असम: मेडिकल कॉलेज की महिला स्टाफ को रात में परिसर से बाहर न रहने की सलाह, छात्रों की आपत्ति

असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल द्वारा कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या के मद्देनज़र महिलाओं को दिए गए परामर्श पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए छात्रों ने कहा कि अधिकारियों को महिलाओं से कमरों में रहने के लिए कहने के बजाय सुरक्षा व्यवस्था में सुधार करना चाहिए.

(फोटो साभार: smcassam.org)

नई दिल्ली: असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एसएमसीएच) के अधिकारियों को महिला डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों को रात में अकेले घूमने से बचने की सलाह जारी करने के बाद आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, संस्थान के प्राचार्य और मुख्य अधीक्षक डॉ. भास्कर गुप्ता ने कहा है कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हाल ही में हुई दुखद और निंदनीय घटना को देखते हुए यह एडवाइजरी जारी की गई है. 

अधिकारियों ने महिला डॉक्टरों तथा अन्य कर्मचारियों को रात के समय सुनसान, कम रोशनी वाले और कम आबादी वाले इलाकों में घूमने से बचने का सुझाव दिया है. 

डॉ. गुप्ता ने लिखा, ‘महिला डॉक्टरों, छात्रों और कर्मचारियों को जहां तक संभव हो.. उन स्थितियों से बचना चाहिए जहां वे अकेले हों. जब तक बहुत जरूरी न हो तब तक आवास कक्ष या छात्रावास छोड़ने से बचना चाहिए. और अगर किसी परिस्थितियों में बाहर जाना पड़े, तब  संबंधित अधिकारी को पूर्व सूचना देकर रात के समय हॉस्टल से बाहर निकले. 

उन्होंने आगे कहा, ‘सभी छात्रावास अधिकारियों को संस्थान और प्रशासन द्वारा निर्धारित छात्रावास मानदंडों और नियमों का पालन करना चाहिए. सतर्क रहें.. और ऐसे व्यक्तियों से जुड़ने से बचें जो अज्ञात लगते हों या संदिग्ध स्वभाव के हों. हमेशा सुनिश्चित करें कि आपके पास आपातकालीन परिस्थितियों में किसी से संपर्क करने का प्रयाप्त साधन मौजूद हो.’  

अधिकारियों ने कहा कि किसी भी मुद्दे या शिकायत को तुरंत लिंग उत्पीड़न समिति, अनुशासनात्मक समिति, आंतरिक शिकायत समिति, एंटी रैगिंग समिति के अध्यक्ष/सदस्यों को सूचित किया जाना चाहिए. 

डॉ. गुप्ता ने लिखा, ‘यह सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉक्टरों, छात्रों और स्टाफ सदस्यों के व्यापक हित में जारी किया गया है, जिसमें महिला सदस्यों पर विशेष जोर दिया गया है.’ 

छात्रों का विरोध

हालांकि, छात्रों ने इस एडवाइजरी के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि अधिकारियों को उन्हें अपने कमरों में रहने के लिए कहने के बजाय सुरक्षा व्यवस्था में सुधार करना चाहिए.

नाम न छापने की शर्त पर एक महिला डॉक्टर ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, ‘हमें अक्सर पुरुष कर्मचारियों द्वारा छेड़छाड़ और अश्लील शब्दों का सामना करना पड़ता है. हमने कई बार इसे उजागर करने की कोशिश की, लेकिन कुछ भी नहीं बदला है. बजाय इसके कि हमें परिसर के अंदर उचित सुरक्षा दी जाए, एसएनसीएच अधिकारी हमें कमरों में रहने के लिए कह रहे हैं, हम इससे आहत और शर्मिंदा हैं.’ 

एसएमसीएच के जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जेडीएस) ने भी इसकी निंदा की और कहा कि एडवाइजरी तैयार करते समय इस्तेमाल किए गए शब्द चिंताजनक हैं. 

जेडीएस के अध्यक्ष सलमान चौधरी ने मंगलवार (13 अगस्त) को हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि उन्होंने एसएमसीएच अधिकारियों को एक पत्र लिखा है.

उन्होंने कहा, ‘हम उनकी चिंता का सम्मान करते हैं लेकिन यह कोई समाधान नहीं है. हम लंबे समय से एसएमसीएच परिसर में सुरक्षा मुद्दों को उजागर कर रहे हैं लेकिन इस पर कभी ध्यान नहीं दिया गया, हम अधिकारियों से सुरक्षा व्यवस्था में सुधार करने का अनुरोध करेंगे.’ 

इस मामले को तूल पकड़ता देख डॉ. गुप्ता ने बताया कि अधिकारी मौजूदा एडवाइजरी को वापस लेंगे और नई एडवाइजरी जारी करेंगे.

मंगलवार शाम को हिन्दुस्तान टाइम्स से बात करते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा कि वे किसी भी अप्रिय घटना को रोकना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘रोकथाम हमेशा एक बेहतर विकल्प होता है और हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते थे.’