नई दिल्ली: यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने के 48 घंटे से भी कम समय में शिक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) से 25 से 27 जून तक होने वाली सीएसआईआर-यूजीसी नेट परीक्षा को स्थगित करने के लिए कहा.
बताया जा रहा है कि यह परीक्षा भी डार्क वेब पर लीक होने की सूचना और दावों के मद्देनजर ‘अत्यधिक सावधानी’ के तौर पर स्थगित की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा सिलसिलेवार बैठकों के बाद यह निर्णय लिया गया, जिसमें यूजीसी के अध्यक्ष एमज. गदीश कुमार और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा भी शामिल हुए.
यह उसी दिन हुआ जब कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने केंद्र के नए पेपर लीक विरोधी कानून, सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 को अधिसूचित किया, जिसे फरवरी में संसद में पारित किया गया था.
एनटीए दिसंबर 2019 से यूजीसी और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की ओर से ऑनलाइन मोड में सीएसआईआर-यूजीसी नेट का आयोजन कर रहा है. 25 से 27 जून तक सीएसआईआर-यूजीसी नेट परीक्षा में लगभग 2 लाख उम्मीदवारों के शामिल होने उम्मीद थी.
सूत्रों ने बताया कि पता चला है कि शुक्रवार को शिक्षा मंत्री को मैसेजिंग ऐप पर चल रहे कुछ दावों से अवगत कराया गया था कि सीएसआईआर-यूजीसी नेट का पेपर लीक हो गया है. हालांकि शिक्षा मंत्रालय को गृह मंत्रालय या I4C (साइबर अपराध से लड़ने के लिए गृह मंत्रालय का केंद्र) से इस तरह का कोई इनपुट नहीं मिला था- जैसा कि यूजीसी-नेट के मामले में मिला था – लेकिन यह तय किया गया कि पेपर की शुचिता पर संदेह की कोई गुंजाइश न रहे, इसके लिए परीक्षा स्थगित कर दी जानी चाहिए.
अब एनटीए को नया प्रश्नपत्र तैयार करने के बाद परीक्षा आयोजित करने के लिए कहा गया है.
हालांकि, शुक्रवार रात सार्वजनिक तौर पर पोस्ट किए गए अपने आधिकारिक नोटिस में एनटीए ने घोषणा की कि अपरिहार्य परिस्थितियों के साथ-साथ ‘लॉजिस्टिक मुद्दों’ के कारण परीक्षा स्थगित कर दी गई थी.
सीएसआईआर-यूजीसी नेट जून और दिसंबर में आयोजित होने वाली एक अर्धवार्षिक परीक्षा है और यह भारतीय विश्वविद्यालयों में जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) और विज्ञान में लेक्चरर के पद के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए एक अर्हक परीक्षा के रूप में कार्य करती है, जिससे यह पीएचडी प्रवेश के लिए एक महत्वपूर्ण मानदंड बन जाता है.
भारतीय विज्ञान संस्थान और यहां तक कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान पीएचडी कार्यक्रमों के लिए आवेदन करने हेतु पात्रता योग्यता के रूप में सीएसआईआर-यूजीसी नेट को स्वीकार करते हैं. दूसरी ओर, यूजीसी-नेट पीएचडी प्रवेश और विज्ञान को छोड़कर सभी विषयों में उच्च शिक्षा में प्रवेश स्तर की शिक्षण नौकरियों को खोजने के लिए एक शर्त है.
सीएसआईआर नेट परीक्षा के तीन पार्ट हैं: पार्ट ए, बी और सी. पार्ट ए में सामान्य योग्यता के प्रश्न होते हैं और पार्ट बी और सी में उम्मीदवारों द्वारा पांच विकल्पों में से चुने गए विषयों पर आधारित प्रश्न होते हैं – रासायनिक विज्ञान, पृथ्वी विज्ञान, जीवन विज्ञान, गणितीय विज्ञान और भौतिक विज्ञान.
सीएसआईआर-यूजीसी नेट को स्थगित करने का फैसला ऐसे समय में आया है जब शिक्षा मंत्रालय और एनटीए 5 मई को आयोजित नीट स्नातक परीक्षा से संबंधित अनियमितताओं और पेपर लीक के आरोपों से जूझ रहे हैं, जो देश में सभी एमबीबीएस कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए महत्वपूर्ण है.
इस सिलसिले में बिहार पुलिस ने 13 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें नीट देने वाले चार उम्मीदवार, साथ ही उनके माता-पिता और एक संगठित गिरोह के सदस्य शामिल हैं, जिन्होंने कथित तौर पर रामकृष्ण नगर थानाक्षेत्र के तहत एक स्कूल में परीक्षा से पहले 35 उम्मीदवारों को इकट्ठा किया और एक नकली परीक्षा आयोजित की. उन्हें कथित तौर पर वहां उत्तरों के साथ नीट प्रश्नपत्र प्राप्त हुआ.
हालांकि केंद्र सरकार शुरू में बचाव का रुख अख्तियार किए हुई थी, लेकिन गुरुवार को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पहली बार स्वीकार किया कि कुछ त्रुटियां विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित हैं. उन्होंने पेपर लीक के आरोपों की बिहार की जांच का भी जिक्र किया. उन्होंने युवाओं और छात्रों के बीच विश्वास की कमी के लिए नैतिक जिम्मेदारी भी ली.
उन्होंने घोषणा की कि सरकार बिहार पुलिस की जांच की स्थिति पर अंतिम रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद नीट-यूजी 2024 परीक्षा के भाग्य पर फैसला करेगी.
सूत्रों के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय को शुक्रवार शाम तक बिहार पुलिस की रिपोर्ट नहीं मिली थी. हालांकि, पता चला है कि फिलहाल सरकार नीट-यूजी को रद्द करने और सभी 24 लाख उम्मीदवारों के लिए देश भर में फिर से परीक्षा आयोजित करने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि उसका मानना है कि इससे बड़ी संख्या में छात्रों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को ‘विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित’ समस्या के लिए अनुचित रूप से दंडित करने जैसा होगा. लेकिन एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि बिहार पुलिस की रिपोर्ट मिलने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
गुरुवार को प्रधान ने यूजीसी-नेट लीक के लिए एनटीए के भीतर जिम्मेदारी तय करने और इसकी संरचना और कार्यप्रणाली की समीक्षा करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की भी घोषणा की. इस समिति को सप्ताहांत में इसके संदर्भ की शर्तों के साथ अधिसूचित किए जाने की उम्मीद है.
यूजीसी-नेट पेपर लीक मामले की जांच में पाया गया है कि प्रश्नपत्र रविवार को ही लीक हो गया था और डार्कनेट और एन्क्रिप्टेड सोशल मीडिया चैनल पर जारी किया गया था. सूत्रों ने कहा कि संदेह है कि प्रश्नपत्र 5 लाख रुपये से अधिक की राशि में बेचा जा रहा था.
शिक्षा मंत्रालय की शिकायत के बाद सीबीआई ने गुरुवार को इस मामले में एफआईआर दर्ज की. धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
पेपर लीक विरोधी कानून लागू
नीट-यूजी के नतीजों पर विवाद और पेपर लीक के कारण यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द होने के बीच सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 – केंद्रीय भर्ती और केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए परीक्षाओं में पेपर लीक विरोधी कानून – जिसे फरवरी में संसद द्वारा पारित किया गया था – शुक्रवार को लागू हो गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी एक राजपत्र अधिसूचना में कहा गया, ‘सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 (2024 का 1) की धारा 1 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार 21 जून, 2024 को उक्त अधिनियम के प्रावधानों के लागू होने की तिथि के रूप में नियुक्त करती है.’
सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम – यूपीएससी, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे भर्ती बोर्ड, बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस) और जेईई, एनईईटी-नीट और सीयूईटी जैसे केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों के लिए प्रवेश परीक्षाओं द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं में धांधली करने के लिए अनुचित साधनों के उपयोग के खिलाफ पहला राष्ट्रीय कानून है – जो इन परीक्षाओं के संचालन में अनुचित साधनों से संबंधित मुद्दों को संबोधित करता है, जो भारतीय न्याय संहिता के दायरे में नहीं आते हैं.
पेपर लीक विरोधी कानून में उम्मीदवार बनकर पेपर हल करने में शामिल होने और परीक्षा धोखाधड़ी की रिपोर्ट न करने वालों के लिए 3-5 साल की जेल की सजा और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. धोखाधड़ी और अन्य कदाचार के संगठित अपराधों में शामिल लोगों को 5-10 साल की कैद और न्यूनतम 1 करोड़ रुपये का जुर्माना देना होगा.
प्रस्तावित कानून का जोर पेपर लीक, पेपर हल करने, फर्जी उम्मीदवार बनने और कंप्यूटर संसाधनों में हैकिंग में लगे व्यक्तियों, संगठित माफिया और संस्थानों पर नकेल कसना है, जो अक्सर पैसे या गलत लाभ के लिए ‘सिस्टम’ के भीतर तत्वों के साथ मिलीभगत करते हैं.
कानून के अनुसार, सार्वजनिक परीक्षाओं में धांधली करने के दोषी पाए जाने वाले सेवा प्रदाताओं और संस्थानों को कानून के अनुसार परीक्षा की आनुपातिक लागत वहन करनी होगी.