नई दिल्ली: बीते दिनों असम के कछार जिले में कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे गए तीन युवकों की अधूरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत किए जाने के बाद गौहाटी हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि मृतकों के शवों को तब तक संरक्षित रखा जाए जब तक कि सरकार अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर देती.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, असम सरकार द्वारा मृतकों की अधूरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद हाईकोर्ट का यह फैसला आया है.
असम सरकार द्वारा तीन लोगों की अधूरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद, जिनके बारे में उसका दावा है कि वे उग्रवादी थे और जिनकी पिछले सप्ताह हत्या कर दी गई थी, गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि राज्य द्वारा अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने तक पुरुषों के शवों को संरक्षित रखा जाए।
असम सरकार का दावा है कि पिछले हफ्ते मारे गए लोग आतंकवादी थे.
असम के कछार जिले की पुलिस का कहना है कि उसने 16 जुलाई को तीन लोगों – तीनों हमार आदिवासी समुदाय से थे – को पकड़ा था. उसके बाद उन्हें एक ऐसे इलाके में ले जाया गया जहां अन्य आतंकवादी छिपे हुए थे, जिसके बाद गोलीबारी में उनकी मौत हो गई.
लेकिन तीनों युवकों के परिवारों ने पुलिस की कहानी का विरोध करते हुए कहा कि वे आतंकवादी नहीं थे और उनका एनकाउंटर फर्जी था.
पुलिस कहना है कि तीनों लोगों ने बुलेटप्रूफ पोशाकें पहनी हुई थीं और पकड़े जाने से पहले पुलिस पर गोली चलाई. पुलिस द्वारा उन्हें पकड़ने का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वे लोग बुलेटप्रूफ पोशाकें पहने हुए नहीं दिख रहे हैं.
शुक्रवार (26 जुलाई) को इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि गौहाटी हाई कोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार द्वारा पेश की गई मारे गए तीनों लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनकी मौत के कारण पर अंतिम राय नहीं थी, मामले में विसरा रिपोर्ट अभी भी लंबित है.
कोर्ट ने राज्य सरकार को मामले में अंतिम रिपोर्ट अगली सुनवाई तक दाखिल करने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई 2 अगस्त को होनी है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तीनों मृतकों के परिवारों ने अनुरोध किया है कि उनका पोस्टमार्टम असम के बाहर किया जाए.
द हिंदू के अनुसार, परिवारों ने उच्च न्यायालय से राज्य के बाहर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है.
मृतकों का एक और वीडियो सामने आया है, उसमें उन्हें घने जंगल के अंदर ले जाते हुए और बुलेटप्रूफ पोशाकें पहने हुए दिखाया गया है. हालांकि उनके परिवारों ने आरोप लगाया है कि उन्हें बुलेटप्रूफ पहनने के लिए मजबूर किया गया होगा.
उच्च न्यायालय में मृतकों के परिवारों की ओर से पेश होते हुए वकील कॉलिन गोंजाल्वेज ने अपनी याचिका में वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि उनकी हत्या की जांच सीबीआई को हस्तांतरित की जानी चाहिए.
इंडियन एक्सप्रेस ने गोंजाल्वेज के हवाले से कहा, ‘इन वीडियो में ये लड़के असम पुलिस की हिरासत में दिखते हैं. लड़कों के हाथ बांधकर एक ऑटो में बैठा कर जंगल वाले इलाके में ले जाया गया, और अंततः किसी इलाके में गोली लगे इनके शव मिले.’
गोंजाल्वेज ने आगे कहा, ‘अब यह ऐसा मामला है, जहां पुलिस मौखिक रूप से कुछ भी कहे, लेकिन गोलीबारी और वास्तविक मुठभेड़ का मामला दर्ज करना उनके लिए बहुत मुश्किल होगा.’
उन्होंने अदालत से उन छह पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने का अनुरोध किया है जिन्होंने उन लोगों को पकड़ा था.
तीन मृतकों में से एक मणिपुर का था, और अन्य दो असम-मणिपुर सीमा के पास एक गांव के निवासी थे.
उनकी हत्या की खबर फैलते ही मणिपुर और अन्य जगहों से विभिन्न नागरिक संगठनों ने हत्या की निंदा करते हुए इसे असम पुलिस द्वारा ‘फर्जी मुठभेड़’ करार दिया.
मृतकों के परिवार वालों ने मामले में जांच की मांग करते हुए शुक्रवार (19 जुलाई) को जिले के लखीपुर पुलिस थाने में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कराई थी.