ईसाई नेताओं ने पीएम मोदी से मुलाकात कर ईसाइयों पर बढ़ते हमले, मणिपुर हिंसा पर चिंता जताई

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया के प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान उन्हें सौंपे गए एक पत्र में कहा गया है कि गरीब, दलित और आदिवासी ईसाई अक्सर भेदभाव और बहिष्कार का सामना करते हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीबीसीआई के प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात की एक तस्वीर. (फोटो साभार: फेसबुक/BJPKarbiAnglong_Official)

नई दिल्ली: भारत में कैथोलिक चर्च के शीर्ष नेतृत्व ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और ईसाइयों पर बढ़ते हमलों की शिकायत की, साथ ही मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए उनसे हस्तक्षेप करने का आग्रह किया.

द टेलीग्राफ के मुताबिक, पीएम मोदी को दिए गए उनके पत्र में कहा गया है, ‘कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसाई) की ओर से हम आपको लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करने के ऐतिहासिक अवसर पर हार्दिक बधाई देते हैं.’

मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में अपने समर्थन का आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा, ‘हम भारी मन से भारत के विभिन्न भागों में असामाजिक तत्वों द्वारा ईसाइयों और उनके संस्थानों पर बढ़ते हमलों पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं. जबरन धर्मांतरण और धर्मांतरण विरोधी कानूनों के दुरुपयोग के झूठे आरोपों के तहत उत्पीड़न और हमलों के कई मामले सामने आए हैं. हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि चर्च जबरन धर्मांतरण का दृढ़ता से विरोध करता है.’

पत्र में आगे कहा गया है, ‘हम आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहते हैं कि गरीब, दलित और आदिवासी ईसाई अक्सर भेदभाव और बहिष्कार का सामना करते हैं. हम आपसे अपील करते हैं कि दलित ईसाइयों को भी अन्य धार्मिक समूहों के दलितों की तरह आरक्षण का लाभ दिया जाए, ताकि धर्म के आधार पर कोई भेदभाव न हो, जिसकी गारंटी हमारे संविधान में दी गई है. इसके अलावा, हम आपसे यह भी अपील करते हैं कि आदिवासी ईसाइयों को दिए गए आरक्षण को बरकरार रखा जाना चाहिए और वापस नहीं लिया जाना चाहिए.’

पत्र में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान आयोग से ईसाइयों की अनुपस्थिति को भी रेखांकित किया गया.

पत्र में कहा गया है, ‘इसके अलावा, हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि कई ईसाई एनजीओ अपने एफसीआरए पंजीकरण (जो उन्हें विदेशी दान प्राप्त करने की अनुमति देता है) के नवीनीकरण के दौरान अनुचित चुनौतियों का सामना कर रहे हैं… अंत में, मणिपुर के लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हुए हम आपसे आग्रह करते हैं कि आप उस राज्य में शांति और सद्भाव लाने के लिए गंभीरता से हस्तक्षेप करें.’

पत्र पर सीबीसीआई के अध्यक्ष और त्रिचूर के आर्कबिशप एंड्रयूज थजाथ, सीबीसीआई के उपाध्यक्ष और बाथरी बिशप जोसेफ मार थॉमस और सीबीसीआई के महासचिव और दिल्ली के आर्कबिशप अनिल कोउटो के हस्ताक्षर थे. ये सभी उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे जिसने मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की.

प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया को लेकर थजाथ ने बताया, ‘हमारी चिंताओं को इस तरह से सुना गया कि उनके प्रति उन्होंने एकजुटता दिखाई, लेकिन उन्होंने कहा कि हर बार कोई फ्रिंज गुट या कोई ऐसा कर रहा है. ऐसा राजनीतिक दल या सरकार नहीं करती है.’

थजाथ ने कहा कि मोदी ने दलित ईसाइयों की (आरक्षण की) मांग या ईसाइयों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा न देने के अभियान पर स्पष्ट जवाब नहीं दिया.

उन्होंने कहा, ‘(मणिपुर के मामले में) प्रधानमंत्री ने दोहराया कि सरकार शांति और सद्भाव लाने के लिए दृढ़ संकल्पित है… उन्होंने कहा कि यह (अंतर-धार्मिक हिंसा के बजाय)जातीय हिंसा का मामला है.’

सीबीसीआई नेताओं ने प्रधानमंत्री से पोप की भारत यात्रा में तेजी लाने का आग्रह किया और कहा कि वे पोप से भी संपर्क करेंगे.

मोदी ने पिछले महीने इटली में जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान पोप से मुलाकात की थी और उन्हें भारत आने का निमंत्रण दिया था.