लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीन के पुल बनाने की ख़बरें सामने आईं, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए

चीन द्वारा लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाले पुल निर्माण की ख़बरों और बढ़ते आतंकी हमलों पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि भारत के दोहरे मोर्चों पर सुरक्षा परिदृश्य में नए घटनाक्रम ने एक बार फिर मोदी सरकार की उदासीनता को उजागर किया है.

मल्लिकार्जुन खरगे. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: चीन द्वारा लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाले पुल के निर्माण की खबरों पर केंद्र सरकार से सवाल करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 30 जुलाई को कहा कि सरकार को इस स्थिति पर संसद को विश्वास में लेना चाहिए.

खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार शपथ लेने के बाद से जम्मू और कश्मीर में विभिन्न आतंकी हमलों में 15 सुरक्षाकर्मियों के शहीद होने के बारे में भी पूछा.

उन्होंने कहा कि भारत के दोहरे मोर्चों पर सुरक्षा परिदृश्य में नए घटनाक्रम ने एक बार फिर मोदी सरकार की उदासीनता को उजागर कर दिया है.

चीन के साथ सीमा की स्थिति के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘क्या यह सच नहीं है कि चीन ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाले एक पुल का निर्माण और संचालन शुरू कर दिया है, जिससे उसे हमारे एलएसी के करीब इस क्षेत्र में रणनीतिक प्रभुत्व हासिल हो गया है?’

उन्होंने आगे कहा, ‘क्या यह सच नहीं है कि चीन ने डेमचोक सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास एक नया गांव बसाना शुरू कर दिया है, जो देपसांग के साथ-साथ गलवान के बाद गतिरोध का एक बिंदु है?’

पैंगोंग त्सो पर चीन का पुल जम्मू-कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमलों का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से 25 आतंकी हमले हो चुके हैं, जिनमें 15 सैनिक/सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं और 27 घायल हुए हैं?

खरगे ने कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद अब जम्मू-कश्मीर के तीन नए जिलों में फैल गया है.

उन्होंने सवाल किया, ‘क्या यह सच नहीं है कि पाक प्रायोजित आतंकवाद अब जम्मू और कश्मीर के तीन नए जिलों- डोडा, कठुआ और रियासी तक फैल गया है और जम्मू और कश्मीर में ऐसी घटनाओं में नागरिकों की मृत्यु का हिस्सा अनुपातहीन रूप से अधिक हो गया है- वास्तव में लगभग दो दशकों में सबसे अधिक?’

उन्होंने कहा कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के अत्यंत गंभीर और संवेदनशील मुद्दे हैं तथा इनके लिए एकजुट एवं सामूहिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, ‘मोदी सरकार को संसद को विश्वास में लेना चाहिए, लेकिन अपनी झूठी डींगों और खोखले प्रचार में वह यह भूल गई है कि भारत के सामरिक हितों की रक्षा करना भी उसकी जिम्मेदारी है.’

मालूम हो कि भारत और चीन के बीच मई 2020 से ही पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध बना हुआ है. पैंगोंग झील उन प्रमुख बिंदुओं में से एक है, जहां दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई थी. पैंगोंग त्सो झील 135 किलोमीटर लंबी है, जिसका दो-तिहाई से अधिक हिस्सा चीनी नियंत्रण में है.

भारतीय सैनिकों और चीनी सेना के साथ सबसे गंभीर झड़प 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी. इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे.

गलवान घाटी में हिंसक झड़प के ढाई महीने बाद 29 अगस्त 2020 को पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित ठाकुंग में फिर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध देखने को मिला था.

फरवरी 2021 में उत्तरी और दक्षिणी किनारो से भारत और चीन द्वारा सैनिकों को वापस बुलाने से पहले इस इलाके में बड़े पैमाने पर लामबंदी देखी गई थी और दोनों पक्षों ने कुछ स्थानों बमुश्किल ही कुछ सौ मीटर की दूरी पर टैंक भी तैनात किए थे.

पैंगोंग झील पर चीन ने पुल निर्माण पूरा कर लिया

नए सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, चीन ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाले एक पुल का निर्माण पूरा कर लिया है और उसे चालू कर दिया है, जिससे उसे सैनिकों और उपकरणों को जुटाने में लगने वाले समय में काफी कमी आएगी.

ज्ञात हो कि पैंगोंग झील में लगभग 400 मीटर लंबे पुल के निर्माण के बारे में रिपोर्ट पहली बार 2022 की शुरुआत में सामने आई थी. तब भारत ने कहा था कि पुल उन क्षेत्रों में बनाया जा रहा है, जो लगभग 60 वर्ष से चीन के अवैध कब्जे में हैं.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, 22 जुलाई, 2024 की नई सैटेलाइट तस्वीरों में काले रंग के पुल पर वाहन और पैंगोंग त्सो के किनारों पर चलते हुए वाहन दिखाई दे रहे हैं.

नई सैटेलाइट तस्वीरों में झील के उत्तरी किनारे पर चार संरचनाएं दिखाई दे रही हैं. यह पुल लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास 1958 से चीन के कब्जे वाले क्षेत्र में स्थित है.

एक तस्वीर में खुर्नक किले में दो हेलीपैड के साथ एक चीनी किलेबंदी दिखाई दे रही है. 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान चीनियों ने लद्दाख में ऑपरेशन के लिए खर्नक किले को अपने मुख्यालय के रूप में इस्तेमाल किया था.

एक अन्य सैटेलाइट तस्वीर में एक मौजूदा तोपखाना स्थल दिखाई दे रहा है. चीनियों ने उत्तर से दक्षिण तक आपस में जुड़ी हुई सुरक्षित खाइयां भी बनाई हैं. सैटेलाइट तस्वीर में एक खुली रक्षात्मक स्थिति दिखाई देती है, जो संभवतः चीनी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल लांचर, इरेक्टर और ट्रांसपोर्टर की जगह है.

तस्वीर में एक हवाई रक्षा साइट भी देखी जा सकती है. सैनिकों और उपकरणों के परिवहन के लिए पैंगोंग झील के किनारे समानांतर एक सड़क चलती है. चीनी पुल ने दोनों किनारों के बीच की यात्रा की दूरी को 50-100 किलोमीटर या यात्रा के समय में कई घंटे कम कर दिया है.