नई दिल्ली: आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्र का नाम बदलकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) करने के केंद्र के फैसले को पूर्वोत्तर राज्यों – मिजोरम और नगालैंड से कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, समाज और चर्च की ‘भावनाओं’ का हवाला देते हुए इन दोनों राज्यों ने चिंता व्यक्त की और नाम बदलने की इस प्रक्रिया से छूट मांगी. बताया गया है कि राज्यों ने पिछले नाम ‘स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्र’ का उपयोग करना जारी रखा है, क्योंकि वे अपनी आपत्ति पर केंद्र से कोई जवाब मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
ज्ञात हो कि पिछले साल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने प्रमुख आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों – देश भर में 1.6 लाख प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के नेटवर्क – का नाम बदलने का फैसला किया. इन केंद्रों को अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर के नाम से जाना जाता है, जिसकी टैगलाइन ‘आरोग्यं परमं धनं’ (स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है) है.
इस बदलाव के बारे में सबसे पहले नवंबर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक एलएस चांगसन के पत्र के माध्यम से राज्यों को सूचित किया गया था. इसके बाद बिना किसी शोर-शराबे के केंद्र ने अपनी वेबसाइट में बदलाव कर दिए.
इस साल जनवरी में मिजोरम ने इससे छूट मांगी थी. प्रमुख सचिव एस्तेर लाल रुआत्किमी ने तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को लिखा था, ‘मैं मौजूदा स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) के रूप में पुनः ब्रांडिंग करने के निर्देशों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करना चाहूंगा.’
रुआत्किमी ने लिखा, ‘जैसा कि आप जानते हैं, मिजोरम एक ईसाई राज्य है, जिसकी 90% से अधिक आबादी ईसाई है. ऐसा महसूस किया जा रहा है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य गतिविधियों हेतु जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए इस री-ब्रांडिंग से जनता में सरकार के प्रति प्रतिकूल भावनाएं पैदा हो सकती हैं. इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया मिजोरम को इस कवायद से छूट दी जाए.’
फरवरी में मिजोरम ने एक बार फिर केंद्र से संपर्क किया और इस बात पर जोर दिया कि मिजोरम को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का नाम बदलकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर रखने से छूट दी जाए.
नगालैंड ने भी चिंता जताई थी
इस साल मार्च में नगालैंड ने भी इसी तरह की चिंता जताई थी. राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव और आयोग के सदस्य वी केजो ने लिखा था, ‘राज्य सरकार को इस तरह के कदम पर गंभीर आपत्ति है क्योंकि इससे राज्य के लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होंगी और चर्च तथा नागरिक समाज की ओर से कड़ी आपत्ति जताई जा सकती है… मुझे राज्य सरकार के अनुरोध से अवगत कराने का निर्देश दिया गया है कि राज्य को आयुष्मान भारत और कल्याण केंद्रों का नाम बदलने की बाध्यता से छूट दी जाए.’
मौजूदा स्थिति के बारे में पूछे जाने पर केज़ो ने अखबार को बताया, ‘हमें केंद्र से अनुरोध पर कोई जवाब नहीं मिला है.’ उन्होंने पुष्टि की कि राज्य अब भी पिछले नाम का ही इस्तेमाल कर रहा है.
मिजोरम में एक वरिष्ठ राज्य स्वास्थ्य अधिकारी ने संपर्क करने पर पुष्टि की कि केंद्र की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है और राज्य में कल्याण केंद्र पहले के नाम से ही चल रहे हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से विस्तृत जानकारी के लिए पूछे गए सवाल का अख़बार को कोई जवाब नहीं मिला.
गौरतलब है कि इससे पहले इसी साल जनवरी में ऐसी ही आपत्ति लद्दाख से भी सामने आई थी, जहां क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली बौद्ध संगठन और निर्वाचित प्रतिनिधियों ने इसे सूबे के लोगों की भावनाओं का अपमान बताया था.
इसके बाद फरवरी में भाजपा के पूर्व लद्दाख सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल ने लोकसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से आयुष्मान आरोग्य मंदिर में ‘मंदिर’ नाम करने के बारे में विवरण मांगते हुए पूछा था कि क्या सरकार द्वारा स्थानीय भाषाओं में मंदिर शब्द का अनुवाद करने की अनुमति है.
तत्कालीन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार ने 9 फरवरी को अतारांकित प्रश्न के अपने उत्तर में कहा था, ‘सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में प्रगति के लिए भारत के प्रमुख कार्यक्रम के रूप में आयुष्मान भारत – स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी) के महत्व को समझते हुए भारत सरकार ने आयुष्मान भारत यानी स्वस्थ भारत के सपने को साकार करने के लिए सभी एबी-एचडब्ल्यूसी का नाम बदलकर ‘आरोग्यम परमम धनम’ टैगलाइन के साथ ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ कर दिया है.’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मौजूदा उप-स्वास्थ्य केंद्रों (एसएचसी), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (यूपीएचसी) को आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में परिवर्तित किया जा रहा है, ताकि व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की विस्तारित श्रृंखला दी जा सके, जो सार्वभौमिक और निःशुल्क हैं.