नई दिल्ली: नीट-यूजी, यूजीसी-नेट और नीट-पीजी परीक्षाओं के स्थगन और पेपर लिक के आरोपण के बीच सामने आया है कि इन इम्तिहानों का आयोजन करने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) 25 से कम स्थायी कर्मचारियों के साथ 25 परीक्षाएं संभालती है.
द टेलीग्राफ ने शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों के हवाले से यह जानकारी दी है. अख़बार से एक विशेषज्ञ ने कहा कि केंद्र ने एजेंसी को ‘उसकी क्षमता से ज्यादा काम करने’ का निर्देश देकर परीक्षाओं के साथ जुआ खेला है.
एनटीए के संचालन से वाकिफ पूर्व शिक्षा प्रशासकों और उच्च शिक्षा फैकल्टी ने बताया है कि अपर्याप्त आंतरिक विशेषज्ञता के कारण एजेंसी ने पेपर-सेटिंग, पेपर वितरण और डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल को निजी तकनीकी सेवा प्रदाताओं सहित बाहरी विशेषज्ञों को आउटसोर्स कर दिया है.
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने पिछले सप्ताह नीट-यूजी में कथित अनियमितताओं और पीएचडी प्रवेश और कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों की भर्ती के लिए आयोजित यूजीसी-नेट में संभावित पेपर लीक के लिए संस्थागत विफलता को जिम्मेदार ठहराया था. दोनों परीक्षाएं एनटीए ने ही आयोजित की थीं.
इसके साथ ही एनटीए देश भर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए जेईई मेन, प्रबंधन संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन मैनेजमेंट एडमिशन टेस्ट और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सामान्य पाठ्यक्रमों के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) भी आयोजित करता है.
शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व सचिव आर. सुब्रह्मण्यम ने अख़बार से कहा, ‘एजेंसी की परिकल्पना एक पेशेवर, दक्ष, कुशल इकाई के रूप में की गई थी, जिसे सक्षम और विश्वसनीय तकनीकी साझेदारों के साथ केवल ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने के लिए आवश्यक पद दिए गए थे.’
केंद्र ने सितंबर 2018 में एनटीए की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य अमेरिका में एजुकेशनल टेस्टिंग सर्विस (ईटीएस) की तर्ज पर एक एजेंसी बनाना था, जो एक निजी परीक्षण और मूल्यांकन निकाय है जो कॉलेज और विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए स्कोलास्टिक एप्टीट्यूड टेस्ट और ग्रेजुएट रिकॉर्ड परीक्षा का संचालन करता है.
लेकिन जहां ईटीएस में 200 से अधिक कर्मचारी हैं, वहीं एनटीए में अन्य सरकारी विभागों से प्रतिनियुक्ति (डेप्युटेशन) पर आए लगभग एक दर्जन अधिकारी और निश्चित अवधि के अनुबंध पर अस्थायी कर्मचारी ही हैं.
एनटीए के संचालन से परिचित शिक्षा प्रशासकों का कहना है कि प्रश्नपत्रों के एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन सहित प्रमुख कार्य निजी एजेंसियों को आउटसोर्स किए जाते हैं.
सुब्रह्मण्यम ने अखबार को बताया, ‘इसका उद्देश्य एनटीए को कर्मचारियों की संख्या कम रखना था, साथ ही इसकी विश्वसनीयता को बनाए रखना था. चूंकि ऑनलाइन परीक्षण में उच्च स्तर की सूचना प्रौद्योगिकी और मजबूत डिजिटल सुरक्षा शामिल होती है, इसलिए इस तरह के संचालन में पारंगत तकनीकी भागीदारों के साथ काम करने के बारे में सोचा गया.’
उन्होंने कहा कि परीक्षा केंद्रों की तैयारी और प्रश्नपत्रों को सुरक्षित डिजिटल नेटवर्क के माध्यम से एन्क्रिप्शन के बाद परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने जैसे कार्य तकनीकी भागीदारों की मदद से किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि शुरुआती वर्षों में साझेदार तकनीकी एजेंसी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) थी.
सुब्रह्मण्यम ने कहा, ‘तकनीकी साझेदार का चयन एक कठोर प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है… एजेंसी का चयन करते समय मुख्य विचारों में आईटी इंफ्रास्ट्रक्चरऔर साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल की गहराई शामिल है.’
लेकिन एनटीए द्वारा प्रश्न पत्र तैयार करने के लिए नियुक्त विश्वविद्यालय के फैकल्टी के कुछ वर्ग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनमें से कुछ ने इसे ‘संभावित खामी’ बताया है, जिनका बेईमान लोग परीक्षा की शुचिता से समझौता करने के लिए फायदा उठा सकते हैं.
सुब्रह्मण्यम और अन्य लोग एनटीए के ‘पेन-एंड-पेपर’ टेस्ट में प्रवेश को लेकर भी चिंतित हैं. ज्ञात हो कि एनटीए का शुरू में केवल ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने का इरादा था, लेकिन इस साल से नीट एक पेन-एंड-पेपर टेस्ट बन गया है.
पेन-एंड-पेपर टेस्ट के लिए प्रश्नपत्र एजेंसी द्वारा चुने गए निजी प्रिंटिंग प्रेस में छपवाए जाते हैं. सुब्रह्मण्यम ने कहा, ‘प्रिंटिंग प्रक्रिया मैनुअल है और लीक होने का खतरा रहता है – यही कारण है कि एनटीए ने शुरू में कंप्यूटर-आधारित ऑनलाइन टेस्ट पर ध्यान केंद्रित किया था.’
दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर एन. सुकुमार ने कहा कि नीट में कथित अनियमितताओं और नेट में पेपर लीक से जुड़े विवादों ने छात्रों और अभिभावकों का एनटीए पर भरोसा खत्म कर दिया है.
सुकुमार और एक केंद्रीय विज्ञान संस्थान के फैकल्टी सदस्य ने कहा कि एनटीए द्वारा परीक्षा की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त आंतरिक विशेषज्ञता के बिना, पेन-एंड-पेपर टेस्ट सहित नई परीक्षाएं लेना गैर-जिम्मेदाराना है.
सुकुमार ने कहा, ‘केंद्र ने एनटीए को उससे अधिक करने का निर्देश देकर परीक्षाओं के साथ एक तरह से जुआ खेला है, उसे उसकी क्षमता से ज्यादा करने को कहा गया. मेरा मानना है कि एनटीए को खत्म कर देना चाहिए और सरकार को साधन संपन्न सरकारी संस्थानों के माध्यम से परीक्षा की शुचिता सुनिश्चित करके छात्रों का भविष्य बचाने का प्रयास करना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि केंद्र संस्थानों या व्यक्तियों पर आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता.
मालूम हो कि केंद्र ने शनिवार को एनटीए महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह को उनके पद से हटा दिया था. इस कदम को अकादमिक हलकों में दोष दूसरे पर डालने के प्रयास के रूप में देखा गया.
इससे पहले द वायर ने एक रिपोर्ट में बताया था कि एनटीए की स्थापना उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश/फेलोशिप हेतु परीक्षा आयोजित करने वाले एक प्रमुख परीक्षा संगठन के रूप में की गई थी. लेकिन इसका रिपोर्ट कार्ड साल दर साल विफलता के नए पैमाने गढ़ रहा है.
एनटीए की वेबसाइट कहती है कि इसकी स्थापना उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश/फेलोशिप हेतु परीक्षा आयोजित करने वाले एक प्रमुख परीक्षा संगठन के रूप में की गई है. इसे परीक्षा संचालन और परीक्षा अंकन तक के सभी चरणों का दायित्व सौंपा गया है.
हालांकि, वर्तमान घटनाएं बताती हैं कि एनटीए दोनों बिंदुओं पर विफल रहा है. परीक्षा आयोजित कराने में उसकी ‘विशेषज्ञता’ सवालों के घेरे में है.