नई दिल्ली: असम के कछार जिले में 16 जुलाई को पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में तीन संदिग्ध उग्रवादियों के मारे जाने के बाद पूर्वोत्तर के हमार जनजाति के शीर्ष संगठन हमार इनपुई ने घटना की निंदा की है और इसे ‘न्यायेतर हत्याओं (Extrajudicial Killing)’ का मामला बताया है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, संगठन ने कहा कि तीनों – लालुंगावी हमार, लालबिककुंग हमार और जोशुआ लालरिंगसन – को कचुदरम पुलिस थाने के अंतर्गत काबूगंज-अमजूर रोड पर उनकी कथित गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर मुठभेड़ में मार गिराया गया.
संगठन ने 17 जुलाई को जारी एक बयान में कहा, ‘यह घोर मानवाधिकार उल्लंघन है और असम में आपराधिक न्याय प्रणाली की उदासीनता को दर्शाता है.’ संगठन ने इस घटना को ‘सनकी’ और ‘सुनियोजित न्यायेतर’ हत्या करार दिया.
File No. HI/PR/2024-25/031
PRESS RELEASE
Tuithaphai, the 17th July,2024 pic.twitter.com/MNEwpV10hz— HSA JHQ Delhi (@HSADelhi) July 17, 2024
पुलिस ने दावा किया कि तीनों एक अज्ञात ‘आतंकवादी’ समूह से संबंधित थे और उन्हें संगठन के ठिकाने का पता लगाने के लिए असम-मिजोरम सीमा पर भुबन पहाड़ियों पर ले जाया गया था.
पुलिस ने यह भी दावा किया कि समूह मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल था. पुलिस ने कहा कि मुठभेड़ तब हुई जब पुलिस दल के तलहटी में पहुंचने पर आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी.
पुलिस ने कहा कि मुठभेड़ में तीन चरमपंथी मारे गए. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उनकी मौत किसकी गोली से हुई. मारे गए लोगों में से दो मणिपुर के थे और एक असम का निवासी था.
घटना के बाद मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा था, ‘सुबह-सुबह एक ऑपरेशन में, कछार पुलिस ने असम और पड़ोसी मणिपुर के 3 हमार उग्रवादियों को मार गिराया. पुलिस ने 2 एके राइफल, 1 अन्य राइफल और 1 पिस्तौल भी बरामद की.’
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कछार के पुलिस अधीक्षक नुमल महत्ता ने कहा कि संदिग्ध उग्रवादियों की गतिविधि के बारे में सूचना मिलने के बाद पुलिस की एक टीम कृष्णपुर रोड इलाके में पहुंची. उन्होंने कहा कि तीन लोगों को अत्याधुनिक हथियारों के साथ गिरफ्तार किया गया, जब वे ऑटोरिक्शा में भुबन हिल्स की ओर जा रहे थे. बाद में उन्होंने कहा कि पास के जंगल में छिपे अन्य विद्रोहियों के बारे में उनके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया.
उन्होंने आगे कहा, ‘जैसे ही हम वहां पहुंचे, उन्होंने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी. हमने जिन तीन लोगों को पकड़ा, वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन मृत घोषित कर दिया गया.’
हमार इनपुई ने कहा, ‘यह कृत्य (मुठभेड़) न्यायिक संस्था के प्रति उन लोगों द्वारा घोर उपेक्षा है जिनसे कानून की सर्वोच्चता को बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है… यह पूरी तरह से राज्य प्रायोजित आतंकवाद है.’
संगठन ने कहा, ‘न्यायिक हत्या गैरकानूनी, अमानवीय, अनावश्यक और नाजायज है. उदार और अधिकारों का सम्मान करने वाले लोकतंत्र में न्यायेतर हत्याओं के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए.’
संगठन ने असम के स्वदेशी हमार लोगों के विश्वास और भरोसे को सुरक्षित करने के लिए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष मजिस्ट्रेट जांच की मांग की.
संगठन ने असम सरकार से न्यायेतर हत्याओं के तीन पीड़ितों के परिजनों के लिए मुआवज़ा, असम पुलिस द्वारा सत्ता के दुरुपयोग को रोकने और कथित फ़र्जी मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को बर्खास्त करने की भी मांग की.
नई दिल्ली के हमार छात्र संघ ने भी समुदाय के तीन सदस्यों की न्यायेतर हत्या की निंदा की और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से न्याय की मांग की.