नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश से संबंधित आईपीसी की धाराएं – 420 और 120बी लगाते हुए गुरुवार (20 जून) को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पेपर लीक मामले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर अपराध अधिकारियों से यह जानकारी मिलने के बाद कि 18 जून को आयोजित होने वाले परीक्षा की शुचिता से समझौता किया गया है, शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को परीक्षा को रद्द कर दिया था.
इसमें कहा गया है कि सीबीआई परीक्षा की शुचिता में सेंध की जांच करेगी.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को कहा था कि सहायक प्रोफेसर और जूनियर रिसर्च स्कॉलरों (जेआरएफ) की भर्ती के लिए आयोजित परीक्षा का प्रश्न पत्र ‘डार्कनेट’ पर लीक हो गया था.
डार्क नेट का मतलब ऐसे नेटवर्क से है, जिन तक केवल विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि यह लीक नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) – जिसने यह परीक्षा आयोजित की थी – की ओर से हुई ‘संस्थागत विफलता’ को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि सरकार एक सुधार समिति बनाएगी और जिम्मेदारी तय करेगी.
परीक्षा देने वाले कुछ छात्रों ने द वायर को बताया था कि वे पेपर लीक और रद्द होने से निराश हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें परीक्षा केंद्र पर पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ी या उन्हें भीषण गर्मी में परीक्षा देनी पड़ी.
नेट की परीक्षा देने वाले एक अभ्यर्थी रविकांत वर्मा ने कहा, ‘वे हमारे और हमारे भविष्य के साथ खेल रहे हैं. हमें कोई मुआवजा नहीं दिया गया है. हम गरीब परिवारों से आते हैं, हम परीक्षा देने के लिए 300 किलोमीटर दूर से यात्रा करते हैं, होटलों में रुकते हैं, जिनका किराया 1,000 रुपये से कम नहीं है और फिर वापस लौट जाते हैं.’
कई छात्र समूहों ने भी परीक्षा रद्द होने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है, जबकि विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह पेपर लीक को रोकने में असमर्थ है.
इस बीच, विपक्ष ने भी केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन का युद्ध रुकवाने का दावा करते हैं लेकिन पेपर लीक नहीं रुकवा पा रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘कहा जा रहा था कि मोदी ने एक ऑर्डर देकर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रोक दिया था, इजरायल ग़ाज़ा के युद्ध को भी रोक दिया था, लेकिन किसी न किसी कारण भारत में जो पेपर लीक हो रहे हैं, उन्हें नरेंद्र मोदी रोक नहीं पा रहे हैं या रोकना नहीं चाहते हैं.’
उल्लेखनीय है कि नीट-यूजी परीक्षा में अनियमितताओं के आरोपों के बाद नेट को रद्द किया गया था, जिसके बाद शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि वे इसके लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं और इसमें शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा.
नीट को लेकर बताया गया है कि बिहार की आर्थिक अपराध इकाई की पुलिस राज्य में हुए पेपर लीक के आरोपों की जांच कर रही है. मीडिया रिपोर्टों में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि अब तक चार नीट-यूजी उम्मीदवारों सहित तेरह लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
जिस दिन शिक्षा मंत्रालय ने नेट परीक्षा को रद्द किया, उसने कहा था कि उसने आर्थिक अपराध इकाई से उनकी जांच की एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.