सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी 2024 को रद्द करने, दोबारा परीक्षा से इनकार किया

नीट-यूजी 2024 को रद्द करने की मांग को ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात के पुख़्ता सबूत नहीं हैं जो यह साबित कर सकें कि परीक्षा के प्रश्नपत्र योजनाबद्ध तरीके से लीक हुए थे.

नीट परीक्षा को लेकर हुआ एक प्रदर्शन. (फोटो साभार: एक्स/@AamAadmiParty)

नई दिल्ली: नीट-यूजी 2024 को रद्द करने की मांग को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (23 जुलाई) को कहा कि इस बात के पुख़्ता प्रमाण नहीं हैं जो यह साबित कर सकें कि परीक्षा के प्रश्न पत्र योजनाबद्ध तरीके से लीक हुए थे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रश्नपत्र लीक होने के आधार पर परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा, ‘हमारा विचार है कि कोर्ट के सामने पेश में सामग्री के आधार पर पूरे नीट-यूजी 2024 को रद्द करने का आदेश देना उचित नहीं है.’

बेंच में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे. बेंच ने कहा कि परीक्षा के लिए शहरवार और केंद्रवार आंकड़े तथा पिछले वर्षों के आंकड़ों से तुलना करने पर यह ‘प्रश्नपत्र के व्यवस्थित ढंग से लीक होने का संकेत नहीं देता, जो परीक्षा की शुचिता में व्यवधान का संकेत होता.’

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने शनिवार (22 जुलाई) को नीट-यूजी 2024 की परीक्षा में शामिल हुए लगभग 23.5 लाख उम्मीदवारों के व्यक्तिगत स्कोर जारी किया था. खास बात यह है कि सबसे अच्छा परीक्षा परिणाम देने वाले देश के 50 परीक्षा केंद्रों में से 37 राजस्थान के सीकर में हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कुल अभ्यर्थियों में से 81,000 अभ्यर्थी (या 3.49%)  ऐसे थे जिन्हें इस वर्ष कुल 720 अंक में से 600 या उससे अधिक अंक प्राप्त हुए. 2023 में ऐसे उम्मीदवारों की संख्या 29,351 (कुल अभ्यर्थियों का 1.43%) थी,  2022 में 600 से अधिक अंक लाने वाले छात्रों की संख्या  21,164 (कुल अभ्यर्थियों का 1.19%) थी.  2023 में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला पाने के लिए 600 से अधिक का स्कोर काफी था.

परीक्षा रद्द करने के नुकसान! 

पूरी परीक्षा रद्द करने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि वह इस तथ्य से भी अवगत है कि वर्तमान वर्ष के लिए नए सिरे से नीट-यूजी आयोजित करने का निर्देश देने से 20 लाख से अधिक छात्र प्रभावित होंगे. इसके अलावा चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश कार्यक्रम में व्यवधान होगा, चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, भविष्य में योग्य चिकित्सकों की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

हालांकि अदालत ने आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया है कि हजारीबाग (झारखंड) और पटना (बिहार) में पेपर लीक की कुछ घटनाएं हुई हैं.

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र हुड्डा, संजय हेगड़े, एडवोकेट मैथ्यूज नेदुपमारा आदि ने बहस की. भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कौशिक क्रमशः केंद्र सरकार और एनटीए की तरफ से पेश हुए थे.

मेडिकल प्रवेश परीक्षा की काउंसलिंग प्रक्रिया बुधवार (24 जुलाई) से शुरू होने वाली है, ऐसे में यह फैसला महत्वपूर्ण है. पीठ ने कहा कि वह विस्तृत फैसला बाद में सुनाएगी.

उल्लेखनीय है कि 5 मई 2024 को देश भर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए ली गई नीट-यूजी परीक्षा शुरुआत से ही विवादों के घेरे में रही है. इस पर पेपर लीक से लेकर अन्य अनियमितताओं तथा कदाचार के आरोप लगते रहे हैं. परीक्षा के परिणाम आने के बाद टॉपरों की संख्या में हुई भारी वृद्धि ने भी इस परीक्षा पर सवाल खड़े किए. कुछ छात्रों को दिए गए ग्रेस अंक ने भी परिणामों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए.