यूपी: कांवड़ियों ने कांवड़ ‘अपवित्र’ करने के फ़र्ज़ी आरोप पर तोड़फोड़ की, मुस्लिम ड्राइवर को पीटा

बीते 21 जुलाई को मुज़फ़्फ़रनगर में हरिद्वार के रास्ते में स्थित श्री लक्ष्मी फ़ूड प्लाज़ा में कांवड़ियों की भीड़ ने एक कार में तोड़फोड़ की और उसके ड्राइवर की पिटाई की. पुलिस ने 10-15 अज्ञात कांवड़ियों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करते हुए बताया है कि उन्होंने अकारण हमला किया था.

कांवड़ यात्रा. (प्रतीकात्मक फोटो: मुनीश कुमार)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कांवड़ियों की भीड़ ने एक कार में तोड़फोड़ की और उसके ड्राइवर की पिटाई की. बताया गया है कि उनका कहना था कि कार 21 जुलाई को यात्रा के दौरान उनमें से एक द्वारा उठाए जा रहे ‘कांवड़’ से टकरा गई थी और उसे क्षतिग्रस्त या अपवित्र कर दिया.

हालांकि, ज्ञात हुआ है कि उक्त कार से कोई ‘कांवड़’ क्षतिग्रस्त नहीं हुई थी. पुलिस के अनुसार, कांवड़ियों ने बिना किसी उकसावे के हिंसा की.

द वायर ने मामले में दर्ज एफआईआर देखी है, जिसमें पुलिस ने कहा है कि कांवड़ियों ने बिना किसी कारण के हमला किया. पुलिस ने दस से 15 अज्ञात कांवड़ियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

21 जुलाई को हरिद्वार के रास्ते पर स्थित श्री लक्ष्मी फूड प्लाज़ा में यह हिंसा कैमरे में दर्ज हुई. फुटेज में दिखता है कि दस से पंद्रह कांवड़ियों के एक समूह ने एक कार में तोड़फोड़ की और उसके मालिक की पिटाई की. कुछ पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में ऐसा हुआ. कार का ड्राइवर गुस्साए कांवड़ियों की भीड़ से खुद को बचाने के लिए रेस्टोरेंट के अंदर भाग गया, जिन्होंने मेरठ-हरिद्वार हाईवे पर यातायात भी बाधित कर दिया. पुलिस ने आकिब नाम के व्यक्ति को बचाया.

बताया गया है कि उक्त कार उत्तराखंड के देहरादून में पंजीकृत है.

जब वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे तो कांवड़ियों ने उन्हें बताया कि कार ने उनके एक साथी की कांवड़ को क्षतिग्रस्त कर दिया है जिसे वे रेस्तरां से करीब दो किलोमीटर दूर हरिद्वार की ओर राजमार्ग पर ले जा रहे थे.

हालांकि, आकिब ने 23 जुलाई को ‘जर्नो मिरर’ नामक एक स्वतंत्र समाचार मीडिया पोर्टल को बताया कि यह आरोप कि उनकी गाड़ी कांवड़ियों से टकराई या उनके पीछे हॉर्न बजाया, सरासर झूठे हैं.

घायल आकिब ने बताया कि वह अपने रिश्तेदार को छोड़ने मेरठ जा रहा था, तभी कांवड़ियों ने उसकी गाड़ी में तोड़फोड़ की.

मामले में दर्ज एफआईआर में सब-इंस्पेक्टर आशुतोष कुमार सिंह ने उल्लेख किया कि जब कांवड़ियों से क्षतिग्रस्त कांवड़ के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. सिंह ने 21 जुलाई की सुबह छपार पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में कहा कि कांवड़ मार्ग के हरिद्वार की ओर मौके पर निरीक्षण करने पर भी पुलिस को ‘किसी भी श्रद्धालु की कांवड़ क्षतिग्रस्त नहीं मिली’.

घटना के कुछ घंटों बाद मीडिया से बात करते हुए सर्किल ऑफिसर सदर राजू कुमार साब ने कहा कि किसी कांवड़ के क्षतिग्रस्त होने की कोई पुष्टि नहीं हुई है.

एफआईआर में सिंह ने कहा कि कांवड़ियों ने ‘जानबूझकर’ कार को रोका और ‘बिना किसी कारण’ उसके ड्राइवर पर हमला किया. उन पर भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें स्वेच्छा से चोट पहुंचाना, गलत तरीके से रोकना, सार्वजनिक उपद्रव, दंगा, गैरकानूनी सभा, यातायात में बाधा डालना और शरारत शामिल हैं.

पुलिस ने बताया कि कांवड़ियों ने राजमार्ग पर यातायात भी अवरूद्ध कर दिया, जिससे लंबा जाम लग गया, जिससे यात्रियों को असुविधा हुई, विशेषकर इलाज के लिए एम्बुलेंस से दिल्ली जा रहे यात्रियों को.

एफआईआर में कहा गया है कि हिंसक कांवड़ियों द्वारा लगाए गए जाम के कारण महिलाएं, बच्चे और बीमार लोगों के रिश्तेदार हताश होकर सड़कों पर उतर आए. सिंह ने कहा कि वे मदद के लिए चीखने-चिल्लाने लगे और जैसे-जैसे अराजकता फैलती गई, इससे डर का माहौल पैदा हो गया.

पुलिस ने बताया कि कांवड़ियों ने शांति बनाए रखने या यातायात को सामान्य रूप से चलने देने के उनके अनुरोधों को नहीं सुना. जिस रेस्तरां में यह घटना घटी, उसके मालिक प्रदीप कुमार ने कहा कि कांवड़ियों ने एक या दो कुर्सियों को नुकसान पहुंचाया, लेकिन पुलिस के हस्तक्षेप से उन्हें और अधिक नुकसान होने से बचा लिया गया.

कुमार के अनुसार, कुछ कांवड़िये उनके रेस्टोरेंट में चाय पी रहे थे, तभी समूह के किसी व्यक्ति को एक अन्य कांवड़िये का फोन आया जो अभी भी सड़क पर था. कुमार ने बताया कि फोन पर कांवड़िये ने कथित तौर पर रेस्टोरेंट में मौजूद कांवड़ियों से कहा कि वे रेस्टोरेंट के पास नाकाबंदी करके एक खास कार को रोक लें.

चूंकि वहां बहुत सारे लोग थे, इसलिए कुमार ड्राइवर को स्पष्ट रूप से पहचान नहीं पाए, लेकिन उन्होंने कहा कि वह अकेला लग रहा था.

कुमार ने कहा कि हिंसा 15 मिनट तक चली. उन्होंने कहा कि घटना के बाद पुलिस की एक टीम ने कथित तौर पर उस जगह का दौरा किया, जहां कांवड़ियों ने कांवड़ तोड़े जाने का दावा किया था, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)