नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने बुधवार को विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) की निंदा करते हुए मांग की गई कि राज्य में संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) को फिर से बहाल किया जाए.
इससे पहले जून में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर उनसे नीट को खत्म करने और पिछली प्रणाली को वापस लाने का आग्रह किया था, जिसमें राज्य अपनी प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करते थे.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ‘विफलता’ की निंदा करते हुए प्रस्ताव में कहा गया, ‘पहले पश्चिम बंगाल में मेडिकल कॉलेजों में स्नातक और स्नातकोत्तर सीटों के राज्य कोटे के लिए जेईई का आयोजन संयुक्त प्रवेश बोर्ड द्वारा किया जाता था, जिसे अब नीट के लागू होने के कारण समाप्त कर दिया गया है.’
प्रस्ताव में आगे कहा गया है, ‘स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए नीट सीबीएसई पाठ्यक्रम पर आधारित है, न कि किसी राज्य बोर्ड के पाठ्यक्रम पर… पश्चिम बंगाल में स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए मेडिकल और आयुष सीटों के लिए इच्छुक अधिकांश छात्र पश्चिम बंगाल उच्चतर माध्यमिक परीक्षा परिषद के तहत उच्च माध्यमिक परीक्षा में बैठने वाले छात्र हैं.’
राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने विधानसभा में कहा कि जब परीक्षाएं केंद्र को सौंपी गई थीं, तब टीएमसी ने विरोध किया था.
उन्होंने कहा, ‘हमें लगता है कि जेईई को 2016-17 से पहले की तरह राज्यों को वापस कर दिया जाना चाहिए. केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे अन्य राज्य पहले ही इसकी मांग कर चुके हैं. केंद्र को तुरंत निर्णय लेना चाहिए.’
मालूम हो कि राज्य में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) को खत्म करने के लिए इस सप्ताह की शुरुआत में कर्नाटक कैबिनेट ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है और वे चल रहे सत्र के दौरान दोनों सदनों में प्रस्ताव पारित करने के लिए तैयार है. यह पड़ोसी राज्य तमिलनाडु द्वारा नीट परीक्षा को खत्म करने और कक्षा 12 के अंकों का उपयोग करके राज्य-आधारित मेडिकल प्रवेश की पिछली प्रणाली को वापस लाने के कदम के बाद आया है.
साल 2021 में तमिलनाडु विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया था, जिसके कानून बनने के बाद राज्य में नीट परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल कॉलेजों में कक्षा 12 में प्राप्तांक के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा.
तमिलनाडु के प्रस्ताव में कहा गया है, ‘नीट, जो ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के चिकित्सा शिक्षा तक पहुंचने के अवसरों को प्रभावित करता है और राज्य सरकारों के छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश देने के अधिकार को छीनता है, को खत्म किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार को तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को मंजूरी देनी चाहिए जिसमें राज्य के लिए छूट की मांग की गई है.’