नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में 16 वर्षीय किशोरी कथित तौर पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर पुलिस की निष्क्रियता से आहत होकर आत्महत्या कर ली.
पीड़ित की परेशान मां उर्मिला कुमारी (बदला हुआ नाम) ने कहा, ‘अगर पुलिस ने हमारी शिकायतों पर कार्रवाई की होती, तो मेरी बेटी ने आत्महत्या नहीं की होती.’
बीते 23 जून को शाम करीब 6 बजे दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली उनकी 16 वर्षीय बेटी ने फांसी लगा ली. बताया जा रहा है कि छात्रा महीनों से उनका खुलेआम उत्पीड़न कर रहे दो लोगों के खिलाफ शिकायत पर पुलिस के कोई कार्रवाई न करने से परेशान थीं.
गरीब पृष्ठभूमि और पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाली इस छात्रा के माता-पिता जब थाने गए, तो कथित तौर पर पुलिसवालों ने उन्हें पीटा और बदसलूकी की.
द वायर से बात करते हुए उर्मिला ने आरोप लगाया, ‘उसकी मौत के बाद हम सभी पिछली शिकायतों के साथ पुलिस के पास गए, लेकिन उन्होंने उन्हें पढ़ा तक नहीं. उन्होंने हमें पीटा… यह गांव में होने वाले वैसा झगड़ा था, जहां लोग एक-दूसरे पर बेरहमी से हमला करते हैं. उन्होंने मेरे पति को भी बंद कर दिया.’
उन्होंने आरोप लगाया कि जब वह अपनी बेटी की मौत की रिपोर्ट लिखाने गईं, तो पुलिस ने उन पर दोनों आरोपियों को झूठा फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया.
उर्मिला ने कहा, ‘पुलिस वालों ने कहा कि ‘तुमने उसे मार डाला होगा और दूसरों को झूठा फंसाने के लिए यहां आए हो’ ‘क्या मैं किसी को सिर्फ़ इसलिए झूठा फंसा दूंगी क्योंकि तुम ऐसा कह रही हो?’ आप ही बताओ अब, कौन अपने बच्चे को मारेगा?’
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनका फोन भी छीन लिया।
23 जून की शाम को उर्मिला ने अपने गांव के दो लोगों के खिलाफ़ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन पर अपनी बेटी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया.
दोनों व्यक्ति, जो पीड़ित के परिवार के समान ही निषाद (ओबीसी) समुदाय से हैं, अक्सर उसे तब परेशान करते थे, जब वह गांव से बाहर निकलती थी या पढ़ने के लिए इलाहाबाद के अपने कॉलेज जाती थी.
द वायर दोनों आरोपियों का नाम नहीं लिख रहा है क्योंकि हम यह पता नहीं लगा सके हैं कि वे बालिग हैं या नाबालिग.
परिवार ने कहा कि वे तीन बार पुलिस में लिखित शिकायत लेकर गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
दोनों आरोपियों के खिलाफआईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. एफआईआर में उर्मिला ने कहा कि उनकी बेटी दो लोगों, जो रिश्ते में छात्रा के भाई लगते हैं, द्वारा लगातार परेशान किए जाने के कारण अपनी जान लेने के लिए मजबूर हो गई.
उर्मिला ने आरोप लगाया कि आरोपी अपनी साइकिलों से लड़की का रास्ता रोकते थे. उन्होंने यह भी दावा किया कि जब उन्होंने नजदीकी थाने में अर्जी दी थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला, तो उन्होंने रजिस्ट्री के माध्यम से जिला पुलिस प्रमुख को एक पत्र भी भेजा, लेकिन इससे भी कोई मदद नहीं मिली.
चित्रकूट के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अरुण कुमार सिंह ने कहा कि आरोपियों में से एक को गिरफ्तार कर लिया गया है. अधिकारी ने कहा कि वह लड़की के ही कॉलेज में में पढ़ता था.
सिंह ने कहा कि संबंधित थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि एसएचओ और उनके कर्मचारियों ने पीड़ित पक्ष के साथ ‘अपेक्षित गरिमापूर्ण तरीके’ से व्यवहार नहीं किया, जैसा कि उन्हें करना चाहिए था.
उन्होंने जोड़ा कि पुलिस परिवार द्वारा लगाए गए अन्य आरोपों की जांच कर रही है.
उर्मिला ने मीडियाकर्मियों से कहा कि उनकी बेटी द्वारा स्थानीय पुलिस को बयान दिए जाने के बाद भी पुलिस कार्रवाई करने में विफल रही.
द वायर से बातचीत में दुखी उर्मिला ने कहा कि उनकी बेटी को लगा कि परिवार असहाय है, क्योंकि पुलिस भी उनकी शिकायतों पर कार्रवाई करने में विफल रही है. उर्मिला ने कहा, ‘उसके गुजरने से एक दिन पहले आरोपी ने उसे खेतों के पास धमकाया था.’
समाजवादी पार्टी के विधायक अनिल प्रधान ने मीडिया सेके बारे में बात करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस परिवार ने अभी-अभी अपनी बेटी खोई है, उसे पुलिस ने थाने में पीटा. प्रधान ने कहा, ‘जब वे न्याय मांगने गए थे, तो उन्हें पीटा गया! पुलिस ने उन्हें डांटा और उनके साथ लाए गए कागजात भी फाड़ दिए.’
विधायक ने मांग की कि स्थानीय पुलिस ने लड़की की शिकायतों पर कार्रवाई क्यों नहीं की, इसकी जांच होनी चाहिए.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)