नई दिल्ली: मध्य प्रदेश वन विभाग ने राष्ट्रीय सुरक्षा और दूसरे देशों के साथ संबंधों का हवाला देते हुए अफ्रीका से भारत लाए गए चीतों और देश में जन्मे उनके शावकों की देखरेख संबंधी प्रबंधन व्यवस्था के बारे में जानकारी सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत देने से इनकार कर दिया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वन्यजीव एक्टिविस्ट अजय दुबे ने आरटीआई आवेदन दाखिल कर कूनो और मंदसौर में चीता परियोजना की देखरेख व्यवस्था के संबंध में पत्राचार रिकॉर्ड (correspondence records) उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था.
इस आरटीआई के जवाब में मध्य प्रदेश वन विभाग ने आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ए) के तहत मांगी की गई जानकारी देने से इनकार कर दिया. प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) कार्यालय में जन सूचना अधिकारी सौरव कुमार काबरा ने अपने जवाब में कहा कि सूचना (बिंदु संख्या 2 के तहत) प्रबंधन शाखा से संबंधित है, जिसने आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(ए) के तहत जानकारी उपलब्ध न कराने का निर्णय लिया है.
मालूम हो कि आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ए) सार्वजनिक प्राधिकरण को ऐसी सूचना देने से छूट देती है, जिसे सार्वजनिक करने से भारत की संप्रभुता और अखंडता, देश की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों, दूसरे देशों के साथ संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो या किसी अपराध को बढ़ावा मिलता हो.
एक्टिविस्ट दुबे ने पीटीआई को बताया कि यह पहली बार है, जब ‘प्रोजेक्ट चीता’ पर जानकारी देने से इनकार किया गया है.
उन्होंने बताया कि वो इससे पहले भारत में पैदा हुए पहले शावक के स्वास्थ्य के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी हासिल कर चुके हैं, जहां उन्हें पता चला था कि शावक का दाहिना पैर चोटिल हो गया था.
दुबे ने आगे कहा कि वो साल 2013 से बाघ आदि के संरक्षण में अनियमितताओं का खुलासा कर रहे हैं, हालांकि ये पहली बार है जब उन्हें जवाब मिला है कि चीतों के बारे में जानकारी का खुलासा करने से राष्ट्रीय सुरक्षा या दूसरे देशों के साथ संबंधों पर असर पड़ेगा.
ज्ञात हो कि इस बीच प्रजनन संबंधी उद्देश्य से सरकार संभवतः इस वर्ष के अंत तक मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में एक बाड़बंद क्षेत्र में चीतों को लाने की योजना बना रही है. गुजरात के बन्नी घास के मैदानों में चीता संरक्षण प्रजनन केंद्र के प्रस्ताव को फरवरी में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority) द्वारा मंजूरी दे दी गई थी.
गौरतलब है कि चीता शावकों की मौत के चलते चीता संरक्षण परियोजना को आलोचना का सामना करना पड़ा है. इस साल 4 जून को कूनो के बाड़े में भारतीय धरती पर जन्मे एक चीता शावक को पार्क अधिकारियों ने मृत पाया गया था. कूनो में मरने वाला ये 11वां और राष्ट्रीय उद्यान में मरने वाला चौथा चीता शावक था.
आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले साल मई में दो महीने से कम उम्र के तीन शावकों की गर्मी के चलते मौत हो गई थी.
फिलहाल, मोदी सरकार के दूसरे महत्वाकांक्षी चीता पुनरुत्पादन कार्यक्रम, प्रोजेक्ट चीता के तहत कूनो में कुल 26 चीते और 13 शावक हैं.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने बीते साल राज्यसभा में दिए एक बयान में किसी भी तरह की चूक से इनकार किया था और कहा था कि चीतों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई हैं और रेडियो कॉलर के कारण संक्रमण से मौत की खबरों का ‘कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं’ है.
गौरतलब है कि सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर पहली खेप में दक्षिण अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीतों को कूनो लाया गया था. इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए थे. इसी दौरान पहली खेप में नामीबिया से आई ‘ज्वाला’ ने चार शावकों को जन्म दिया था.