नीट-यूजी: सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को 20 जुलाई की दोपहर तक सभी छात्रों के अंक सार्वजनिक करने कहा

राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) में अनियमितताओं से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को निर्देश दिया है कि वह हर परीक्षा केंद्र और शहर के हिसाब से सभी अभ्यर्थियों के अंक जारी करे.

नीट परीक्षा को लेकर हुआ एक प्रदर्शन. (फोटो साभार: एक्स/@AamAadmiParty)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (18 जुलाई) को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को 20 जुलाई की दोपहर तक नीट-यूजी अभ्यर्थियों के प्राप्तांक को हर परीक्षा केंद्र और शहर के हिसाब से अलग-अलग प्रकाशित करने का निर्देश दिया है.

द टेलीग्राफ के मुताबिक, अभ्यर्थियों की गोपनीयता की रक्षा को लेकर केंद्र द्वारा दायर याचिका पर पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि एनटीए डमी रोल नंबर जारी करके परीक्षा देने वालों की पहचान छिपा सकता है.

स्नातक स्तर की चिकित्सा प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी प्रश्नपत्र लीक के आरोपों के कारण चर्चा में है. साथ ही, बहुत बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को पूरे अंक (720 में से 720) मिलने के आरोप भी लगे हैं, जिनमें से अधिकांश कथित तौर पर कुछ विशिष्ट परीक्षा केंद्रों से हैं.

यह परीक्षा 5 मई को 571 शहरों और 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी, जिसमें लगभग 23 लाख छात्रों ने सरकारी और निजी कॉलेजों की 1.08 लाख एमबीबीएस सीटों के लिए अपना भाग्य आजमाया था.

सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार पुलिस और उसकी आर्थिक अपराध शाखा (जिन्होंने सीबीआई को केस हस्तांतरित किए जाने से इसकी शुरुआती जांच की थी) को 20 जुलाई की शाम 5 बजे तक अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने दिनभर चली सुनवाई के बाद यह निर्देश पारित किया और मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी.

गुरुवार की सुनवाई के दौरान, पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि प्रथम दृष्टया प्रश्नपत्र लीक की घटना बिहार के हजारीबाग और पटना तक ही सीमित है, और इसलिए दोबारा परीक्षा की आवश्यकता नहीं है. हालांकि, पीठ ने यह भी कहा कि वह पुनः परीक्षा पर कोई भी आदेश पारित करने से पहले विभिन्न जांच रिपोर्टों और छात्रों के वकीलों द्वारा दी गई दलीलों की जांच करेगी.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने इससे पहले कुछ छात्रों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र हुड्डा से बहस के दौरान कहा था, ‘हम सिर्फ इसलिए पुनः परीक्षा का आदेश नहीं दे सकते क्योंकि वे (याचिकाकर्ता छात्र) इसमें शामिल होना चाहते हैं.’

हुड्डा ने कहा कि दागी छात्रों को बाकी छात्रों से अलग करना मुश्किल है, क्योंकि परीक्षा में 23 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस बात पर सहमति जताई कि यदि दागी छात्रों को बाकी छात्रों से अलग करना मुश्किल पाया जाता है तो ‘पूरी परीक्षा रद्द करनी होगी.’ हुड्डा ने कहा कि हजारीबाग के ओसिस स्कूल में एक खुले ई-रिक्शा में नीट-यूजी प्रश्नपत्रों से भरा एक ट्रंक पाया गया था. उन्होंने कहा कि बाद में सीबीआई ने स्कूल प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया लेकिन सरकार ने अपने बयान में इस मामले पर चुप्पी साध ली. हुड्डा ने तर्क दिया कि प्रिंसिपल एनटीए समन्वयक भी थे.

उन्होंने आरोप लगाया कि परीक्षा से एक दिन पहले 4 मई से ही लीक हुए प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे थे. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एनटीए के वकील नरेश कौशिक ने कहा कि टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कथित रूप से प्रसारित दस्तावेज बनावटी थे.

मेहता ने कहा कि कथित पेपर लीक परीक्षा के दिन 5 मई को सुबह 8:02 बजे हुआ और इससे अधिकतम 150 छात्र ही लाभांवित हो सकते थे. बता दें कि कथित अनियमितताओं से संबंधित 38 याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं.