नई दिल्ली: झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित भूमि घोटाला मामले में जमानत दे दी. कोर्ट ने 13 जून को झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रमुख की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सोरेन के वकील अरुणाभ चौधरी ने कहा, ‘सोरेन को जमानत दे दी गई है. कोर्ट ने माना है कि प्रथमदृष्टया वह अपराध के लिए दोषी नहीं हैं और जमानत पर रहते हुए याचिकाकर्ता द्वारा अपराध करने की कोई संभावना नहीं है.’
इससे पहले सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने हाईकोर्ट के समक्ष सोरेन को जमानत देने की दलील दी और कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झामुमो नेता को गलत तरीके से आपराधिक मामले में फंसाया है.
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष पेश हुए सिब्बल ने दलील दी कि सोरेन पर रांची के बार्गेन में 8.86 एकड़ के भूखंड को हड़पने का गलत आरोप लगाया गया है और यह कृत्य मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत अपराध नहीं बनता है, जिसके लिए सोरेन को हिरासत में लिया गया है.
मालूम हो कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 31 जनवरी को हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया था. 48 वर्षीय राजनेता वर्तमान में बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं.
ईडी का कहना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख सोरेन, जो विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा हैं, 8.36 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं. ईडी ने मामले के सिलसिले में सोरेन को कई बार समन भेजा और उनसे पूछताछ की थी.
सोरेन की गिरफ्तारी के ठीक बाद 2 फरवरी को झारखंड के अलग राज्य के निर्माण के आंदोलन में सबसे प्रमुख हस्तियों में से एक चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.