नीट और नेट इम्तिहान की आयोजक एजेंसी का रिपोर्ट कार्ड: निल बटे सन्नाटा

एनटीए की स्थापना उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश/फेलोशिप हेतु परीक्षा आयोजित करने वाले एक प्रमुख परीक्षा संगठन के रूप में की गई थी. लेकिन इसका रिपोर्ट कार्ड साल दर साल विफलता के नए पैमाने गढ़ रहा है.

एनटीए और शिक्षा मंत्रालय के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन. (फोटो साभार: फेसबुक/@officialaisa)

नई दिल्ली: मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) में गड़बड़ियों का मामला उफान पर ही था कि 19 जून को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी-नेट (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) को रद्द करने की घोषणा कर दी.

यूजीसी-नेट भारतीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश स्तर की शिक्षण नौकरी पाने और पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा है. इस परीक्षा का आयोजन एक दिन पहले ही यानी 18 जून को देश के 317 शहरों में हुआ था. शिक्षा मंत्रालय की घोषणा के मुताबिक, परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच सीबीआई करेगी.

नीट-यूजी और यूजीसी-नेट, दोनों का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) कराती है और दोनों ही परीक्षाओं पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. नीट-यूजी की तरह ही यूजीसी-नेट परीक्षा के आयोजन में भी परीक्षा केंद्रों पर अनियमितताएं देखे जाने की बात सामने आई है.

एनटीए की वेबसाइट कहती है कि इसकी स्थापना उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश/फेलोशिप हेतु परीक्षा आयोजित करने वाले एक प्रमुख परीक्षा संगठन के रूप में की गई है. इसे परीक्षा संचालन और परीक्षा अंकन तक के सभी चरणों का दायित्व सौंपा गया है. हालांकि, वर्तमान घटनाएं बताती हैं कि एनटीए दोनों बिंदुओं पर विफल रहा है. परीक्षा आयोजित कराने में उसकी ‘विशेषज्ञता’ सवालों के घेरे में है.

उम्मीदवारों की योग्यता का आकलन वह किस तरह कर रहा है, उसका प्रमाण नीट परीक्षार्थियों को दिए गए ग्रेस अंक हैं, जिनकी बदौलत नीट परीक्षा के इतिहास में पहली बार 67 टॉपर देखे गए हैं, जिन्होंने पूर्णांक (720 में से 720) प्राप्त किए हैं. यह आकलन ‘शोध आधारित अंतरराष्ट्रीय मानकों’ के साथ कतई मेल नहीं खाता, क्योंकि शायद ही विश्व में ऐसी कोई अन्य परीक्षा हो जिसमें इतनी बड़ी संख्या में टॉपर निकले हों.

इसकी ‘पारदर्शिता’ का स्तर यह है कि यूपी से लेकर बिहार और गुजरात तक परीक्षा आयोजित होने से पहले ही प्रश्नपत्र छात्रों और नकल माफियाओं तथा उनके एजेंटों के हाथ में थे. इस स्थिति में भला ‘त्रुटि रहित परिणामों’ की उम्मीद कैसे की जा सकती है?

एनटीए के उद्देश्य में भी उपरोक्त दो बिंदुओं से मेल खाती हुई बात लिखी है:

‘प्रवेश और भर्ती के लिए अभ्यर्थियों की योग्यता का आकलन करने हेतु कुशल, पारदर्शी और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप परीक्षा आयोजित करना.’

एनटीए का रिपोर्ट कार्ड: साल दर साल विफलता के नए पैमाने

एनटीए का कामकाज 2017 में इसके गठन के बाद से ही लगातार उपरोक्त दावों के विपरीत रहा है. नीट-यूजी 2024 और यूजीसी-नेट के अलावा भी पूर्व में इसके द्वारा आयोजित कराई गईं परीक्षाओं पर सवाल उठते रहे हैं.

सबसे पहला उदाहरण 2019 का मिलता है, जब शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई मेन) के दौरान सर्वर में खराबी आ गई और छात्रों को परीक्षा देने में परेशानी हुई. साथ ही, कुछ परीक्षा केंद्रों पर प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिकाओं के वितरण में देरी के भी मामले देखे गए.

जब एनटीए ने ली एक होनहार छात्रा की जान

वर्ष 2020 में तो एनटीए की चूक ने एक होनहार छात्रा की जान ले ली थी. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की विधि सूर्यवंशी को उस वर्ष की नीट-यूजी परीक्षा के परिणामों में मात्र 6 अंक दिए गए थे. विधि ने सदमे में आकर आत्महत्या कर ली. बाद में विधि की उत्तर पुस्तिका यानी ओएमआर शीट से पता लगा कि उन्हें वास्तव में 590 अंक मिलने चाहिए थे.

उसी वर्ष, इसी परीक्षा में एक और गड़बड़ी सामने आई. विधि की तरह ही राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में रहने वाले मृदुल रावत को एनटीए ने फेल घोषित कर दिया था. उन्हें 720 अंकों में से 329 अंक दिए गए. मृदुल ने अपने परीक्षा परिणाम को चुनौती दी. उनकी ओएमआर शीट के पुनर्मूल्यांकन के बाद सामने आया कि वह 650 अंक पाकर नीट-2020 परीक्षा में अनुसूचित जनजाति श्रेणी के टॉपर रहे.

वर्ष 2020 में ही एनटीए द्वारा आयोजित कराई गई जेईई मेन परीक्षा में असम के टॉपर और उनके पिता की गिरफ्तारी हुई थी, क्योंकि टॉपर बने छात्र की परीक्षा वास्तव में किसी और (प्रॉक्सी) ने दी थी, जिसे इसके एवज में भुगतान भी किया गया था. मामले में और भी तीन लोग गिरफ्तार किए गए थे. पुलिस ने एफआईआर दर्ज करके एक ‘बड़े रैकेट’ की बात की थी. एफआईआर के मुताबिक, मामले में एक शैक्षणिक संस्थान और परीक्षा निरीक्षक की संलिप्तता सामने आई थी.

नीट परीक्षा 2021 में भी थी विवादों के घेरे में, मामला पहुंचा था सुप्रीम कोर्ट

मौजूदा नीट परीक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद मांग की जा रही है कि उसे रद्द करके नए सिरे से फिर आयोजित कराया जाए. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा चुका है. नीट परीक्षा को लेकर 2021 में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी. तब परीक्षा होने से पहले ही पेपर लीक की खबरें आने लगी थीं. छात्रों ने परीक्षा स्थगित करने की और सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर अभियान भी चलाया था, लेकिन एनटीए ने इस पर ध्यान न देते हुए परीक्षा का आयोजन तय समय पर कराया. परीक्षा शुरू होने के आधे घंटे बाद ही प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर शेयर किया जाने लगा. मामले में राजस्थान पुलिस ने कई गिरफ्तारियां भी की थीं.

उत्तर प्रदेश से भी परीक्षा में धांधली का मामला सामने आया और यूपी पुलिस ने एक गिरोह का भांडाफोड़ किया जो 30-40 लाख रुपये में फर्जी परीक्षार्थियों को बैठाकर परीक्षा उतीर्ण कराने का ठेका लेता था. ऐसे दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थियों का डेटा पुलिस के हाथ लगा था, जिसे उसने एनटीए को भी भेजा.

महाराष्ट्र में भी सीबीआई ने एक फर्जीवाड़ा पकड़ा, जहां एक कोचिंग संस्थान नीट उम्मीदवारों की ओर से परीक्षा देने के लिए विशेषज्ञों और मेडिकल छात्रों को नियुक्त करता पाया गया. सीबीआई के अनुसार, छात्रों को 50 लाख रुपये में एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में सीट दिलाने का वादा किया गया था.

महाराष्ट्र में ही एक और मामला सामने आया जिसके चलते एनटीए को नीट परीक्षा का परिणाम रोकना पड़ा था. गलत सीरियल नंबर वाले प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिकाएं मिलने पर दो छात्र बॉम्बे हाईकोर्ट चले गए थे, जिसने एनटीए को उक्त छात्रों के लिए नए सिरे से परीक्षा आयोजित कराने का आदेश दिया. एनटीए द्वारा सुप्रीम कोर्ट का रुख किए जाने के बाद ही परीक्षा परिणाम जारी हो पाए थे.

एक और मामला केरल हाईकोर्ट पहुंचा था, जहां याचिकाकर्ताओं ने उनकी ओएमआर शीट से छेड़खानी किए जाने का दावा किया था. अदालत ने एनटीए को मामले की जांच के आदेश दिए थे.

उपलब्ध जानकारी बताती है कि तब विभिन्न राज्यों में परीक्षा के खिलाफ 5 एफआईआर दर्ज की गईं थीं.

परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद भी विवाद थमे नहीं. परिणाम घोषित होने के बाद, कई उम्मीदवारों ने उन्हें आवंटित अंकों और एनटीए द्वारा जारी अंतिम उत्तर कुंजी (आंसर की) में त्रुटियों और विसंगतियों का आरोप लगाया, और परीक्षा में घोटाले या अनियमितताओं के आरोप लगाकर फिर से परीक्षा की मांग की थी. छात्रों को दिए गए अंक एनटीए द्वारा जारी उत्तर पुस्तिका और ओएमआर शीट का उपयोग करके उनके द्वारा की गई मैनुअल गणना से मेल नहीं खाते थे.

उम्मीदवारों ने आरोप लगाया था कि आंसर की के आधार पर उनके द्वारा गणना किए गए अंक और मूल परिणाम में दिए गए अंकों में काफी अंतर है. कई छात्रों ने #NEETscam और #NEETResult2021 का इस्तेमाल करके अपनी चिंताओं को व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया था.

वहीं, परीक्षा में पूछे गए एक भौतिकी (फिजिक्स) के प्रश्न ने भी काफी तूल पकड़ा था, जिसे लेकर आंदोलन हुए. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट में एनटीए द्वारा पेश किए गए जवाब पर विशेषज्ञों ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि एनटीए की विशेषज्ञ समिति ने शीर्ष अदालत में गलत तथ्य पेश किए हैं. उनका दावा था कि एनटीए द्वारा विवादित प्रश्न का जो जवाब सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है, वह गलत है.

2021 में जेईई परीक्षा पर भी उठे थे सवाल

जेईई मेन 2021 का परीक्षा परिणाम एनटीए ने 20 उम्मीदवारों को धोखाधड़ी के लिए परीक्षा देने से रोकने की घोषणा करते हुए जारी किया था. मामले की जांच सीबीआई ने की. एनटीए ने भी सैकड़ों उम्मीदवारों को दायरे में लेकर एक समानांतर जांच कराई.

तब सीबीआई ने परीक्षा केंद्रों में धांधली का खुलासा किया था और कई गिरफ्तारियां भी की थीं. तब सामने आया था कि एक निजी शिक्षण संस्थान ने हैकिंग के सहारे परीक्षा में हेरफेर किया था और 15 लाख रुपये लेकर छात्रों को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआईटी) में प्रवेश दिलाया था.

एनटीए ने 2022 में भी बरकरार रखा अपना दागदार रिकॉर्ड

एनटीए के लिए 2022 भी दागदार रहा. जेईई (मेन) की परीक्षा के दौरान देश भर के विभिन्न हिस्सों से सर्वर डाउन होने की समस्याएं सामने आईं. कहीं परीक्षा देरी से शुरू हो सकी तो कहीं प्रश्न ही पूरे लोड नहीं हुए. लिहाजा, एनटीए को कुछ केंद्रों पर बाद में फिर से परीक्षा आयोजित करानी पड़ी थी.

इस साल भी नीट परीक्षा विवादों में रही. सीबीआई ने एक सॉल्वर गिरोह का भांडाफोड़ करते हुए परीक्षा के अगले ही दिन 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया, जो दिल्ली और हरियाणा के छात्रों से मोटा पैसा लेकर परीक्षार्थी की जगह सॉल्वर से परीक्षा दिलाती थी.

राजस्थान में नीट परीक्षा को लेकर सांसद हनुमान बेनीवाल ने खुलासा किया कि एक परीक्षा केंद्र पर निर्धारित समय के बाद भी परीक्षा हो रही थी.

आज नागौर जिले के कुचामन में स्थित सेंट पोल्स स्कूल में नीट -2022 की परीक्षा अभी भी चल रही है जबकि पेपर पूर्ण होने का समय शाम को 05:20 ही था ऐसे में मामला संज्ञान में आने के बाद तत्काल जिला कलक्टर व जिला पुलिस अधीक्षक से दूरभाष पर वार्ता की
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— HANUMAN BENIWAL (@hanumanbeniwal) July 17, 2022

इसके अतिरिक्त राज्य से पेपर बदलने की खबरें भी सामने आईं. छात्रों और अभिभावकों ने फिर से परीक्षा कराए जाने की मांग करते हुए एनटीए को पत्र भी लिखा.

Students and parents given letter to @DG_NTA regarding mistakes and irregularities happened during yesterday. NTA must look into this matter, why due to irresponsibility of authority student will suffer?#NEETUG2022 #NEETUG #NEET2022 #NEETUGSecondAttempt pic.twitter.com/P51OjxYdjv

— Subodh Kumar Singh(Parody) (@supreme_nta) July 18, 2022

केरल में नीट से जुड़ा एक विवाद हिंसा का कारण बना, जहां महिला छात्राओं से परीक्षा केंद्र में चेकिंग के नाम पर उनके अंडरगारमेंट्स उतरवाए गए. मामले में एक नीट पर्यवेक्षक और परीक्षा समन्वयक समेत परीक्षा ड्यूटी में तैनात कई कर्मचारियों की गिरफ्तारी भी हुई. एनटीए ने मामले में एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम का भी गठन किया था. बाद में, एनटीए को प्रभावित छात्राओं के दोबारा परीक्षा का आयोजन कराना पड़ा था. छात्राओं ने केरल हाईकोर्ट का भी रुख किया था.

वहीं, राजस्थान के कोटा और महाराष्ट्र के वासिम में हिजाब पहनीं मुस्लिम छात्राओं को परीक्षा देने से रोके जाने की घटनाएं सामने आईं.

राजस्थान के श्रीगंगानगर में दोबारा परीक्षा कराए जाने की स्थिति बनी. वहां अंग्रेजी- हिंदी के प्रश्नपत्रों के आपस में मिलने के चलते छात्रों को गलत माध्यम के प्रश्नपत्र बांट दिए गए. साथ ही, फोटोकॉपी की हुईं ओएमआर शीट छात्रों को उपलब्ध कराए जाने की बात सामने आई थी. मामले में स्वास्थ्य मंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा था.

सीयूईटी के 2022 में हुए पहले ही संस्करण में बड़े पैमाने पर देखी गई थीं अनियमितताएं

2022 में एनटीए द्वारा कराए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी)-यूजी के पहले ही संस्करण में कई गडबड़ियां देखी गईं, जिनके चलते परीक्षाएं रद्द करने की नौबत आई. इस परीक्षा में बैठे 14.9 लाख छात्र लगातार परेशानियों से जूझते रहे. पहले चरण में आयोजित परीक्षा में कई छात्र इसलिए परीक्षा नहीं दे सके क्योंकि परीक्षा की एक रात पहले उनका परीक्षा केंद्र बदल दिया गया. इसके चलते कई परीक्षा केंद्रों पर छात्रों को प्रवेश नहीं मिला. उल्टा एनटीए ने ऐलान कर दिया कि एक रात पहले जिन छात्रों को परीक्षा केंद्र बदले जाने की सूचना ईमेल और एसएमएस के माध्यम से भेजी गई थी, उन्हें परीक्षा देने का मौका वापस नहीं दिया जाएगा.

दूसरे चरण (4 अगस्त) के पहले दिन की दूसरी पाली की परीक्षा गडबड़ियों की बात सामने आने पर सभी केंद्रों पर रद्द कर दी गई.

तीसरे चरण में भी 11,000 से अधिक उम्मीदवारों के लिए परीक्षा को स्थगित किया गया. यहां तक कि ऐसे भी मामले सामने आए जहां छात्रों की परीक्षा देने की तारीख उन्हें बिना कोई सूचना दिए ही बदल दी गई.

कई अभ्यर्थियों को ऐसे एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए, जिन पर अंकित परीक्षा तिथि पहले ही बीत चुकी थी.

चौथे चरण में तकनीकी खामियों के चलते 13 केंद्रों पर करीब नौ हजार छात्रों के लिए परीक्षा रद्द करनी पड़ी.

वहीं, एनटीए द्वारा लगभग हर परीक्षा में की जाने वाली एक आम चूक ‘एक माध्यम (हिंदी या अंग्रेजी) के छात्र को दूसरे माध्यम (अंग्रेजी या हिंदी) का पेपर थमा देना‘, इस परीक्षा में भी देखी गई थी.

नीट 2023 पर भी पड़ी थी गड़बड़ियों का काली छाया

नीट 2023 परीक्षा में अभ्यर्थियों से पैसे लेकर उनके स्थान पर परीक्षा देने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने एम्स के चार मेडिकल छात्रों को गिरफ्तार किया था. एम्स का ही एक छात्र रैकेट का मास्टरमाइंड बताया गया था.

नीट और यूजीसी-नेट के अलावा 2024 में अन्य परीक्षाएं भी रहीं विवादों में

बहरहाल, मौजूदा साल में नीट और यूजीसी-नेट के अलावा सीयूईटी को लेकर भी पेपर लीक के आरोप लग चुके हैं. बीते माह कानपुर में छात्रों ने विरोध भी दर्ज कराया था और पत्थरबाजी भी हुई. कुछ ने पेपर लीक का आरोप लगाया था, तो कुछ न पेपर न मिलने की शिकायत की थी.

वहीं, 2022 की तरह ही इस बार भी छात्रों की शिकायत देखी गई कि परीक्षा से ऐन पहले उनके परीक्षा केंद्रों में बदलाव कर दिया गया. साथ ही, गलत माध्यम का पेपर थमा देने की घटनाएं इस बार भी देखी गईं. कानपुर की घटना को गलत माध्यम का पेपर थमाने से जोड़ते हुए प्रभावित छात्रों के लिए नए सिरे से परीक्षा आयोजित कराने का आदेश देना पड़ा, जबकि पेपर लीक की बात खारिज कर दी गई.

एनटीए ने दिल्ली के सभी केंद्रों पर सीयूईटी परीक्षा को अचानक ही रीशेड्यूल कर दिया, और इस स्थगन के पीछे का कोई स्पष्ट कारण न बताते हुए ‘अपरिहार्य कारणों’ का हवाला दिया गया.

इसके अलावा, परीक्षा से कुछ ही घंटों पहले एडमिट कार्ड जारी करने और एडमिट कार्ड डाउनलोड होने में समस्या आने जैसी कई और भी अनियमितताएं देखी गईं.

जेईई (मेन) 2024 दौरान भी परिणाम घोषित होने के बाद कुछ छात्रों ने प्रतिशत गणना में त्रुटियों और शिफ्टों में उम्मीदवारों के असमान वितरण के आरोप लगाए थे. कई छात्रों ने जेईई मेन के अंकों और प्राप्त अंकों में अंतर का आरोप लगाया, उनका दावा था कि दो शिफ्टों में अन्य की तुलना में अधिक छात्र बैठे थे, जिससे विसंगतियां हुईं. एनटीए को इस पर सफाई देनी पड़ी थी.

वहीं, जेईई (मेन) में सॉल्वर से परीक्षा दिलवाने, परीक्षा में धोखाधड़ी आदि संबंधी कई मामलों की जानकारी स्वयं एनटीए ने ही दी थी.