नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (2 अगस्त) को समलैंगिक लोगों, ट्रांसजेंडरों और महिला सेक्स वर्कर्स को रक्तदान करने से रोकने वाली नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को औपचारिक नोटिस जारी किया.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में तीन जजों की पीठ ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) और राष्ट्रीय रक्त आधान (ब्लड ट्रांफ्यूज़न) परिषद से भी प्रतिक्रिया मांगी.
एक नागरिक शरीफ डी. रंगनेकर द्वारा दायर की गई इस याचिका का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता रोहित भट्ट और इबाद मुश्ताक ने किया.
इस याचिका में 11 अक्टूबर, 2017 को राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन द्वारा जारी रक्तदाता चयन और रक्तदाता रेफरल, 2017 के लिए दिशानिर्देश के खंड 12 की वैधता पर सवाल उठाया गया है.
याचिका में तर्क दिया गया है कि यह दिशानिर्देश संविधान द्वारा निहित समानता और गरिमा के साथ जीने के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
साल 2023 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने ट्रांसजेंडर समुदाय के एक सदस्य थंगजम सांता सिंह द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया था कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति, पुरुषों के साथ संबंध बनाने वाले पुरुष और महिला सेक्स वर्कर को एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी का खतरा होता है. इसीलिए उन्हें रक्तदान करने की इजाजत नहीं दी गई है.