असम: कछार मुठभेड़ पर सवाल, परिजनों ने मृतक को बताया किसान

असम पुलिस ने कछार ज़िले में 16 जुलाई को एक मुठभेड़ में तीन उग्रवादियों को मारने का दावा किया था. इनमें से एक 35 वर्षीय जोशुआ भी थे. उनके परिजनों ने मुठभेड़ को फर्ज़ी क़रार देते हुए कहा है कि वह मणिपुर के फेरज़ावल ज़िले के सेनवोन गांव के निवासी थे और अदरक, चावल तथा सब्जियों की खेती करते थे.

असम पुलिस. (फोटो साभार: X/@cacharpolice)

नई दिल्ली: असम के कछार जिले के भुबन हिल्स के पास 16 जुलाई को कथित मुठभेड़ में हमार समुदाय के तीन लोग मारे गए थे. असम पुलिस ने उन्हें ‘उग्रवादी’ बताया है. अब मृतकों में से एक के परिवार ने दावा किया है कि वह किसान था.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, 35 वर्षीय जोशुआ के परिवार के सदस्यों का मानना ​​है कि उसे कथित ‘फर्जी मुठभेड़’ में मारा गया था. सेनवोन गांव में उनके दो चचेरे भाइयों ने अखबार को बताया कि 10 वर्षीय बच्चे के पिता जोशुआ लालरिंगसन मणिपुर के फेरजावल जिले के सेनवोन गांव के निवासी थे और अदरक, चावल तथा सब्जियों की खेती करते थे.

जोशुआ के बड़े चचेरे भाई 42 वर्षीय लालराम कीनलो ने कहा, ‘वह 10 जून को जिरीबाम जिले के बफर जोन के पास हमारे लोगों की सुरक्षा के लिए ग्राम स्वयंसेवक (village volunteer) बनने के लिए गांव से चले गए थे.’

मालूम हो कि बीते 6 जून को मणिपुर में 14 महीने से चल रहा जातीय संघर्ष जिरीबाम जिले में फैल गया, जहां कुकी-जो जनजातियों में हमार लोग सबसे ज़्यादा हैं. यह तब हुआ जब कुकी-जो समुदाय के एक व्यक्ति और मेईतेई समुदाय के व्यक्ति के शव कुछ हफ़्तों के भीतर मिले थे, दूसरे शव के मिलने से आगजनी की घटनाएं बढ़ गईं, जिसमें जिरीबाम शहर में कई कुकी-जो बस्तियां और बोरोबेक्रा में एक मेईतेई गांव जला दिया गया.

सेनवोन में जोशुआ के एक और चचेरे भाई 50 वर्षीय लालोमपुइया ने कहा, ‘असम या मणिपुर में से किसी भी अधिकारी ने अभी तक हमसे संपर्क नहीं किया है. प्रेस में हमने जो देखा है और सोशल मीडिया पर जो वीडियो देखे हैं, उसके आधार पर यह एक फर्जी मुठभेड़ प्रतीत होती है.’

पुलिस द्वारा ऑटोरिक्शा से तीन व्यक्तियों को कथित रूप से पकड़े जाने के वीडियो के आधार पर लालोमपुइया बताते हैं, ‘पुलिस ने पहले उनके स्लिंग बैग की जांच की और कुछ नहीं मिला. फिर एक अन्य पुलिसकर्मी ने अपना हाथ अंदर डाला और बिना हाथ निकाले ही कहा कि उसमें हथियार है. हमें कैसे पता चलेगा कि उनके पास हथियार थे?’

घटना के बाद मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा था, ‘सुबह-सुबह एक ऑपरेशन में कछार पुलिस ने असम और पड़ोसी मणिपुर के 3 हमार उग्रवादियों को मार गिराया. पुलिस ने 2 एके राइफल, 1 अन्य राइफल और 1 पिस्तौल भी बरामद की.’

हालांकि, कछार पुलिस के एसपी द्वारा जारी किए गए नोट और बाद में असम पुलिस के डीजीपी द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए नोट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि पकड़े गए तीनों लोगों की हत्या किसने की. नोट में कहा गया है कि पुलिस जोशुआ सहित एक दिन पहले पकड़े गए तीन ‘हमार उग्रवादियों’ को भुबन हिल्स के पास उनके कथित ठिकाने पर ले गई थी. इलाके में पहले से मौजूद कथित उग्रवादियों के बीच भीषण गोलीबारी हुई और इस गोलीबारी के दौरान पकड़े गए तीनों व्यक्ति मारे गए.

पुलिस ने बताया कि उन्होंने असम के फुलारटौल निवासी 21 वर्षीय लालुंगावी हमार और 33 वर्षीय लेईबिकुंग हमार को गिरफ्तार किया था. साथ ही, जोशुआ को भी गिरफ्तार किया था, जो मणिपुर का रहने वाला है.

उन्होंने बताया था कि उन्हें उग्रवादियों की गतिविधियों की सूचना मिली थी, जिसके आधार पर उन्होंने भुबन हिल्स के रास्ते में गंगानगर पार्ट VI के पास तीनों को गिरफ्तार किया. तीनों को एक ऑटोरिक्शा से पकड़ा गया और पुलिस ने दावा किया कि उनके पास से एक एके राइफल, एक सिंगल बैरल राइफल, एक पिस्तौल और गोला-बारूद बरामद किया गया है.

आरोपियों ने कथित तौर पर पुलिस को भुबन हिल्स में एक ठिकाने के बारे में बताया, जहां कथित तौर पर और भी आतंकवादी मौजूद थे. इसके बाद पुलिस पकड़े गए लोगों को ठिकाने का पता लगाने के लिए ले गई, तभी कथित तौर पर करीब 6-7 आतंकवादियों ने उन पर गोलियां चलाईं. पुलिस ने बताया कि बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट पहने होने के बावजूद तीनों हमार लोग घायल हो गए.

क्षेत्र में की गई तलाशी के बाद पुलिस ने बताया कि उन्हें पता चला कि हमला करने वाले आतंकवादी एक एके 47 राइफल, कुछ जिंदा गोला-बारूद और खाली खोखे छोड़कर भाग गए, जिन्हें भी जब्त कर लिया गया.

जोशुआ के भाई लालराम ने कहा, ‘हमें जोशुआ के शव मिलने के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है. हमने अपने कबीले के शीर्ष संगठन हमार इनपुई को हमारी ओर से समन्वय करने का काम सौंपा है.’

ज्ञात हो कि पूर्वोत्तर के हमार जनजाति के शीर्ष संगठन हमार इनपुई ने घटना की निंदा करते हुए इसे ‘न्यायेतर हत्याएं’ करार दिया है. संगठन ने असम के स्वदेशी हमार लोगों के विश्वास और भरोसे को सुरक्षित करने के लिए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष मजिस्ट्रेट जांच की मांग की है.

जोशुआ के दोनों चचेरे भाइयों ने कहा कि उन्हें इस बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है कि उसे कब पकड़ा गया था. लेकिन लालोमपुइया ने कहा, ‘जोशुआ आखिरी बार जिरीबाम जिले के मोंगबंग गांव के पास एक गांव के वालंटियर के रूप में गए थे. आखिरी बार हमें पता चला था कि वह सप्ताहांत में ही बराक नदी पार करके असम में प्रवेश कर गए थे.’

मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष में 14 जुलाई को जिरीबाम जिले का मोंगबंग गांव एक और गोलीबारी के केंद्र में था, जब मणिपुर पुलिस और सीआरपीएफ की एक टुकड़ी एक ऐसे गांव में घुस गई थी, जहां असम राइफल्स ने उन्हें ‘नहीं घुसने’ के लिए कहा था. सुरक्षा सूत्रों द्वारा गांव के वालंटियर्स और मणिपुर पुलिस द्वारा ‘उग्रवादियों’ के रूप में चिन्हित किए गए लोगों ने गोलीबारी की और इस गोलीबारी में सीआरपीएफ के एक कांस्टेबल की मौत हो गई.