महाराष्ट्र: जारांगे पाटिल बोले- फडणवीस और भुजबल के कारण नहीं सुलझा मराठा आरक्षण का मुद्दा

मराठा आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जारांगे का कहना है कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मंत्री छगन भुजबल के दबाव के चलते मराठा आरक्षण का मुद्दा सुलझ नहीं पाया है.

मनोज जरांगे. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए आंदोलनरत कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने रविवार (14 जुलाई) को दावा किया कि राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मंत्री छगन भुजबल के दबाव के चलते मराठा आरक्षण का मुद्दा सुलझ नहीं पाया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में पत्रकारों से बातचीत में जारांगे ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रही है, जबकि 13 जुलाई की समयसीमा बीत चुकी है.

जारांगे ने कहा कि उनके अनुसार, फडणवीस और भुजबल ने सरकार पर मराठा आरक्षण की समस्या का समाधान न करने के लिए दबाव डाला होगा.

मालूम हो कि जारांगे ने 13 जुलाई की मध्य रात्रि तक मराठों को आरक्षण देने में विफल रहने पर 20 जुलाई से अनिश्चितकालीन अनशन की घोषणा की थी. जारांगे अपने विरोध प्रदर्शन के जरिये सभी कुनबी (कृषक) और उनके रक्त संबंधियों को मराठा के रूप में मान्यता देने के लिए ओबीसी प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं.

ज्ञात हो कि महाराष्ट्र विधानसभा ने इस साल फरवरी में विरोध प्रदर्शनों के बीच शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक पारित किया था. तब  मराठा समुदाय के नेताओं ने तर्क दिया था कि विधेयक एक चुनावी चाल है और अदालतों में क़ानूनी जांच में नहीं टिक नहीं पाएगा, क्योंकि इसे ठीक से तैयार नहीं किया गया है.

पत्रकारों से बातचीत में मनोज जारांगे ने दावा किया कि मराठा उप-कोटा समिति के सदस्य राज्य मंत्री शंभूराज देसाई ने उनसे बातचीत नहीं की है.

उन्होंने कहा, ‘हमें मंत्री देसाई पर भरोसा था, लेकिन उन्होंने अभी तक हमसे बातचीत नहीं की है, हो सकता है कि उन पर कार्यकर्ताओं से बातचीत न करने का दबाव हो.’

जारांगे ने ये भी बताया कि आगामी 20 जुलाई को मराठा नेताओं की बैठक होगी, जिसमें आगे की गतिविधियों को लेकर निर्णय लिया जाएगा. साथ ही यह भी तय किया जाएगा कि समुदाय आगामी राज्य विधानसभा चुनावों में 288 उम्मीदवार उतारेगा या मुंबई में विरोध मार्च आयोजित करेगा.

उन्होंने कहा, ‘शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है और हमें अपना अधिकार पाने के लिए मुंबई जाना होगा.’

मनोज जारांगे ने मंत्री छगन भुजबल पर मराठा आरक्षण के खिलाफ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को भड़काने का आरोप लगाया. साथ ही ये विश्वास भी जताया कि समुदाय आखिर में मंत्री की चालों को समझ जाएगा.

जारांगे ने दावा किया कि भुजबल ने धनगर समुदाय को मराठों के खिलाफ खड़ाकर उन्हें सुझाव दिया कि धनगर समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के तहत कोटा की मांग करनी चाहिए.

मालूम हो कि महाराष्ट्र विधानसभा ने 20 फरवरी को तीसरी बार राज्य द्वारा आरक्षण विधेयक पेश किया गया था. इससे पहले दो प्रयासों को अदालतों ने कानूनी रूप से अनुचित बताकर खारिज कर दिया था.

हालांकि, इस आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे विपक्षी नेता और मराठा नेता दोनों ही नए विधेयक से सहमत नहीं थे. तब मनोज जारांगे ने कहा था कि मराठा समुदाय को एक अलग आरक्षित वर्ग के रूप में जोड़ने के बजाय ओबीसी समुदाय में शामिल किया जाना चाहिए था.

गौरतलब है कि पिछले साल 13 अक्टूबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि मराठा आरक्षण कानून को असंवैधानिक ठहराने वाले शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ एक उपचारात्मक याचिका विचार के लिए सूचीबद्ध की जाएगी.

मई 2021 में शीर्ष अदालत ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को असंवैधानिक घोषित कर दिया था क्योंकि यह 50% कोटा सीमा का उल्लंघन करता था. अदालत ने अपने 1992 के इंदिरा साहनी फैसले पर दोबारा विचार करने से भी इनकार कर दिया था, जिसमें आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% तय की गई थी.

अदालत ने आगे कहा था कि उसे मराठा समुदाय को कोटा लाभ देने के लिए 50% की सीमा को तोड़ने के लिए कोई ‘असाधारण परिस्थितियां’ या ‘असाधारण स्थिति’ नहीं मिली.