प्रसारण विधेयक के नए मसौदे में सोशल मीडिया यूजर्स ‘डिजिटल समाचार प्रसारक’ कहलाएंगे

प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2024 में ‘डिजिटल समाचार प्रसारकों’ की नई श्रेणी शामिल की गई है.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: प्रसारण विधेयक के नए मसौदे में नियमित रूप से सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड करने वालों, पॉडकास्ट बनाने वालों या समसामयिक मामलों पर ऑनलाइन लिखने वालों को ‘डिजिटल समाचार प्रसारक’ माना जाएगा.

हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा द्वारा समीक्षा किया गया प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक 2024 का दूसरा मसौदा नवंबर 2023 को जारी पहले संस्करण को आगे बढ़ाता है, जिसमें सरकार ने प्रसारकों के लिए सभी नियमों को एक ही कानून के तहत संयोजित करने की योजना बनाई थी.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘शुरू से ही यह चिंता बनी हुई है कि ऑनलाइन समाचार सामग्री निर्माताओं, जो पारंपरिक मीडिया या पंजीकृत डिजिटल मीडिया से जुड़े नहीं हैं, पर स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म (‘ओटीटी प्रसारण सेवाएं’) के दायित्व लागू हो सकते हैं या नहीं.’

मौजूदा संस्करण में सभी समाचार निर्माताओं को एक ही श्रेणी में शामिल करके इन चिंताओं को संबोधित किया गया है, जिसमें ‘डिजिटल समाचार प्रसारकों’ की नई श्रेणी शामिल की गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने इस संस्करण में इस बात पर जोर दिया है कि ‘पेशेवर’ व्यक्ति वह होता है जो किसी व्यवसाय या पेशे में संलग्न हो और ‘व्यवस्थित गतिविधि’ का अर्थ है ‘कोई भी संरचित या संगठित गतिविधि जिसमें योजना, विधि, निरंतरता या दृढ़ता का तत्व शामिल हो.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि नए संस्करण के तहत ‘समाचार और समसामयिक मामलों के कार्यक्रमों’ में ऑडियो, विजुअल या ऑडियो-विजुअल सामग्री, चिह्न, संकेत, लेखन, तस्वीरों के साथ-साथ टेक्स्ट भी शामिल होगा, जिन्हें ‘सीधे या प्रसारण नेटवर्क का उपयोग करके प्रसारित किया जाता है.’

अब, टेक्स्ट भी कार्यक्रम और प्रसारण की परिभाषाओं का हिस्सा है.

संसद में पेश किए जाने से पहले यह विधेयक केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास जाएगा.

इसका पिछला संस्करण विवादास्पद रहा था, क्योंकि नेटवर्क ऑफ वीमेन इन मीडिया, इंडिया (एनडब्ल्यूएमआई) ने चेतावनी दी थी कि यह केंद्र सरकार को भारत के समाचार और मनोरंजन उद्योगों को विनियमित करने के लिए अनुपातहीन शक्ति प्रदान करेगा और यह भी कहा कि यह देश में ‘स्वतंत्र मीडिया, स्वतंत्र अभिव्यक्ति और रचनात्मक स्वतंत्रता को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकता है.’

नए बदलाव लोकसभा चुनाव के बाद आए हैं, जिन्हें भारत का पहला ‘यूट्यूब चुनाव’ कहा गया था – ऐसा इस तथ्य के संदर्भ में कहा गया था कि ऐसे माहौल में जहां भारत का मुख्यधारा का मीडिया बड़े पैमाने पर सरकारी दावों को दोहरा रहा था, यूट्यूब से संचालित होने वाले छोटे-छोटे समूहों या व्यक्तियों द्वारा संचालित समाचार आउटलेट, लगातार रिपोर्टिंग करने और जनमत को आकार देने में कुछ हद तक सफल रहे.

प्रसारण विधेयक में ऑनलाइन विज्ञापन से संबंधित परिवर्तन और बिचौलियों (ये दोनों ही दिशा-निर्देश सरकार द्वारा नए विधेयक के तहत दी गई शक्तियों के साथ निर्धारित किए जा सकते हैं) तथा ओटीटी प्रसारण सेवाओं के लिए नए दायित्व भी शामिल हैं. इसमें अब न केवल नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम वीडियो जैसे प्लेटफ़ॉर्म शामिल हैं, बल्कि सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर भी शामिल हैं. अंतिम समूह में पत्रकार भी शामिल हो सकते हैं.