नई दिल्ली: रूस की सरकार ने न्यूज वेबसाइट ‘द मॉस्को टाइम्स’ पर प्रतिबंध लगा दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी प्रॉसिक्यूटर जनरल के कार्यालय ने देश की सेना को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए 10 को जुलाई को रूस में वेबसाइट को ब्लॉक करने का आदेश जारी किया. उनके कार्यालय ने ‘द मॉस्को टाइम्स’ को ‘समस्या पैदा करने वाला संस्थान’ बताते हुए कहा है कि यह रूस के नेतृत्व को कमजोर कर रहा है.
इस प्रतिबंध का अर्थ यह है कि अब रूस का कोई नागरिक यदि ‘द मॉस्को टाइम्स’ के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग करता है, या उसे भुगतान करता है, तो यह आपराधिक कृत्य माना जाएगा, इसके लिए पांच वर्ष तक की जेल की सजा हो सकती है.
बयान में कहा गया है कि इस संस्थान का काम घरेलू और विदेश नीति दोनों में रूसी नेतृत्व के निर्णयों को बदनाम करना है. नवंबर 2023 में द मॉस्को टाइम्स को ‘विदेशी एजेंटों’ की सूची में डाला गया था.
अन्य रूसी मीडिया संस्थान जैसे- नोवाया गजेटा, मेडुज़ा, द इनसाइडर और आईस्टोरीज़ को भी ‘समस्या पैदा करने वाले’ के रूप में चिह्नित कर पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया है. रूसी प्रॉसिक्यूटर जनरल के कार्यालय ने कहा है कि द मॉस्को टाइम्स पर प्रतिबंध आवश्यक था क्योंकि यह ऐसे मीडिया के साथ सहयोग करता था.
द मॉस्को टाइम्स का मानना है कि इसमें ‘कोई आश्चर्य की बात नहीं है.’
न्यूज वेबसाइट ने कहा है, ‘हमारा काम और भी मुश्किल होने जा रहा है. रूस में जो भी हमारे साथ किसी भी तरह से बातचीत करेगा, उस पर अब आपराधिक मुकदमा चलाया जाएगा. लेकिन हम चुप रहने वाले नहीं हैं.’
1992 में शुरू हुआ था द मॉस्को टाइम्स
द मॉस्को टाइम्स की स्थापना 1992 में एक डच प्रकाशक द्वारा मॉस्को में अंग्रेजी भाषा के दैनिक समाचार पत्र के रूप में की गई थी. इसका प्रिंट संस्करण 2017 में बंद कर दिया गया था. वेबसाइट ने 2020 में रूसी भाषा में भी खबर प्रकाशित करना शुरू किया था.
2022 की शुरुआत में रूस द्वारा स्वतंत्र मीडिया पर नकेल कसने के बाद मॉस्को टाइम्स को नीदरलैंड में स्थानांतरित कर दिया गया. इसके पूर्व कर्मचारियों में इवान गेर्शकोविच सहित प्रमुख पत्रकार शामिल हैं, जिन पर वर्तमान में जासूसी के आरोप में रूस में मुकदमा चल रहा है.
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने रूसी सरकार ने अपने देश में 80 से अधिक पश्चिमी मीडिया आउटलेट्स पर प्रतिबंध लगा दिया था.