कोचिंग सेंटर मौत: सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर कहा- बच्चों की ज़िंदगी से खिलवाड़ हो रहा है

दिल्ली के एक आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में सिविल सेवाओं की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह घटना आंखें खोलने वाली है और किसी भी संस्थान को तब तक संचालन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि वे सभी सुरक्षा मानदंडों का पालन नहीं करते.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली के एक आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में सिविल सेवाओं की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत के मामले में में स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि कोचिंग सेंटर देश के विभिन्न हिस्सों से आए बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं.

अदालत ने आगे कहा कि यह घटना आंखें खोलने वाली है और किसी भी संस्थान को तब तक संचालन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि वे सभी सुरक्षा मानदंडों का पालन नहीं करते.

पीठ ने कहा, ‘कोचिंग सेंटर मौत का घर (death chamber) बन गए हैं. हमारा ये सोचना है कि अगर कोचिंग सेंटर सुरक्षा और गरिमापूर्ण जीवन के लिए बुनियादी मानदंडों को पूरा नही करते, तो इन्हें ऑनलाइन मोड मे कर दिया जाना चाहिए.’

मालूम हो कि बीते 27 जुलाई को मध्य दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में राऊ आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने पर डूबने से तीन यूपीएससी अभ्यर्थियों की मौत हो गई थी. भारी बारिश के दौरान अचानक एक नाला फटने से बेसमेंट में पानी भर गया था.

इस मामले में बीते शुक्रवार (2 अगस्त) को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए इसकी जांच दिल्ली पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का फैसला सुनाया था, जिससे जांच की निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके.

इस हादसे में मरने वाले छात्रों में उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव (25), तेलंगाना की तान्या सोनी (25) और केरल के नेविन डेल्विन (24) थे. रविवार (4 अगस्त) को इस दुखद घटना के एक सप्ताह पूरा होने पर छात्रों ने अपने मृत साथियों की याद में कैंडल मार्च निकाला और मोमबत्तियां जलाईं.

ज्ञात हो कि इस घटना के बाद से विभिन्न कोचिंग संस्थानों के छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. इनकी मांग कोचिंग सेंटर में बेहतर सुरक्षा उपायों को लेकर है, जिससे छात्रों के मौलिक अधिकार सुनिश्चित हो सकें.

इसके अलावा प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने दिल्ली कोचिंग एजुकेशनल सेंटर एंड रेगुलेशन एक्ट का मसौदा भी तत्काल जारी करने की मांग की, जिससे वे विधेयक को पढ़ सकें और उसमें सुधार सुझा सकें.

गौरतलब है कि इस संबंध में 2 अगस्त को दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा था कि दिल्ली में कोचिंग संस्थानों को स्कूलों की तरह कानून के दायरे में लाया जाएगा. दिल्ली सरकार कोचिंग इंस्टिट्यूट रेगुलेशन एक्ट लाएगी. सभी कोचिंग इंस्टिट्यूट के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षकों की योग्यता, फीस निर्धारण, भ्रामक विज्ञापन आदि को विनियमित किया जाएगा. नियमों का पालन हो रहा है या नहीं इसकी मियमित जांच होगी. एक्ट के लिए कमेटी बनाई जाएगी.

आतिशी ने मृत छात्रों के परिजनों को ₹10-10 लाख रुपये देने की घोषणा की थी. साथ ही बताया था कि तीनों छात्रों की याद में एक लाइब्रेरी बनाई जाएगी.  इसके अलावा आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी मृत बच्चों के परिवार को एक करोड़ देंगे.

मालूम हो कि इस संबंध में सिविल सेवा की तैयारी करने वाले एक छात्र ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को भी एक पत्र लिखकर कहा है कि छात्र दिल्ली में नरक जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं.उन्होंने सीजेआई चंद्रचूड़ से छात्रों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा की भी मांग की है.