नई दिल्ली: कार्यकर्ता और पत्रकार गौरी लंकेश के हत्याकांड से जुड़े मामले में एक नया मोड़ आया है. इस केस के प्रमुख गवाहों में से एक ने अदालत के सामने अपना बयान बदल दिया है.
रिपोर्ट के अनुसार, इस हत्याकांड के प्रमुख गवाहों में से एक 46 वर्षीय व्यापारी मदेतिरा थिमैया ने अदालत को बताया कि उन्होंने अपना पहला बयान पुलिस के दबाव में दिया था, जिसमें उन्हें यह कहने के लिए मजबूर किया गया था कि उन्हें इस हत्या के एक आरोपी द्वारा की गई साजिश की जानकारी थी.
मालूम हो कि मदेतिरा थिमैया ने अपने पहले बयान में कहा था कि उन्हें इस बात की जानकारी थी कि इस हत्याकांड में शामिल बंगेरा महाराष्ट्र के कुछ लोगों के संपर्क में थे और वे लोग कर्नाटक में बंगेरा से एक कार्यालय में मिले थे.
हालांकि, हाल ही में कर्नाटक की एक विशेष अदालत के सामने थिमैया ने दावा किया कि उनका कबूलनामा दबाव में दिया गया था और वे अपने पुराने बयान से मुकर गए.
ज्ञात हो कि 55 वर्षीय पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर 2017 को उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वह अपनी धारदार लेखनी और बेबाक विचारों के लिए कर्नाटक में पाठकों के बीच एक लोकप्रिय नाम थीं.
वह साप्ताहिक ‘लंकेश पत्रिके’ की संपादक थीं. इस पत्रिका को ‘सरकार विरोधी’ माना जाता था. गौरी लंकेश कर्नाटक में संघ परिवार की सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ अपने मुखर विचारों के चलते लगातार दक्षिणपंथी ताकतों के निशाने पर थीं.
उनकी हत्या के मामले में दाखिल आरोपपत्र में कहा गया था कि लंकेश की हत्या एक कट्टर दक्षिणपंथी हिंदुत्व संगठन सनातन संस्था से जुड़े लोगों द्वारा किया गया एक ‘संगठित अपराध’ था.
गौरतलब है कि इस मामले में एसआईटी को जांच में पता चला था कि गौरी लंकेश की हत्या की साजिश उसी दक्षिणपंथी गुट के सदस्यों ने रची थी जिन पर तर्कवादी एमएम कलबुर्गी की हत्या का आरोप है.
एसआईटी द्वारा बेंगलुरु कोर्ट में दी गई फॉरेंसिक रिपोर्ट में सामने आया था कि कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या में इस्तेमाल की गई बंदूक एक ही थी. नवंबर 2018 में एसआईटी ने प्रधान दीवानी एवं सत्र अदालत में 9,235 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें 18 आरोपियों का नाम लिया था.