मेघालय में प्रवासी मज़दूरों पर फिर हमला, इनर लाइन परमिट लागू करने की मांग पर अड़े हैं दबाव समूह

इससे पहले, खासी छात्र संघ और अन्य संगठनों के सदस्यों पर शिलांग के लैतुमखराह और पोलो क्षेत्र में प्रवासी मजदूरों पर हमला करने का आरोप लगा था. मार्च और अप्रैल महीने में कुछ गैर-आदिवासी श्रमिकों को पीट-पीटकर मार डालने की भी ख़बरें भी सामने आई थीं.

(फोटो साभार: फेसबुक/केएसयू)

नई दिल्ली: मेघालय में ब्रिटिश काल की इनर लाइन परमिट (आईएलपी) प्रणाली को लागू करने की मांग करने वाले दबाव समूहों के सदस्य लगातार प्रवासी मजदूरों पर हमले कर रहे हैं, जिससे राज्य भर में कई विकास परियोजनाएं ठप होने का खतरा पैदा हो गया है.

द हिन्दू कि रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के अधिकारियों के मुताबिक 12 जुलाई को राजधानी शिलांग के पास मावियोंग में, शिलांग-उमियम सड़क की मरम्मत में लगे छह मजदूरों पर मास्क और हेलमेट पहने कुछ युवकों ने हमला कर दिया. 

उन्होंने बताया कि गंभीर रूप से घायल एक मजदूर को इलाज के लिए गुवाहाटी के एक अस्पताल ले जाया गया. 

मेघालय में सड़क परियोजनाओं से जुड़े एनएचआईडीसीएल के एक अधिकारी ने बताया कि हमले के बाद सभी मजदूर मेघालय में काम करने से इनकार कर रहे हैं.

एनएचआईडीसीएल ने स्थानीय पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई है और जिले के उपायुक्त को पत्र लिखकर हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई करने और कार्यरत मजदूरों को एक सुरक्षित वातावरण देने की मांग की है. 

खासी छात्र संघ (केएसयू) नामक संगठन एक अभियान चला रहा है, जिसके तहत संगठन के लोग गैर-आदिवासी लोगों और प्रवासी मजदूरों के वर्क परमिट की जांच करते हैं. 

पुलिस ने कहा कि केएसयू के कुछ नेताओं को पूछताछ के लिए शिलांग के एक पुलिस थाने में बुलाया गया है.

केएसयू के नेताओं ने कहा है कि यदि आईएलपी और 2020 में पारित मेघालय निवासी सुरक्षा अधिनियम को लागू नहीं किया गया तो संगठन के सदस्य अपना काम जारी रखेंगे. संगठन का दावा है कि वे ‘अवैध आप्रवासियों’ की जांच करेंगे और स्थानीय समुदायों की रक्षा करेंगे.  

आईएलपी एक अस्थायी यात्रा दस्तावेज़ है, जो वर्तमान में शेष भारत के नागरिकों को अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड में प्रवेश करने के लिए आवश्यक है. यह 1873 के बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन पर आधारित है.

केएसयू और अन्य संगठनों के सदस्यों पर पहले शिलांग के लैतुमखराह और पोलो क्षेत्र में प्रवासी मजदूरों पर हमला करने का आरोप लगा था. 

मार्च और अप्रैल महीने के दौरान कुछ गैर-आदिवासी श्रमिकों को पीट-पीटकर मार डालने की भी खबरें सामने आई थीं.  पूर्वी खासी हिल्स जिले से कम से कम तीन ऐसे मामले सामने आए थे. 

हिंसक दबाव समूहों पर ‘नरम रुख’ अपनाने के लिए आलोचना के शिकार मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा ने कहा है कि सरकार कानून व्यवस्था की समस्याएं पैदा करने वालों से सख्ती से निपट रही है. 

सीएम ने कहा, ‘वर्क परमिट जैसी कोई चीज़ नहीं है, और उपयुक्त अधिकारियों को छोड़कर किसी को भी मजदूरों के दस्तावेज़ों की जांच करने का अधिकार नहीं है. श्रम विभाग मजदूरों की सुरक्षा तथा उनका रिकॉर्ड रखने के लिए उनका पंजीकरण करता है.’