राशन कार्डधारकों की ई-केवाईसी प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाए सरकार: रोज़ी रोटी अधिकार अभियान

रोज़ी रोटी अधिकार अभियान ने खाद्यान्न पाने के लिए राशन कार्डधारकों के ई-केवाईसी सत्यापन को रोकने की मांग करते हुए कहा कि एनएफएसए से बाहर रखे गए लोगों को राशन कार्ड जारी करने के बजाय सरकार की ऊर्जा मौजूदा कार्डधारकों के लिए और बाधाएं पैदा करने पर ख़र्च हो रही है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Shankar s./Flickr CC BY 2.0 DEED)

नई दिल्ली:  रोज़ी रोटी अधिकार अभियान (राइट टू फूड कैंपेन – आरएफसी) ने सरकार से राशन कार्डों की ई-केवाईसी प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग की है.

बुधवार (7 अगस्त) को जारी एक बयान में आरएफसी ने कहा कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार आठ करोड़ प्रवासी/असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को राशन कार्ड देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. 

शीर्ष अदालत ने इस साल मार्च में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ई-श्रम पोर्टल में पंजीकृत लेकिन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत कवर नहीं किए गए लगभग आठ करोड़ प्रवासी श्रमिकों को दो महीने के भीतर राशन कार्ड प्रदान करने का आदेश दिया था. 

आरएफसी ने कहा है कि उसे रिपोर्ट मिली है कि लोग हड़बड़ी में अपने गांव जा रहे हैं क्योंकि उन्हें सूचित किया गया है कि पूरे परिवार की ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने में विफलता उन्हें फ्री राशन के लिए अयोग्य बना देगी. 

ज्ञात हो कि पिछले साल नरेंद्र मोदी सरकार ने घोषणा की थी कि वह कोविड-19 के दौरान उपजे आर्थिक व्यवधान के कारण वित्तीय रूप से कमज़ोर परिवारों को होने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए अप्रैल 2020 में शुरू की गई मुफ्त खाद्यान्न योजना को 1 जनवरी, 2024 से अगले पांच साल के लिए बढ़ाएगी. 

यह योजना पूरे भारत में 5 लाख उचित मूल्य की दुकानों के नेटवर्क के माध्यम से लाभार्थी परिवारों को चावल, गेहूं और बाजरा जैसे मोटे अनाज प्रदान करती है. 

आरएफसी के सदस्यों ने ई-केवाईसी निर्देश की निंदा करते हुए कहा है कि यह 81 करोड़ राशन कार्ड धारकों के लिए बाधाएं पैदा कर रहा है.

बयान में कहा गया, ‘रोज़ी रोटी अधिकार अभियान, एनएफएसए के तहत उन सभी 81 करोड़ लोग जिनके पास राशन कार्ड हैं और वे इसके तहत खाद्यान्न प्राप्त करने के हकदार हैं, उनके ई-केवाईसी सत्यापन के कारण देश भर में लोगों को हो रही भारी परेशानी और समस्याओं की रिपोर्टों से बहुत चिंतित हैं. अभियान को विभिन्न राज्यों से लोगों के अपने गांवों की ओर लौटने की खबरें मिल रही हैं क्योंकि उन्हें बताया जा रहा है कि पूरे परिवार का ई-केवाईसी नहीं कराने पर राशन बंद हो जाएगा.’

आरएफसी ने कहा, ‘ऐसे समय में जब 2021 की जनगणना कराने में सरकार की विफलता के कारण करोड़ों लोग खाद्य सुरक्षा दायरे से बाहर हो गए हैं, यह समझ से परे है कि एनएफएसए से बाहर रखे गए सभी लोगों को राशन कार्ड जारी करने के बजाय सरकार की ऊर्जा और संसाधन मौजूदा राशन कार्डधारकों के लिए और बाधाएं पैदा करने पर खर्च किए जा रहे हैं.’

आरएफसी ने कहा है कि राशन कार्ड धारकों को फोन पर एसएमएस मिले थे, जिसमें उन्हें ई-केवाईसी कराने के लिए अपने पूरे परिवार के साथ निकटतम राशन की दुकान पर जाने के लिए कहा गया था. राशन दुकानदारों ने कार्डधारकों को सूचित किया है कि ई-केवाईसी नहीं कराने पर खाद्यान्न देने से इनकार कर दिया जाएगा. 

अभियान की सदस्य अंजलि भारद्वाज ने कहा, ‘राशन कार्ड धारकों को प्राप्त एसएमएस में ई-केवाईसी के नियमों, समय सीमा, आवश्यकता या प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है. इससे ऐसी स्थितियां पैदा हो गई हैं जहां लोग अपने परिवारों के साथ अपने गृह राज्यों में राशन की दुकानों पर जाने के लिए हजारों रुपये खर्च कर रहे हैं.’ 

संगठन द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ‘अभियान यह जानकर बेहद हैरान है कि राशन दुकानदारों को ई-केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने का अधिकार दिया गया है. राशन कार्ड जारी करने और रद्द करने में राशन दुकानदार की कोई भूमिका नहीं है क्योंकि यह खाद्य विभाग का विशेषाधिकार है. दुकानदारों की भूमिका कार्डधारकों को खाद्यान्न वितरण तक ही सीमित है.’

‘यह भूमिकाओं का एक महत्वपूर्ण विभाजन रहा है क्योंकि लोगों को राशन कार्ड रद्द होने के डर के बिना अनाज वितरण में दुकानदारों से जवाबदेही लेने के लिए सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है. दुकानदारों को ई-केवाईसी करने की अनुमति देना शक्ति संतुलन को बिगाड़ रहा है और यह राशन वितरण में अनियमितताओं के बारे में समस्याओं और चिंताओं को उठाने में लोगों की क्षमता को कमजोर कर देगा,’ आरएफसी ने आगे कहा. 

अभियान ने कहा, ‘पूरे परिवार को राशन की दुकान पर उपस्थित होने की आवश्यकता के परिणामस्वरूप प्रवासी श्रमिकों, बुजुर्गों और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों सहित सबसे हाशिए पर रहने वाले वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं और उनके ई-केवाईसी से बाहर रहने की संभावना है.’ 

आरएफसी ने आगे जोड़ा कि सरकार ने पहले ही खाद्य सुरक्षा बजट में कटौती की है और अब लोगों को  ई-केवाईसी करवाने के लिए मजबूर करना एक साजिश लगती है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन से वंचित रखा जाए. 

आरएफसी की एक अन्य सदस्य एनी राजा ने कहा, ‘महिला समर्थक होने का दावा करने वाली सरकार महिलाओं को अपने सबसे बुनियादी अधिकार- राशन के लिए भी इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर करके उनके जीवन में अभूतपूर्व तबाही मचा रही है.’

अभियान ने मांग की है कि सरकार ई-केवाईसी प्रक्रिया को रोक दे और 2021 की जनगणना में देरी के कारण फ्री राशन से वंचित रह गए लोगों को तुरंत राशन कार्ड जारी करे.