नई दिल्ली: बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने बुधवार को बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव पर राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) के पेपर लीक में शामिल होने का आरोप लगाया है.
5 मई को बिहार में पेपर लीक के आरोपों की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने कहा है कि उसकी जांच में ‘पेपर लीक’ होने के संकेत सामने आए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कथित पेपर लीक में शामिल गिरोह के सदस्यों के पटना के एक सरकारी गेस्ट हाउस में रुकने की खबरों के बीच सिन्हा ने कहा, ‘मैं जानकारी एकत्र कर रहा हूं, जिन लोगों को एनएचएआई गेस्ट हाउस से पकड़ा गया है, वे प्रीतम कुमार से जुड़े हुए हैं. प्रीतम कुमार तेजस्वी यादव के करीबी हैं.
सिन्हा ने आगे कहा, ‘हम पूरे मामले की जानकारी जुटा रहे हैं. चुनाव के कारण अभी तक हम पूरी जानकारी नहीं जुटा सके हैं. हम इसकी समीक्षा करेंगे और जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि कौन सा मंत्री और कौन लोग इस गेस्ट हाउस का उपयोग कर रहे थे. मैंने अपने विभाग में चेतावनी जारी कर दी है और मैं भी कार्रवाई करूंगा और पता लगाऊंगा कि बुकिंग किसके कहने पर की गई थी.’
उन्होंने कहा, ‘ये बड़ा मामला है. हमने पहले भी कहा है कि राजद की मानसिकता अपराधियों को प्रशिक्षित करना, पालन-पोषण करना तथा उन्हें प्रोत्साहित करना है. उच्च स्तरीय जांच में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा.’
राजद ने बयान को गैर-जिम्मेदाराना बताया
राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने उप मुख्यमंत्री के इस बयान पर इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘सबसे पहले बिहार के डिप्टी सीएम सिन्हा को छिटपुट मीडिया रिपोर्टों के आधार पर कोई गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए. आर्थिक अपराध इकाई को अपनी चल रही जांच में जो मिला है, उस पर अमल करना चाहिए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जहां तक नीट मामले के मुख्य आरोपी सिकंदर यदुवंशी और विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के कर्मचारी के कथित संबंध का सवाल है, तो यह एनडीए सरकार को बताना चाहिए कि यदुवंशी को 2012 में जूनियर इंजीनियर की नौकरी कैसे मिली थी और उन्हें दानापुर में पोस्टिंग के साथ 2021 में टाउन प्लानिंग विभाग में कैसे ट्रांसफर किया गया.’
उधर, बिहार ईओयू की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने कहा है कि कई उम्मीदवारों के प्रवेश पत्र, पोस्ट-डेटेड चेक और प्रमाण पत्र एक ‘संगठित अंतर्राज्यीय गिरोह’ के सदस्यों के पास से जब्त किए गए थे. एसआईटी ने पिछले महीने पटना पुलिस से जांच की जिम्मेदारी ली थी.
मामले में अब तक गिरफ्तार किए गए 13 लोगों में से चार लोग ऐसे हैं जिन्होंने नीट की परीक्षा दी थी. शेष उनके माता-पिता और संगठित गिरोह के सदस्य हैं, जिन्होंने कथित तौर पर रामकृष्ण नगर थानाक्षेत्र के एक स्कूल में परीक्षा से पहले 35 उम्मीदवारों को इकट्ठा किया था और एक नकली परीक्षा आयोजित की थी.
ईओयू के एक अधिकारी ने अख़बार को बताया था कि उन्हें कथित तौर पर उत्तरों के साथ नीट के प्रश्नपत्र प्राप्त हुआ था.
शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार (19 जून) रात एक बयान में कहा कि बिहार पुलिस से रिपोर्ट मांगी गई है. इस रिपोर्ट के मिलने पर सरकार आगे की कार्रवाई करेगी.
अखबार के अनुसार, कथित पेपर लीक मामले में बिहार पुलिस की जांच के घेरे में आए पटना के 13 उम्मीदवारों में से आठ ने 720 में से 500 से कम अंक हासिल किए हैं.
पांच मई को हुई नीट परीक्षा में शामिल होने के लिए 24 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था. इनमें 23.33 लाख बच्चे परीक्षा में शामिल हुए. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, परीक्षा के परिणाम 14 जून को घोषित होने थे. हालांकि, रिज़ल्ट दस दिन पहले यानी चार जून को घोषित कर दिए गए.