हाथरस रेप और हत्या मामला: अदालत के निर्देश के दो साल बाद भी परिवार का पुनर्वास नहीं

हाई कोर्ट को हाल ही में सूचित किया गया था कि 2020 में सामूहिक बलात्कार और हत्या की शिकार 19 वर्षीय दलित युवती के परिवार के सदस्यों को सुरक्षा कारणों से दैनिक आवाजाही में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट. (फोटो साभार: विकिपीडिया/Vroomtrapit)

नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में पीड़ित परिवार के पुनर्वास का निर्देश देने के दो साल बाद भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया है

ज्ञात हो कि 14 सितंबर 2020 को प्रदेश के हाथरस में कथित तौर पर ऊंची जाति के चार युवकों ने 19 साल की एक दलित युवती का बलात्कार किया था. 29 सितंबर 2020 को दिल्ली में इलाज के दौरान युवती की मौत हो गई थी. इस मामले ने देश भर में आक्रोश पैदा किया था. 

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट को हाल ही में सूचित किया गया कि पीड़िता के परिवार के सदस्यों को सुरक्षा कारणों से दैनिक आवाजाही में कठिनाईयों  का सामना करना पड़ता है.

जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस जसप्रीत सिंह की बेंच को बताया गया कि पहले परिवार की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के जवान अपने वाहनों में परिवार के सदस्यों को बाजार, स्कूल और डॉक्टर के पास ले जाया करते थे, लेकिन अब सीआरपीएफ कर्मी परिवार वालों को गाड़ी आदि की व्यवस्था खुद करने के लिए कहते हैं.

अदालत को बताया गया, ‘सुरक्षा कारणों से हर बार सीआरपीएफ कर्मियों को परिवार के सदस्यों के साथ जाना पड़ता है, जब भी वे बाहर जाते हैं. लेकिन हर बार परिवार को एक वाहन की व्यवस्था करनी पड़ती है.  यह न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि अन्य कारणों से भी उनका जीवन कठिन बना रहा है.’  

पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि उन्हें उनकी पसंद की जगहों जैसे- नोएडा और गाजियाबाद में पुनर्वासित नहीं किया गया है.

अख़बार के मुताबिक़, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडे को निर्देश देते हुए कहा है कि परिवार के आने-जाने के संबंध में पिछली व्यवस्था को तब तक जारी रखनी चाहिए जब तक कि बेंच इस मुद्दे पर पूरी तरह से विचार नहीं कर लेती. 

इस मामले की अगली सुनवाई अब 31 जुलाई को होगी.