही उत्तर के लिए छात्र को चार अंक दिए जाते हैं और गलत उत्तर के लिए एक अंक काटा जाता है. इसलिए, अभ्यर्थी केवल कुछ निश्चित अंक ही प्राप्त कर सकते हैं. एनटीए ने माना कि ग्रेस मार्क्स के कारण भ्रम की स्थिति पैदा हुई.

द हिंदू के अनुसार, हालांकि, नीट 2024 के खिलाफ अदालत में यह एकमात्र आरोप या मामला नहीं है. इस वर्ष प्रश्नपत्र लीक से परे कई आरोप लगे हैं, जिनमें प्रश्नपत्रों का धीमा वितरण, गलत प्रश्नपत्र प्रदान करना, गलत ओएमआर शीट प्रदान करना और तकनीकी देरी शामिल हैं.

मूल्यांकन के बाद असामान्य रूप से बड़ी संख्या में छात्रों (67) के बारे में शिकायतें मिली, जिन्होंने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए. इसके अलावा ऐसे छात्रों के बारे में भी शिकायतें मिली, जिन्होंने ‘सांख्यिकीय रूप से असाध्य’ अंक प्राप्त किए, जबकि प्रॉक्सी द्वारा धोखाधड़ी के कुछ मामले भी सामने आए हैं. प्रश्नपत्र लीक से संबंधित अन्य मामलों की सुनवाई अभी भी सुप्रीम कोर्ट में होनी है.

बिहार

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार ने पेपर लीक के आरोपों की जांच के लिए अपनी आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की है. इसके अलावा गुजरात के गोधरा में दो परीक्षा केंद्र ओएमआर शीट में सही विकल्प भरने में मदद करने के लिए जांच के दायरे में हैं. गुजरात में पंचमहल जिला पुलिस ने गोधरा के परवडी गांव में परीक्षा में कथित गड़बड़ी के मामले में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया है.

बिहार एसआईटी की अब तक की जांच पेपर लीक होने का संकेत दे रही है. राज्य में गिरफ्तार किए गए 13 लोगों में से चार ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्होंने नीट की परीक्षा दी थी, तीन माता-पिता और अन्य जो एक गिरोह के सदस्य हैं, जिन्होंने कथित तौर पर एक स्कूल में परीक्षा से पहले 35 उम्मीदवारों को इकट्ठा किया और एक नकली परीक्षा आयोजित की. कथित तौर पर उन्हें उत्तरों के साथ नीट का प्रश्नपत्र मिला.

शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार (19 जून) रात एक बयान में कहा कि बिहार पुलिस से रिपोर्ट मांगी गई है. इस रिपोर्ट के मिलने पर सरकार आगे की कार्रवाई करेगी.

अखबार के अनुसार, कथित पेपर लीक मामले में बिहार पुलिस की जांच के घेरे में आए पटना के 13 उम्मीदवारों में से आठ ने 720 में से 500 से कम अंक हासिल किए हैं.

इसके अलावा, ओएमआर शीट में हेराफेरी के लिए जांच के दायरे में आए गोधरा के दो परीक्षा केंद्रों से आए करीब 98 फीसदी छात्रों ने भी 500 से कम अंक हासिल किए हैं.

अखिल भारतीय कोटे के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट पाने के लिए 720 में से 650 से अधिक अंक हासिल करना मानक माना जाता है.

परीक्षा में लापरवाही

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, नीट की परीक्षा के दौरान राजस्थान और छत्तीसगढ़ में गलत प्रश्नपत्र बांटने को लेकर विवाद पैदा हो गई थी. छत्तीसगढ़ के बालोद के शासकीय बालक आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय और बालिका विद्यालय परीक्षा केंद्र पर छात्रों को गलत प्रश्नपत्र बांटे गए थे.

नीट परीक्षा आयोजित करने में चौंकाने वाली लापरवाही ने लगभग 400 छात्रों को निराश कर दिया, क्योंकि अधिकारियों ने परीक्षा शुरू होने के आधे घंटे बाद उन्हें गलती के बारे में सूचित किया, प्रश्नपत्र वापस ले लिए और प्रश्नपत्रों का नया सेट दिया गया.

बालोद के बालक स्कूल के प्रिंसिपल अरुण कुमार साहू ने कहा था, नीट अभ्यर्थियों को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से एकत्र किए गए प्रश्न पत्र वितरित किए जाने चाहिए थे, जबकि उन्हें अनजाने में केनरा बैंक से प्राप्त प्रश्न पत्र वितरित किए गए. भारतीय स्टेट बैंक के माध्यम से प्राप्त प्रश्न पत्र नीट अभ्यर्थियों को दिए गए, जबकि बालोद में केनरा बैंक के माध्यम से प्राप्त प्रश्नपत्र उक्त दो परीक्षा केंद्रों पर वितरित किए गए.’

नियमों के अनुसार, प्रश्न पत्रों के दो सेट प्रदान किए जाते हैं. यदि एसबीआई के माध्यम से प्राप्त प्रश्न पत्रों का उपयोग नहीं किया जा सकता है, तो केनरा बैंक से प्राप्त प्रश्न पत्रों का विकल्प के रूप में उपयोग किया जा सकता है.

इसी तरह राजस्थान के एक परीक्षा केंद्र पर प्रश्न पत्रों के गलत सेट के वितरण के कारण कुछ उम्मीदवार पेपर लेकर बाहर चले गए थे.

कानूनी चुनौतियां

नतीजों के खिलाफ कानूनी चुनौतियां दायर की गईं हैं, जिसमें तीन मुख्य मुद्दे उजागर हुए हैं – कुछ छात्रों को ग्रेस मार्क्स का प्रावधान, पेपर लीक और कुछ परीक्षा केंद्रों पर संदिग्ध अनियमितताएं.

11 जून को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और इस परीक्षा का आयोजन करने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को नोटिस जारी किया था.

मालूम हो कि इस संबंध में परिणाम घोषित होने से पहले दस याचिकाकर्ताओं ने पेपर लीक का आरोप लगाते हुए प्रारंभिक याचिका दायर की थी. परीक्षा के नतीजे आने के बाद कुछ उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स देने के एनटीए के फैसले के खिलाफ याचिकाएं दायर की गईं.

छात्रों को दिए जाने वाले ग्रेस मार्क्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गई हैं.

13 जून को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि नीट परीक्षा में जिन 1,563 उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक दिए गए थे, उनके स्कोर कार्ड रद्द कर दिया जाएगा. उनके लिए एक और परीक्षा आयोजित की जाएगी, जो संभवतः 23 जून को होगी. परिणाम 30 जून तक घोषित किए जाएंगे और सीटों के लिए काउंसलिंग 6 जुलाई तक शुरू हो सकती है.

केंद्र ने कहा था कि इन उम्मीदवारों को बिना ग्रेस मार्क्स के वास्तविक स्कोर के बारे में सूचित किया जाएगा, और वे एक और परीक्षा देने का विकल्प चुन सकते हैं. यदि वे दोबारा परीक्षा में नहीं बैठना चाहते हैं, तो उनके अंक, बिना ग्रेस मार्क्स के अंतिम अंक होंगे.

घटनाक्रम

6 मई को नीट परीक्षा संपन्न होते ही पेपर लीक के आरोप लगने लगे और एनटीए ने सफाई देते हुए पेपर लीक की खबरों से इनकार किया था.

8 मई को राजस्थान, दिल्ली और बिहार आदि जगहों से पुलिस ने नीट पेपर लीक मामले में कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया था.

17 मई को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर नीट परीक्षा परिणामों पर रोक लगाने की मांग की थी. हालांकि अदालत ने रोक लगाने इनकार कर दिया.

4 जून को लोकसभा चुनावों के नतीजों के साथ नीट परीक्षा के रिजल्ट भी जारी कर दिए गए.

6 जून को पेपर लीक के आरोपों के बाद विद्यार्थियों ने परीक्षा के नतीजों पर सवाल उठाए. अभ्यर्थियों ने 60 से अधिक छात्रों को पूरे अंक मिलने और आठ टॉपर के एक ही परीक्षा केंद्र से होने पर सवाल खड़े किए.

8 जून को नीट परीक्षा और उसके रिजल्ट को लेकर एनटीए पर सवाल खड़े किए और एनटीए ने घोषणा की थी कि छह केंद्रों में परीक्षा देने वाले छात्रों को दिए गए ग्रेस अंकों की जांच के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाएगा.

9 जून को एनटीए द्वारा दिए गए ग्रेस मार्क्स के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गईं.

9 जून को ही एनटीए प्रमुख ने पर्चा लीक या परीक्षा में किसी भी प्रकार की अनियमितता से इनकार करते हुए दोहराया कि इस महत्वपूर्ण परीक्षा की शुचिता से कोई समझौता नहीं किया गया है और पूरी परीक्षा प्रक्रिया बहुत पारदर्शी रही है.

11 जून को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को नोटिस जारी किया था और नीट काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

12 जून को नीट परीक्षा में कथित गड़बड़ियों की जांच करने के लिए एनटीए अध्यक्ष की नेतृत्व में गठित समिति के जांच की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाए गए.

13 जून को परीक्षा एजेंसी एनटीए ने ग्रेस मार्क्स रद्द करते हुए 1,563 अभ्यार्थियों की दोबारा परीक्षा कराने की घोषणा की.

14 जून को सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षा लीक मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की.

19 जून को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनटीए को एक छात्रा के मूल रिकॉर्ड का खुलासा करने का आदेश दिया, जिसका दावा है कि उसे अभी तक नीट का रिजल्ट नहीं मिला है.

20 जून को सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न हाईकोर्ट में नीट-यूजी 2024 विवाद से जुड़े कथित पेपर लीक और अनियमिताओं से जुड़े सभी मामलों पर रोक लगा दी. एनटीए और केंद्र को नोटिस जारी किया.

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की उन याचिकाओं पर नोटिस जारी किया, जिसमें सात हाईकोर्ट में नीट से जुड़ी सभी याचिकाओं को ट्रांसफर करने और सुप्रीम कोर्ट में एक साथ सुनवाई करवाने की मांग की गई थी.

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी 2024 को रद्द करने और मेडिकल प्रवेश परीक्षा में कथित अनियमितताओं की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर केंद्र और एनटीए को नोटिस जारी किया.