नई दिल्ली: मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने केंद्र की मोदी सरकार से कहा है कि हम बांग्लादेशी शरणार्थियों को वापस नहीं भेज सकते हैं. सीएम ने इस मामले में मिजोरम की स्थिति को समझने का आग्रह किया है. राज्य के गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 2022 से बांग्लादेश से करीब 2,000 ज़ो जनजाति के लोगों ने मिज़ोरम में शरण ली है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के हवाले से लिखी गई ख़बर के मुताबिक, एक आधिकारिक बयान में पड़ोसी बांग्लादेश से आए ज़ो समुदाय के शरणार्थियों को आश्रय देने में मिजोरम की स्थिति को समझने के लिए केंद्र से आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि उनकी सरकार उन्हें वापस नहीं भेज पाएगी.
आधिकारिक बयान के मुताबिक शनिवार (6 जुलाई) को नई दिल्ली में पीएम मोदी के साथ एक संक्षिप्त बैठक के दौरान लालदुहोमा ने उन्हें बताया कि उनकी सरकार बांग्लादेश के चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (सीएचटी) से आए ज़ो जनजाति के लोगों को वापस नहीं भेज सकती है.
बता दें कि मिज़ो लोगों का बांग्लादेश से आए शरणार्थियों के साथ जातीय संबंध है.
उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि मिजो जनजाति में से एक बावम जनजाति के कई लोगों ने बांग्लादेश से 2022 से मिजोरम में शरण ली है, जबकि उनमें से कई अभी भी राज्य में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं.
नवंबर 2022 में विद्रोही समूह कुकी-चिन नेशनल आर्मी (केएनए) के खिलाफ बांग्लादेशी सेना द्वारा किए गए सैन्य अभियान के बाद उन्होंने मिजोरम में शरण लेना शुरू किया था.
नॉर्थ ईस्ट नाऊ के मुताबिक, भारत, बांग्लादेश और म्यांमार के चिन-कुकी-मिजो-ज़ोमी जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले आइजोल स्थित मिज़ो समूह, ज़ो री-यूनिफिकेशन ऑर्गनाइज़ेशन (ज़ोरो), ने मिज़ोरम में शरण लेने वाले बांग्लादेशी शरणार्थियों को वापस भेजने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की आलोचना की है.
संगठन ने आरोप लगाया है कि बांग्लादेश के सीएचटी से 32 परिवारों के लगभग 93 लोग शुक्रवार (5 जुलाई) को दक्षिणी मिजोरम के लॉन्गतलाई जिले के डम्पेड-II गांव में घुसे थे. लेकिन भारत-बांग्लादेश सीमा की सुरक्षा करने वाले बीएसएफ के जवानों ने शरणार्थियों का विवरण लेने के बाद शुक्रवार शाम को उन्हें वापस बांग्लादेश भेज दिया.
इसमें आगे आरोप लगाया गया कि मध्य जून में मिजोरम में प्रवेश करने वाले लगभग 200 लोगों को भी बीएसएफ ने वापस खदेड़ दिया.
ज़ोरो ने अपने बयान में कहा है कि बांग्लादेशी शरणार्थी अभी भी जंगलों में रह रहे हैं क्योंकि वे अपने गांवों में लौटने से डर रहे हैं. संगठन ने राज्य सरकार से बांग्लादेश से मिजोरम में शरण लेने वाले ज़ो जातीय लोगों की रक्षा करने का आग्रह किया है.