नई दिल्ली: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे ने एक प्रदर्शन कला कार्यक्रम के दौरान नाटक करने के लिए छात्रों पर जुर्माना लगाया गया और उन्हें संस्थान की छात्रावास सुविधाओं का उपयोग करने से रोक दिया गया.
कुछ लोगों ने आरोप लगाया है कि नाटक में भगवान राम और सीता का अपमान किया गया है.
संस्थान के रजिस्ट्रार द्वारा हस्ताक्षरित और ‘IITBforBharat’ एक्स एकाउंट द्वारा ऑनलाइन पोस्ट किए गए जुर्माने वाले पत्र की कथित तस्वीर में कहा गया है कि संस्थान के अनुशासनात्मक विभाग ने पिछले महीने नाटक के खिलाफ शिकायत पर विचार करने के लिए बैठक की और एक छात्र पर 1.2 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का फैसला किया.
बीते 4 जून को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि ‘छात्र ‘राहोवन’ नाम के नाटक के आयोजन में सीधे तौर पर शामिल था’ और उसे ‘जिमखाना पुरस्कार’ (gymkhana awards) से सम्मानित करने से भी रोक दिया गया. पत्र में कहा गया है कि छात्र को 30 जुलाई तक जुर्माना भरना है. साथ ही कहा गया है कि ‘उपरोक्त शर्तों का कोई भी उल्लंघन आगे की सज़ा का कारण बनेगा.’
टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक छात्र के हवाले से बताया है कि कम से कम सात अन्य छात्रों को नाटक में हिस्सा लेने के लिए सजा मिली है, जिसमें स्नातक छात्रों पर 1.2 लाख रुपये और जूनियर छात्रों पर 40,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया और उन्हें आईआईटी की छात्रावास सुविधाओं का उपयोग करने से रोक दिया गया.
सजा पाए छात्रों के एक सहयोगी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मार्च में प्रदर्शित यह नाटक रामायण की एक ‘नारीवादी’ पुनर्व्याख्या थी और तब न तो दर्शकों ने और न ही जजों ने इस पर आपत्ति जताई.
छात्रों ने कहा कि नाटक में शामिल आठ छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जिनमें जुलाई में स्नातक करने वाले छात्र भी शामिल हैं. स्नातक करने वाले छात्रों पर भारी जुर्माना लगाया गया, जबकि पढ़ाई जारी रखने वाले छात्रों पर कम जुर्माना लगाया गया और उन्हें छात्रावास से निलंबित कर दिया गया.
दूसरी ओर, IITBforBharat एकाउंट ने पिछले महीने एक पोस्ट में दावा किया था कि कम से कम 40 छात्रों ने संस्थान के अधिकारियों के पास नाटक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें मांग की गई कि नाटक में शामिल छात्रों को दंडित किया जाए और ‘सांस्कृतिक परिषद’ सार्वजनिक रूप से माफी मांगे.
यह नोटिस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ‘IITBforBharat’ द्वारा डाला गया था, जो एक कैंपस समूह है और ‘भारतीय सभ्यता के मूल्यों’ को बनाए रखने का दावा करता है. समूह ने पहले नाटक का विरोध किया था और संस्थान की कार्रवाई का स्वागत किया.
समूह की पोस्ट में लिखा था, ‘नाटक में रामायण को अपमानजनक तरीके से दर्शाया गया है. इन छात्रों ने भगवान राम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण का उपहास करने के लिए शैक्षणिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया.’
इस समूह द्वारा विश्वविद्यालय में कुछ विभागों या फैकल्टी पर ‘हिंदू विरोधी’ होने का आरोप लगाया जाता रहा है, या उन्हें नागरिकता (संशोधन) अधिनियम जैसी सरकारी नीतियों के खिलाफ विरोध करने के लिए निशाने पर लिया गया है.
आईआईटी बॉम्बे ने कई मीडिया संस्थानों के टिप्पणी के अनुरोध पर कोई जवाब नहीं दिया.