नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार पेपर लीक मामले के बाद राज्य में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) को खत्म करने की तैयारी कर रही है. सोमवार को कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और वे मौजूदा सत्र के दौरान दोनों सदनों में प्रस्ताव पारित करने के लिए तैयार हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर विधेयक पारित हो जाता है, तो कर्नाटक की अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षा होगी. इसके अलावा, कैबिनेट ने ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी (जीबीए) का भी प्रस्ताव रखा है जो वर्तमान बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका से बेंगलुरु पर वित्तीय शक्ति लेगी. बेंगलुरु के पुनर्गठन की योजना लंबे समय से लंबित थी.
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के खिलाफ एक और प्रस्ताव भी विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा.
इससे पहले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा था कि नीट परीक्षा उत्तर भारत के छात्रों को लाभ पहुंचा रही है.
उन्होंने कहा, ‘नीट परीक्षा को तुरंत खत्म किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार को राज्यों को अपनी खुद की परीक्षा आयोजित करने की अनुमति देनी चाहिए. कर्नाटक ने कॉलेज बनाए हैं, लेकिन नीट परीक्षा उत्तर भारतीय छात्रों को लाभ पहुंचा रही है और हमारे अपने छात्रों को वंचित कर रही है. हम सभी को इसके खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा.’
यह पड़ोसी राज्य तमिलनाडु द्वारा नीट परीक्षा को खत्म करने और कक्षा 12 के अंकों का उपयोग करके राज्य-आधारित मेडिकल प्रवेश की पिछली प्रणाली को वापस लाने के कदम के बाद आया है. जून में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा था कि गरीब छात्र नीट परीक्षा की तैयारी आदि का खर्च नहीं उठा सकते.
स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राज्य को नीट आयोजित करने से छूट दी जाए.
मालूम हो कि साल 2021 में तमिलनाडु विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया था, जिसके कानून बनने के बाद राज्य में नीट परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल कॉलेजों में कक्षा 12 में प्राप्तांक के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा.
तमिलनाडु के प्रस्ताव में कहा गया है, ‘नीट, जो ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के चिकित्सा शिक्षा तक पहुंचने के अवसरों को प्रभावित करता है और राज्य सरकारों के छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश देने के अधिकार को छीनता है, को खत्म किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार को तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को मंजूरी देनी चाहिए जिसमें राज्य के लिए छूट की मांग की गई है.’