दिल्ली: एक कक्षा में दो बार फेल 17,000 छात्रों पर सरकार ने ‘ओपन स्कूलिंग’ के लिए दबाव डाला

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में इस साल कुल 17,308 छात्र नौवीं कक्षा में दूसरी बार फेल हो गए हैं, जिसके चलते अब आम आदमी पार्टी सरकार उन्हें नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूल में शिफ्ट कर आगे की पढ़ाई जारी रखने पर मजबूर कर रही है. सरकार के इस कदम की शिक्षाविदों और अभिभावकों ने की निंदा की है.

प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो साभार: स्वास्तिक अरोरा/पिक्सावे)

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के स्कूलों में बेहतर शिक्षा का दावा करने वाली सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में इस साल कुल 17,308 छात्र कक्षा नौ में दूसरी बार फेल हो गए हैं, जिसके चलते अब सरकार उन्हें नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूल (एनआईओएस) में शिफ्ट कर आगे की पढ़ाई जारी रखने पर मजबूर कर रही है.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संबंध में शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने मंगलवार (16 जुलाई) को एक पत्र जारी कर अपने सभी स्कूल प्रमुखों से इन असफल छात्रों को स्कूल छोड़ एनआईओएस में शिफ्ट करने के लिए काउंसलिंग देने को कहा है.

इस पत्र में कहा गया है, ‘शिक्षा निदेशालय (डीओई) के कंप्यूटर सेल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 सत्र के दौरान 17,308 छात्रों को नौवीं कक्षा में दूसरी बार फेल घोषित किया गया है. बावजूद इसके अभी तक केवल 6,200 छात्र ही डीओई के एनआईओएस पोर्टल के नामांकन प्रक्रिया में हैं.’

इसमें आगे कहा गया है कि छात्रों के बीच ड्रॉप-आउट दर को कम करने के लिए चल रहे प्रयासों के मुताबिक ये देखा गया है कि जो छात्र दो बार फेल हुए हैं, उनकी शिक्षा बंद होने का खतरा है. इन छात्रों पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है ताकि वे पढ़ाई न छोड़ें.

पत्र में सभी सरकारी स्कूलों के प्रमुखों को इन छात्रों और उनके अभिभावकों को उचित काउंसलिंग देने का निर्देश दिया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये सभी छात्र डीओई के एनआईओएस स्कूल प्रोजेक्ट के साथ पंजीकृत हो सकें.

एनआईओएस के उद्देश्य को बताते हुए पत्र में कहा गया है कि ये छात्रों को उनकी पसंद के अनुसार विषयों में शिक्षा जारी रखने का अवसर देता है, ताकि दसवीं कक्षा पास करने के बाद वे अपने मूल स्कूल की मुख्यधारा से जुड़ सकें.

फेल हुए छात्रों को एनआईओएस से जोड़ने पर शिक्षाविदों और अभिभावकों ने निंदा की

हालांकि, सरकार द्वारा छात्रों को जबरन एनआईओएस में शिफ्ट करने को लेकर शिक्षाविदों और अभिभावकों ने सरकार की निंदा की है. उनका कहना है कि सरकार इसके जरिए बोर्ड परीक्षाओं में अपने रिजल्ट को चमकाने की कोशिश कर रही है.

मालूम हो कि दिल्ली के सरकारी स्कूल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध हैं. बीते सात सालों से बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षाओं में छात्रों की उच्च उत्तीर्ण दर सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार दो बार कक्षा में फेल होने वाले छात्रों को एनआईओएस से जोड़ रही है.

एनआईओएस के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सीबी शर्मा ने फेल छात्रों को एनआईओएस में शिफ्ट करने को लेकर दिल्ली सरकार की आलोचना की है. उन्होंने इस व्यवस्था को अस्वीकार करते हुए कहा कि जब 2017 में इसे शुरू किया गया था, तभी उन्होंने इसका विरोध किया था.

उन्होंने कहा, ‘यह सरकार द्वारा ही बच्चों को स्कूल से बाहर धकेलने जैसा है. वंचित बच्चे, जो कम सुविधा प्राप्त वर्गों से आते हैं, सरकार उनकी मदद करने और उन्हें सहारा देने के बजाय एनआईओएस को सौंप रही है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.’

पेशे से अधिवक्ता और वंचित वर्गों के बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार की प्रमख आवाज, अशोक अग्रवाल ने दूसरी बार फेल हुए सभी छात्रों को उन्हीं के स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने की अनुमति देने के लिए डीओई को कानूनी नोटिस भेजा है.

उन्होंने बताया, ‘दिल्ली सरकार खराब नतीजों के लिए पूरी तरह से छात्रों को दोषी ठहरा रही है, जबकि और भी कई कमियां हैं, जिन्हें सरकार सुधारना नहीं चाहती. यह गरीब बच्चों को सज़ा देने जैसा है.’

उन्होंने कहा कि स्कूलों ने संविदा शिक्षकों को नियुक्त किया है, उनके पास उचित प्रयोगशालाएं और विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं और पिछड़ने वाले छात्रों पर कोई विशेष ध्यान भी नहीं दिया जाता है.

अशोक अग्रवाल के मुताबिक, उन्होंने डीओई सचिव अशोक कुमार को इस संबंध में एक ईमेल भेजा है और उन्हें प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार है.