नई दिल्ली/झज्जर: बहादुरगढ़ सिटी पुलिस स्टेशन में बैठे सहायक पुलिस निरीक्षक महावीर सिंह को एकदम नहीं मालूम कि उनके थाने से थोड़ी दूरी पर स्थित हरदयाल पब्लिक स्कूल इन दिनों सुर्खियों में है. यही स्थिति उनके पास बैठे कंप्यूटर पर काम कर रहे एक अन्य पुलिसकर्मी की है.
गौरतलब है कि देश भर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए हुई नीट परीक्षा में गड़बड़ी का सबसे बड़ा केंद्र झज्जर का हरदयाल पब्लिक स्कूल है. 500 से अधिक छात्रों ने इस सेंटर में परीक्षा दी थी, उनमें से छह अभ्यर्थियों को 720 में से 720 अंक, यानी पूर्णांक हासिल हुए. इसके अलावा दो अभ्यर्थियों को 718 और 719 नंबर आए, जिसे गणितीय रूप से असंभव बताया जा रहा है.
भाजपा ने अपने घोषणापत्र, मोदी की गारंटी, में लिखा था कि सरकार आने पर वह पेपर लीक तथा परीक्षाओं में अन्य गड़बड़ियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगी. इससे पहले केंद्र सरकार ने इस साल फरवरी में पेपर लीक रोकने के लिए एक कानून पारित किया था, जिसके तहत सार्वजनिक परीक्षाओं में गड़बड़ी करने के आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है.
लेकिन इतनी बड़ी धांधली भी भाजपा शासित इस राज्य की पुलिस और प्रशासन को हरकत में नहीं ला सकी है. द वायर ने पाया कि इस मामले में कोई जांच तो दूर, झज्जर की पुलिस या स्थानीय चौकी में कोई रिपोर्ट भी दर्ज नहीं है. पुलिस को इसके बारे में कोई ख़ास जानकारी भी नहीं है. जब द वायर ने झज्जर के डिप्टी कमिश्नर शक्ति सिंह से संपर्क किया, उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
यानी ‘मोदी की गारंटी’ उनके ही राज्य में फिसल गई है, वह भी ऐसे परीक्षा केंद्र पर जो राजधानी दिल्ली से मात्र पचास किलोमीटर की दूरी पर है.
कौन हैं हरदयाल स्कूल के मालिक ?
हरदयाल स्कूल की वेबसाइट के अनुसार इसकी स्थापना सन 1995 में हुई थी. इस स्कूल की अध्यक्ष अनुराधा यादव हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक़, उनके परिवार का बहादुरगढ़ में खासा प्रभुत्व है.
गौरतलब है कि अनुराधा यादव के भतीजे शेखर यादव भारतीय जनता युवा मोर्चा के झज्जर जिला अध्यक्ष हैं. उनकी फेसबुक प्रोफाइल से यह पता चलता है कि वे रोहतक से भाजपा के पूर्व सांसद अरविंद शर्मा के नजदीकी हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान शेखर ने अरविंद शर्मा के लिए प्रचार किया था. स्थानीय लोगों का कहना है कि शेखर यादव भाजपा के टिकट से आगामी विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं.
द वायर से बातचीत में शेखर यादव ने कहा कि ‘संगठन चाहेगा तो विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे…हम अपनी तरफ से भी (टिकट का) प्रयास कर रहे हैं.
कथित धांधली में हरदयाल पब्लिक स्कूल के नाम आने के सवाल पर यादव ने कहा, ‘स्कूल हमारे परिवार का है. लेकिन जिस बारे में आप बात कर रहे हैं, उसमें स्कूल का कोई रोल नहीं है.’
उन्होंने यह भी कहा, ‘स्कूल परिवार का है लेकिन मैं स्कूल का हिस्सा नहीं हूं. हमारे परिवार में तो बहुत सारे बिजनेस हैं. लेकिन स्कूल में मेरी कोई भूमिका नहीं है.’
शेखर यादव की पत्नी नेहा यादव भी भाजपा से जुड़ी हैं. स्थानीय अखबारों में इन दोनों से जुड़ी खबरें अक्सर छपती रहती हैं. साल 2022 में नेहा खुद को बहादुरगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष का भावी भाजपा उम्मीदवार बताते हुए पर्चे बांट रही थीं, और भाजपा की नीतियों और उपलब्धियों का प्रचार कर रही थीं. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें भाजपा से टिकट नहीं मिला था.
इस दौरान हरदयाल पब्लिक स्कूल की अध्यक्ष अनुराधा यादव को भी भाजपा के पर्चे बांटते हुए और पार्टी का प्रचार करते हुए देखा गया था, जिसकी तस्वीरें अब भी सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं.
द वायर ने अनुराधा यादव के घर जाकर उनसे टिप्पणी मांगी, लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने को लेकर मोदी सरकार कई तरह के दावे करती है. 2023 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने पेपर लीक को लेकर राजस्थान की कांग्रेस सरकार को घेरा था. इसके बावजूद उनकी पार्टी द्वारा शासित हरियाणा के इस परीक्षा केंद्र पर हुई गड़बड़ियों को लेकर प्रशासन चुप है.
झज्जर के परीक्षा केंद्र पर क्या हुआ था?
झज्जर में पहली बार नीट की परीक्षा आयोजित की गई थी. जिले के तीन स्कूल– हरदयाल पब्लिक स्कूल, विजया सीनियर सेकेंडरी स्कूल और एसआर सेंचुरी पब्लिक स्कूल – को परीक्षा केंद्र बनाया गया था.
एसआर सेंचुरी सेकेंडरी स्कूल में परीक्षा सुचारु रूप से संपन्न हुई, लेकिन हरदयाल और विजया में छात्रों को देश भर के छात्रों से अलग प्रश्नपत्र दिए गए.
नीट जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं के प्रश्न-पत्र अमूमन सुरक्षा के दृष्टिकोण से सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों में रखे जाते हैं. झज्जर के केंद्रों के लिए प्रश्न-पत्रों के दो सेट थे. एक को एसबीआई और दूसरे को केनरा बैंक में रखा गया था.
परीक्षा केंद्रों पर दो सेट के प्रश्नपत्र होते हैं. एक जो छात्रों को दिया जाता है, और दूसरा पेपर लीक होने की परिस्थिति में इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इन दोनों केंद्रों पर छात्रों को दोनों सेट के प्रश्नपत्र बांट दिए गए. गलती का पता चलने पर परीक्षा केंद्र के कर्मियों ने छात्रों से एसबीआई बैंक का सेट वापस लेकर केनरा बैंक का सेट वितरित कर दिया. लेकिन गलती यह हुई कि इन दो केंद्रों के अलावा पूरे देश के केंद्रों पर एसबीआई वाले सेट के प्रश्नपत्र बांटे गए थे.
छात्रों के अनुसार, प्रश्नपत्र देने के दौरान हुई गड़बड़ी के कारण दोनों केंद्रों पर परीक्षा दे रहे छात्रों का काफ़ी समय बर्बाद हुआ.
छात्रों का यह भी कहना है कि केनरा बैंक वाला प्रश्नपत्र एसबीआई वाले प्रश्नपत्र के मुकाबले ज्यादा मुश्किल था. इसलिए उन्हें अतिरिक्त हानि हुई.
ग्रेस अंक किस आधार पर दिए गए?
अमूमन नीट की परीक्षा में सिर्फ़ एक-दो छात्र ही पूरे अंक हासिल कर पाते हैं. 2021 एकमात्र ऐसा साल है जहां तीन छात्रों को पूर्णांक हासिल हुए थे. लेकिन इस साल हरदयाल पब्लिक स्कूल पर परीक्षा देने वाले छह अभ्यर्थियों ने शत प्रतिशत अंक हासिल किए, और दो छात्रों ने 719 और 718 अंक हासिल किए.
देश भर में कुल 1,563 अभ्यर्थियों को ग्रेस अंक दिए गए, जिनके समय की हानि हुई थी. गौरतलब है कि हरदयाल पब्लिक स्कूल पर सभी छह पूर्णांक हासिल करने वालों को ग्रेस अंक दिए गए थे, जिन दो छात्रों के 719 तथा 718 अंक आए थे, उन्हें भी ग्रेस अंक मिले हैं.
इस पर कटाक्ष करते हुए झज्जर के एसआर सेंचुरी पब्लिक स्कूल केंद्र पर परीक्षा देने वाली एक छात्रा ने द वायर को कहा कि, ‘मैं कैसे टॉप करती, मेरा सेंटर हरदयाल थोड़े ही था?’
ग्रेस अंक को लेकर एनटीए ने कहा है कि परीक्षा केंद्रों पर समय की हानि होने के चलते उन छात्रों को ग्रेस अंक दिए गए जिन्होंने एनटीए के समक्ष आवेदन रखा था. लेकिन ऑफलाइन परीक्षा में एनटीए ने कैसे पता लगाया कि किन बच्चों का कितना समय बर्बाद हुआ है?
अभ्यर्थियों ने द वायर को यह भी बताया कि समय की हानि हरदयाल और विजया सीनियर सेकेंडरी स्कूल दोनों जगह हुई, लेकिन ग्रेस अंक सिर्फ हरदयाल के छात्रों को मिला. हालांकि हरदयाल के सभी छात्रों को ग्रेस अंक नहीं दिए गए, जबकि समय तो सभी छात्रों का खराब हुआ था.
झज्जर के एक कोचिंग सेंटर के जीव विज्ञान के एक शिक्षक ने द वायर से कहा की, ‘एनटीए कहती है कि ग्रेस अंक उसने उसी को दिए जिसने आवेदन दाखिल किया. लेकिन ऐसा क्यों? समय तो एक केंद्र के सभी बच्चों का बर्बाद हुआ था, तो उन बच्चों का क्या जो यह सोचते थे कि सबके साथ समान बर्ताव होगा?’
उन्होंने आगे कहा कि एनटीए को जब पता लग गया था कि एक केंद्र पर सभी बच्चों का समय बर्बाद हुआ है तो उसने सारे बच्चों के साथ समान बर्ताव क्यों नहीं किया ?
नीट से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान 13 जून, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेस मार्क्स रद्द कर दिए. कोर्ट ने ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1,563 बच्चों की परीक्षा 23 जून तक कराने और 30 जून से पहले परिणाम जारी करने को कहा था.