मध्य प्रदेश: कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता मृत पाई गई, 4 महीनों में नौवें चीते की मौत

मृत मादा चीता की पहचान धात्री के रूप में हुई. बीते माह भी कूनो में सूरज और तेजस नामक दो चीतों की मौत हुई थी. बीते मार्च महीने से भारत में मरने वाले अफ्रीकी चीतों की कुल संख्या नौ हो गई है.

कूनो में चीते. (फाइल फोटो: ट्विटर/@KunoNationalPrk)

मृत मादा चीता की पहचान धात्री के रूप में हुई. बीते माह भी कूनो में सूरज और तेजस नामक दो चीतों की मौत हुई थी. बीते मार्च महीने से भारत में मरने वाले अफ्रीकी चीतों की कुल संख्या नौ हो गई है.

कूनो में चीते. (फाइल फोटो: ट्विटर/@KunoNationalPrk)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में बुधवार सुबह एक और चीता मृत पाया गया, जिससे केएनपी में मरने वाले चीतों की संख्या नौ हो गई है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, एक वन अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नामीबिया से लाई गई मादा चीता की मौत शायद ‘सेप्टीसीमिया’ से हुई है, लेकिन इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम के बाद की जाएगी.

मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन असीम श्रीवास्तव ने कहा, ‘बुधवार की सुबह, मादा चीतों में से एक धात्री (तिब्लिसी) जंगल में मृत पाई गई. मौत का कारण निर्धारित करने के लिए, पोस्टमार्टम किया जा रहा है.’

जंगल में दो मादा चीता थीं- धात्री और निरवा, जबकि एक शावक सहित अन्य 14 चीते बाड़े में हैं.

श्रीवास्तव ने आगे कहा, ‘केएनपी के बोमा में रखे गए सभी 14 चीते (07 नर, 06 मादा और 01 मादा शावक) स्वस्थ हैं, और कूनो वन्यजीव पशु चिकित्सकों और नामीबिया के विशेषज्ञों की टीम द्वारा उनके स्वास्थ्य की नियमित निगरानी की जा रही है.’

वन अधिकारी हाल ही में वन अधिकारी हाल ही में संक्रमण के कारण दो चीतों – तेजस और सूरज की मौत के बाद चिकित्सीय ​​परीक्षणों के लिए उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे थे, और तीन चीते त्वचा की खरोंच के कारण रेडियो कॉलर के पास संक्रमित पाए गए थे.

एक अन्य चीता, निरवा, कथित तौर पर रेडियो कॉलर की खराबी के कारण खो गया है. उसका पता लगाने के लिए हाथियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

हाल ही में रेडियो कॉलर के कारण कथित सेप्टिसीमिया के चलते केएनपी में तेजस और सूरज – दोनों अफ्रीकी चीतों की मौत के बाद, श्योपुर जिले में केएनपी में चीतों की निगरानी पर सवाल उठाए गए थे, जिसके बाद जुलाई में चीतों की हालिया मौतों पर एक संचालन समिति की दिल्ली में हुई बैठक के बाद पिछले महीने वन्यजीव मुख्य वार्डन जसबीर सिंह चौहान का तबादला कर दिया गया था.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पिछले महीने राज्यसभा में दिए एक बयान में किसी भी तरह की चूक से इनकार किया था और कहा था कि चीतों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई हैं और रेडियो कॉलर के कारण संक्रमण से मौत की खबरों का ‘कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं’ है.

मादा चीता की हालिया मौत के साथ ही पिछले चार महीनों में केएनपी में भारत में पैदा हुए तीन शावकों सहित नौ चीतों की विभिन्न बीमारियों से मौत हो गई है.

गौरतलब है कि पिछले माह 14 जुलाई को सूरज नामक चीते की मौत हुई थी. सूरज की मौत के ठीक तीन दिन पहले 11 जुलाई को तेजस नामक चीते की मौत हो गई थी.

ज्ञात हो कि 25 मई को दो चीता शावकों की मौत हो गई थी. मध्य प्रदेश के वन विभाग ने कहा था कि इस साल मार्च के अंतिम सप्ताह में ज्वाला नामक मादा चीते ने ने दो और शावकों को जन्म दिया, जिनकी मौत हो गई. इसके पहले 23 मई को एक शावक की मौत हुई थी.

उससे पहले 9 मई को इसी पार्क में भारत लाए गए तीसरे अफ्रीकी मादा चीते ‘दक्षा’ की मौत हो गई थी. ऐसा माना जाता है कि उनके बाड़े में सहवास (Mating) के दौरान एक नर चीते द्वारा पहुंचाई गई चोट मृत्यु की वजह थी.

इससे पहले 27 मार्च को (नामीबिया से लाई गई) साशा नाम की एक मादा चीता की किडनी की बीमारी और 23 अप्रैल को (दक्षिण अफ्रीका से लाए गए) उदय नामक चीते की कार्डियो-पल्मोनरी फेल्योर के कारण मौत हो गई थी.

इसी बीच, 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से कूनो लाए गए तीन चीतों की दो महीने से भी कम समय में मौत पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से उन्हें राजस्थान स्थानांतरित करने पर विचार करने को कहा था.

मालूम हो कि सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर पहली खेप में दक्षिण अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीतों को कूनो लाया गया था. इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए थे. इसी दौरान पहली खेप में नामीबिया से आई ‘ज्वाला’ ने चार शावकों को जन्म दिया था.