नई दिल्ली: बिहार पुलिस ने इस साल स्नातक मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित नीट-यूजी परीक्षाओं में अनियमितताओं की जांच में देरी के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के असहयोग को जिम्मेदार ठहराया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि नीट-यूजी में अनियमितताओं की जांच अब तक पूरी हो गई होती, अगर एनटीए ने 5 मई की परीक्षा से एक दिन पहले पटना से बरामद जली हुई पुस्तिका से मिलान करने के लिए प्रश्नपत्र के नमूने उपलब्ध कराए होते.
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जांच को निष्कर्ष तक ले जाने का काम केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का है, जिसने अब नीट-यूजी अनियमितताओं के संबंध में बिहार के साथ-साथ गुजरात और राजस्थान में दर्ज मामलों को अपने हाथ में ले लिया है.
ज्ञात हो कि आपराधिक जांंच इकाई ने संदिग्धों के पास से नीट-यूजी परीक्षा की तारीख (5 मई) को ही कुछ जले हुए कागज़ात बरामद किए थे, जिनकी जांच में पता चला कि इन कागज़ों के 68 सवाल मूल प्रश्नपत्र के समान थे. इतना ही नहीं प्रश्नों के क्रमांक भी मूल प्रश्नपत्र से मेल खाते हैं.
ईओयू द्वारा अब तक की गई जांच का विवरण देते हुए अधिकारी ने बिहार पुलिस को प्रश्नपत्र के नमूने उपलब्ध कराने में देरी के लिए एनटीए को जिम्मेदार ठहराया, जिसने मेडिकल प्रवेश परीक्षा आयोजित की थी.
ईओयू अधिकारी ने अखबार को बताया, ‘यह भेजा नहीं गया था और हम इसे 20 जून को ही प्राप्त कर पाए, जब ईओयू को दिल्ली बुलाया गया और यह मुद्दा उठाया गया कि तीन रिमाइंडर के बावजूद नमूने क्यों नहीं भेजे गए. जैसे ही हमें नमूना मिला, हमने पाया कि (जली हुई) पुस्तिका हजारीबाग के ओएसिस स्कूल के एक केंद्र की थी. हम वहीं 68 प्रश्नों (एनटीए के नमूनों में से जली हुई पुस्तिका में मौजूद प्रश्नों से) का मिलान करने में कामयाब हुए.’
अधिकारी ने बताया कि हज़ारीबाग़ लिंक स्थापित होने के बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में बिहार पुलिस की एक टीम को उन दो बक्सों की जांच करने के लिए भेजा गया, जिनमें प्रश्न परीक्षा केंद्र में भेजे गए थे.
उन्होंने कहा कि दोनों बक्सों के साथ छेड़छाड़ की गई थी. अधिकारी ने बताया कि परीक्षा केंद्र के अधीक्षक ने पुलिस को बताया कि कुछ तकनीकी समस्या के कारण बक्सों पर लगे डिजिटल लॉक नहीं खोले जा सके और उन्होंने एनटीए के निर्देश पर उन्हें तोड़ दिया.
ईओयू अधिकारी ने कहा, ‘दो बक्से थे और दोनों की सील पीछे की तरफ से छेड़छाड़ की गई थी, जबकि सामने का हिस्सा जैसे का वैसे ही था. प्रत्येक बक्से में दो ताले थे- एक मैनुअल और एक डिजिटल. संदेह तब और बढ़ गया जब अधिकारियों ने पाया कि कुंडी के साथ छेड़छाड़ की गई थी और उन पर लगी सील से भी छेड़छाड़ हुई थी. बक्सों के अंदर के लिफाफों के साथ भी पीछे की तरफ से छेड़छाड़ की गई थी, जबकि ऊपरी हिस्सा सही था. हमने ये सभी सबूत केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) को भेज दिए हैं.’
अधिकारी ने कहा कि जांच के अगले चरण में ईओयू ने पाया कि प्रश्नों की शुचिता से समझौता करने के लिए प्रश्नपत्रों को ले जाने वाले बक्सों से छेड़छाड़ की गई थी. उन्होंने कहा, ‘अगर गलत तरह से उन्हें खोलने का कोई प्रयास किया जाता है तो डिजिटल लॉक अपने आप बंद हो सकते हैं. हमें नहीं पता कि क्या अन्य केंद्रों पर भी ऐसी ही स्थिति पैदा हुई थी.’
ईओयू के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एनएच खान ने कहा कि मामला अब सीबीआई के पास है और ईओयू ने जो भी विश्वसनीय साक्ष्य एकत्र किए हैं, उन्हें केंद्रीय एजेंसी को सौंप देगा.
खान ने कहा, ‘हमें अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भी सौंपनी है और हम अपनी जांच की ताजा स्थिति और अब तक एकत्र किए गए साक्ष्यों के को एक सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपेंगे.’