नई दिल्ली: सार्वजनिक परीक्षाओं के आयोजन पर बढ़ते विवाद के मद्देनजर, केंद्र सरकार ने शनिवार (22 जून) को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) में अनियमितताओं की जांच का केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आदेश दिया है और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के प्रमुख सुबोध कुमार सिंह को उनके पद से हटा दिया है. वहीं, नीट-पीजी 2024 की परीक्षा को भी स्थगित कर दिया गया है.
सरकार द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘5 मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा में कथित अनियमितताओं, धोखाधड़ी, सॉल्वर से परीक्षा दिलवाने और कदाचार के कुछ मामले सामने आए हैं. परीक्षा प्रक्रिया के संचालन में पारदर्शिता लाने के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने समीक्षा के बाद इस मामले को व्यापक जांच के लिए सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है.’
वहीं, कार्मिक मंत्रालय ने एनटीए के महानिदेशक के रूप में कार्यरत सुबोध कुमार सिंह की जगह सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी प्रदीप सिंह खरोला को नियुक्त किया है. खरोला भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) के अध्यक्ष हैं और उन्हें नियमित पदाधिकारी की नियुक्ति तक या अगले आदेश तक एनटीए के महानिदेशक के रूप में अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.
नीट-पीजी परीक्षा स्थगित
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि एक अन्य बड़े फैसले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सार्वजनिक परीक्षाओं के आयोजन पर बढ़ते विवाद के बीच नीट-पीजी 2024 की परीक्षा को ‘एहतियाती उपाय’ के रूप में स्थगित कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘यह निर्णय छात्रों के सर्वोत्तम हित में और परीक्षा प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने के लिए लिया गया है. परीक्षा की नई तारीखों की जल्द से जल्द घोषणा की जाएगी.’
देश भर में लगभग 52,000 स्नातकोत्तर सीटों के लिए हर साल लगभग 2 लाख एमबीबीएस स्नातक परीक्षा में बैठते हैं.
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह परीक्षा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित नहीं की जाती है, जो वर्तमान में नीट-यूजी विवाद में उलझी हुई है. नीट-पीजी का आयोजन राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान परीक्षा बोर्ड द्वारा किया जाता है.
इससे पहले, विपक्षी दलों ने भी यह परीक्षा स्थगित किए जाने की मांग की थी. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक्स पर कहा था, ‘नीट-यूजी परीक्षा के आयोजन को लेकर लगे आरोपों को देखते हुए, मैं सरकार से 23 जून को होने वाली नीट-पीजी परीक्षा को स्थगित करने का आग्रह करता हूं.’
शिक्षा मंत्रालय ने गठित की उच्च स्तरीय समिति
इससे पहले, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षाओं के पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन को सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति भी गठित की थी.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली इस समिति में अध्यक्ष सहित सात सदस्य होंगे.
समिति का काम परीक्षा प्रक्रिया के तंत्र में सुधार, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार और एनटीए की संरचना तथा कार्यप्रणाली पर सिफारिशें पेश करना होगा, जो परीक्षा आयोजित करने के लिए जिम्मेदार है. एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि समिति दो महीने के भीतर मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
Ministry of Education constitutes a High-Level Committee of Experts under the chairmanship of Dr. K. Radhakrishnan, Former Chairman, ISRO and Chairman BoG, IIT Kanpur, to ensure transparent, smooth and fair conduct of examinations.
The Committee to make recommendations on…
— Ministry of Education (@EduMinOfIndia) June 22, 2024
समिति के सदस्य अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया; हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीजे राव; आईआईटी मद्रास के सिविल इंजीनियरिंग विभाग से सेवानिवृत्त प्रोफेसर राममूर्ति; कर्मयोगी भारत के सह-संस्थापक और बोर्ड सदस्य पंकज बंसल; आईआईटी दिल्ली में छात्र मामलों के डीन प्रोफेसर आदित्य मित्तल; और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव गोविंद जयसवाल शामिल हैं.
बता दें कि, इससे पहले 21 जून को प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी के आरोपों का सामना करने के बाद केंद्र सरकार ने एक कानून लागू किया था, जिसका उद्देश्य ऐसी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं पर कुछ हद तक सख्ती से अंकुश लगाना है. सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 में अधिकतम 10 साल की जेल की सजा और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.
अधिसूचना में कहा गया है, ‘सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 (2024 का 1) की धारा 1 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार 21 जून 2024 को ऐसी तारीख के रूप में नियुक्त करती है, जिस दिन उक्त अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे.’
यह अधिनियम, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), रेलवे और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी सहित अन्य द्वारा आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं को कवर करता है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने करीब चार महीने पहले इस कानून को मंजूरी दे दी थी. इसी बीच, भारत में डेढ़ महीने लंबे लोकसभा चुनाव हुए.
जब इस साल की शुरुआत में कानून लाया गया था, तो कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि विधेयक में ‘दंडात्मक उपाय हैं लेकिन निवारक उपाय शामिल नहीं हैं’. उन्होंने यह भी कहा था कि विधेयक केंद्र सरकार को ‘महत्वपूर्ण अधिकार’ देता है, जिसके चलते जांच के दौरान केंद्र का नियंत्रण काफी मजबूत होगा.
गौरतलब है कि इस साल जून में पेपर लीक और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी के आयोजन को लेकर अनियमितताओं के गंभीर आरोप सामने आए हैं. जब यह मुद्दा तूल पकड़ रहा था, तब यूजीसी-नेट परीक्षा (जो एनटीए द्वारा ही आयोजित की गई थी) को पेपर लीक के संदेह के कारण सरकार ने रद्द कर दिया. सीबीआई ने इस मामले में भी केस दर्ज कर लिया है.
पिछले 24 घंटों में सीएसआईआर-नेट और बिहार टीईटी परीक्षा भी स्थगित कर दी गई हैं.