नई दिल्ली: साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (एसएयू) ने कश्मीर की नृवंशविज्ञान (Ethnography) और राजनीति पर एक डॉक्टरेट शोध प्रस्ताव के कारण एक पीएचडी स्कॉलर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साथ ही छात्र के सुपरवाइजर के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच की गई है. बताया जा रहा है कि उस शोध प्रस्ताव में अमेरिकी भाषाविद् नोम चॉम्स्की द्वारा एनडीए सरकार की आलोचना का जिक्र किया गया था.
पीएचडी स्कॉलर के सुपरवाइजर ससांक परेरा ने अनुशासनात्मक जांच शुरू होने के बाद विश्वविद्यालय को अपना इस्तीफा सौंपा है. परेरा एसएयू के समाजशास्त्र विभाग के संस्थापक सदस्य हैं.
अख़बार के अनुसार, इस बीच पीएचडी स्कॉलर ने विश्वविद्यालय प्रशासन से माफी मांग ली है और इस बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है. परेरा ने भी अनुशासनात्मक जांच और उसके बाद दिए गए इस्तीफे को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है.
ससांक परेरा एक सांस्कृतिक नृविज्ञानी (cultural anthropologist) हैं, जिन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से मास्टर्स और पीएचडी की डिग्री हासिल की है. वे एसएयू के समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष (2011-2014), सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन (2011-2018) और एसएयू के उपाध्यक्ष (2016-2019) रहे हैं.
एसएयू आने से पहले वह 20 वर्षों तक श्रीलंका के कोलंबो विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग में कार्यरत थे. वे कोलंबो इंस्टिट्यूट फॉर द एडवांस्ड स्टडी ऑफ सोसाइटी एंड कल्चर (2003-2010) के संस्थापक अध्यक्ष भी थे.
परेरा के इस्तीफे को लेकर एसएयू ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान यह स्वीकार किया कि उनके खिलाफ एक जांच शुरू की गई थी, लेकिन किसी पीएचडी प्रस्ताव के कारण किसी प्रोफेसर को इस्तीफा देना पड़ा, इस बात से विश्वविद्यालय ने इनकार किया है.
हालांकि, विश्वविद्यालय ने यह नहीं बताया कि प्रस्ताव में उसे क्या आपत्तिजनक लगा, जिसके कारण छात्र को नोटिस दिया गया तथा सुपरवाइजर के खिलाफ जांच की गई.
बताया गया है कि छात्र ने उक्त पीएचडी प्रस्ताव पिछले साल नवंबर में पेश किया था और इसे सामाजिक विज्ञान के डीन को भेजे जाने से पहले परेरा द्वारा हरी झंडी दी गई थी.
एसएयू की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद पीएचडी दिशानिर्देशों के अनुसार, पीएचडी स्कॉलर को फील्डवर्क शुरू करने से पहले अपने सुपरवाइजर, डीन या डिपार्टमेंट ऑफ स्टडीज बोर्ड से अनुमति लेनी होती है.
इस मामले में पीएचडी स्कॉलर के प्रस्ताव को सुपरवाइजर द्वारा अनुमोदित किया गया और फील्डवर्क शुरू करने की अनुमति के लिए डीन के पास भेजा गया, जिसके बाद इस साल 9 मई को छात्र को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.
बताया गया है कि छात्र को दिए गए नोटिस में चॉम्स्की के साथ एक साक्षात्कार को लेकर आपत्ति उठाई गई थी, जिसे उन्होंने 2021 में रिकॉर्ड किया था और 2022 में अपने निजी यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया था.
स्कॉलर के पीएचडी प्रस्ताव में शामिल इस वीडियो में चॉम्स्की को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ‘कट्टरपंथी हिंदुत्व परंपरा’ से आते हैं और ‘धर्मनिरपेक्ष भारतीय लोकतंत्र को खत्म करने’ तथा ‘हिंदू केंद्रित लोकतंत्र को थोपने’ का प्रयास कर रहे हैं.
यूनिवर्सिटी के नोटिस में शोध के विषय के चयन के संबंध में छात्र और उनके सुपरवाइजर से स्पष्टीकरण भी मांगा गया था.
इस नोटिस का जवाब 15 मई को दिया गया जिसमें उक्त इंटरव्यू को अकादमिक रिसर्च का हिस्सा बताया गया और माफी मांगी गई थी. इसके बाद साक्षात्कार के कथित वीडियो को हटा दिया गया.
विश्वविद्यालय ने विवादित शोध प्रस्ताव में सुपरवाइजर की भूमिका और प्रस्ताव के पीछे उनकी प्रेरणा की जांच करने के लिए एक समिति भी गठित की. इसी बीच, यह सूचना सामने आई कि परेरा ने इस्तीफ़ा दे दिया.
बता दें कि एसएयू आठ सार्क देशों द्वारा प्रायोजित एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय है, जो विदेश मंत्रालय के अंतर्गत आता है.